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जातें शक्ल में छोड़ती कुछ सांसें थी... आंखों से सुनती सांसें.. पलकें झपकाती थीं.., उससे गुज़ारिश कि, शायद सुन ले ज़रा.... सालों हो चुकें... एक झलक दिखा दो ज़रा..!! ©Dev Rishi

#शायरी  जातें शक्ल में छोड़ती कुछ सांसें थी...
आंखों से सुनती सांसें.. पलकें झपकाती थीं..,
उससे गुज़ारिश कि, शायद सुन ले ज़रा....
सालों हो चुकें... एक झलक दिखा दो ज़रा..!!

©Dev Rishi

शेरो शायरी# तेरी याद.. फिर क्यों आई है.!!

12 Love

#विचार #love_shayari  White आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे साझा कर दूं, क्योंकि हो सकता है कि आपने भी ऐसा किया हो। जब हम बचपन में अंधेरे से डरते थे, और हमें रात को किसी काम से बाहर भेजा जाता था, या फिर किसी पड़ोसी के घर पर खेलते-खेलते देर हो जाती थी और अंधेरा छा जाने के कारण डर लगने लगता था, लेकिन घर भी तो जाना था।

तो हम अपने ताऊजी, मां, काकी, या दादी से कहते थे कि "घर छोड़ कर आ जाओ।" और वे कहते, "हां, चलो छोड़ आते हैं।" जब घर का मोड़ आता तो वे कहते, "अब चल जा," लेकिन डर तो लग रहा होता था। तो हम कहते, "आप यहीं रुकना," और वे बोलते, "मैं यहीं हूँ, तेरा नाम बोलते रहूंगा।"

जब तक वे हमारा नाम लेते रहते थे और जब तक हम घर नहीं पहुंच जाते थे, हमें यह विश्वास होता था कि वे हमारे साथ ही हैं, भले ही वे घर लौट चुके होते। लेकिन जब तक हमारा दरवाजा नहीं खुलता था, तब तक डर लगता था कि कोई हमें पीछे से पकड़ न ले। और जैसे ही दरवाज़ा खुलता, हम फटाफट घर के अंदर भाग जाते थे।

फिर, जब घर के अंधेरे में चबूतरे से पानी लाने के लिए कहा जाता था, तो हम बच्चों में डर के कारण यह कहते, "नहीं, पहले तू जा, पहले तू जा।" एक-दूसरे को "डरपोक" भी कहते थे, लेकिन सभी डरते थे। पर जाना तो उसी को होता था, जिसे मम्मी-पापा कहते थे। वह डर के मारे कहता, "आप चलो मेरे साथ," और वे कहते, "नहीं, तुम जाओ, तुम तो मेरे बहादुर बच्चे हो। मैं तुम्हारा नाम पुकारूंगा।" और फिर जब वह पानी लेकर आता, तो वे कहते, "देखो, डर नहीं लगा न?"

लेकिन सच कहूं तो डर जरूर लगता था। पर यही ट्रिक हम दूसरे पर आजमाते थे। आज देखो, हम और हमारे बच्चे क्या डरेंगे, वे तो डर को ही डरा देंगे! 😂 बातें बहुत ज्यादा हो गई हैं, कुछ को फालतू भी लग सकती हैं, लेकिन हमारे बचपन में हर घर में हर बच्चे के साथ यही होता था। अब आपकी प्रतिक्रिया देने की बारी है। क्या आपके साथ भी यही हुआ 

ChatGPT can make

©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma

कैप्शन में पढ़े 🤳 आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे

171 View

 छत असावे आई बाबांच्या आशीर्वादाचे 
नेहमीच डोक्यावर  !
तेव्हा कोणताही संकट पेलवेल अगदी हातावर...!
आई बाबांच्या आशीर्वादाचे छत असावे डोक्यावर .!
हात त्यांचा हातात जीव असतो निवांत
देवाने ही विश्वाचे अस्तित्व मानले आई बाबांच्या चरणात.!

©प्रा.शिवाजी ना.वाघमारे

आई बाबा

306 View

White कभी तुम याद आई , कभी कहानी याद आई , कभी जो तुमने दी थी वो निशानी याद आई , हर रात आ के चांद क्यों चला जाता है फ़िर , कभी उसका आना , कभी जवानी याद आई , ये वक्त है कि दिन में पांव जमीं पर रहते हैं , रात में एक ख्वाहिश आसमानी याद आई , तस्वीर में सभी रंगों का होना भी जरूरी है , ठहरा हुआ मंज़र , तो कभी रवानी याद आई , ए फूल , नई बहारें , गुलशन नया नया सा है , फ़िर भी भूली बिसरी याद पुरानी आई ......... ©BROKENBOY

#love_shayari  White कभी तुम याद आई , कभी कहानी याद आई ,
कभी जो तुमने दी थी वो निशानी याद आई ,

 हर रात आ के चांद क्यों चला जाता है फ़िर ,
कभी उसका आना , कभी जवानी याद आई ,
ये वक्त है कि दिन में पांव जमीं पर रहते हैं ,
रात में एक ख्वाहिश आसमानी याद आई ,
 तस्वीर में सभी रंगों का होना भी जरूरी है ,
ठहरा हुआ मंज़र , तो कभी रवानी याद आई ,

ए फूल , नई बहारें , गुलशन नया नया सा है ,
फ़िर भी भूली बिसरी याद पुरानी आई .........

©BROKENBOY

#love_shayari कभी तुम याद आई , कभी कहानी याद आई , कभी जो तुमने दी थी वो निशानी याद आई , हर रात आ के चांद क्यों चला जाता है फ़िर , कभी उसक

15 Love

#_कविता_असरार_की_ #कविता

#_कविता_असरार_की_ फिर याद तुम्हारी आई है

90 View

#कविता #रुत  White एक तो तेरे नैन नशीले,
ऊपर से लहराते बाल काले।
हाय री तेरी मस्त कमसिन जवानी,
मुँह से टपके पानी।
ये बलखाती कमर तेरी,
जान निकली जाए मेरी।
अंगड़ाई लेता तेरा बदन,
खुशबू ऐसी जैसे हो चंदन।
हवा में उड़ते बाल,
बदली हुई सी चाल।
ये खूबसूरत समां मन मेरा बहकता जाए,
अब तो बाहों में आ जाओ तुम बिन रहा न जाए।
हाय री तेरी धानी चुनरिया उड़ती जाए,
याद तेरी बार बार सताए। 
तेरी प्यारी सूरत पर दिल फ़नाह होता जाए,
ऐसे ना बन ठनकर निकला करो
आंखों में फिर नींद न आए।
रुत मस्तानी आई,   बदली घिर घिर आई।

©Shishpal Chauhan

#रुत मस्तानी आई

153 View

जातें शक्ल में छोड़ती कुछ सांसें थी... आंखों से सुनती सांसें.. पलकें झपकाती थीं.., उससे गुज़ारिश कि, शायद सुन ले ज़रा.... सालों हो चुकें... एक झलक दिखा दो ज़रा..!! ©Dev Rishi

#शायरी  जातें शक्ल में छोड़ती कुछ सांसें थी...
आंखों से सुनती सांसें.. पलकें झपकाती थीं..,
उससे गुज़ारिश कि, शायद सुन ले ज़रा....
सालों हो चुकें... एक झलक दिखा दो ज़रा..!!

©Dev Rishi

शेरो शायरी# तेरी याद.. फिर क्यों आई है.!!

12 Love

#विचार #love_shayari  White आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे साझा कर दूं, क्योंकि हो सकता है कि आपने भी ऐसा किया हो। जब हम बचपन में अंधेरे से डरते थे, और हमें रात को किसी काम से बाहर भेजा जाता था, या फिर किसी पड़ोसी के घर पर खेलते-खेलते देर हो जाती थी और अंधेरा छा जाने के कारण डर लगने लगता था, लेकिन घर भी तो जाना था।

तो हम अपने ताऊजी, मां, काकी, या दादी से कहते थे कि "घर छोड़ कर आ जाओ।" और वे कहते, "हां, चलो छोड़ आते हैं।" जब घर का मोड़ आता तो वे कहते, "अब चल जा," लेकिन डर तो लग रहा होता था। तो हम कहते, "आप यहीं रुकना," और वे बोलते, "मैं यहीं हूँ, तेरा नाम बोलते रहूंगा।"

जब तक वे हमारा नाम लेते रहते थे और जब तक हम घर नहीं पहुंच जाते थे, हमें यह विश्वास होता था कि वे हमारे साथ ही हैं, भले ही वे घर लौट चुके होते। लेकिन जब तक हमारा दरवाजा नहीं खुलता था, तब तक डर लगता था कि कोई हमें पीछे से पकड़ न ले। और जैसे ही दरवाज़ा खुलता, हम फटाफट घर के अंदर भाग जाते थे।

फिर, जब घर के अंधेरे में चबूतरे से पानी लाने के लिए कहा जाता था, तो हम बच्चों में डर के कारण यह कहते, "नहीं, पहले तू जा, पहले तू जा।" एक-दूसरे को "डरपोक" भी कहते थे, लेकिन सभी डरते थे। पर जाना तो उसी को होता था, जिसे मम्मी-पापा कहते थे। वह डर के मारे कहता, "आप चलो मेरे साथ," और वे कहते, "नहीं, तुम जाओ, तुम तो मेरे बहादुर बच्चे हो। मैं तुम्हारा नाम पुकारूंगा।" और फिर जब वह पानी लेकर आता, तो वे कहते, "देखो, डर नहीं लगा न?"

लेकिन सच कहूं तो डर जरूर लगता था। पर यही ट्रिक हम दूसरे पर आजमाते थे। आज देखो, हम और हमारे बच्चे क्या डरेंगे, वे तो डर को ही डरा देंगे! 😂 बातें बहुत ज्यादा हो गई हैं, कुछ को फालतू भी लग सकती हैं, लेकिन हमारे बचपन में हर घर में हर बच्चे के साथ यही होता था। अब आपकी प्रतिक्रिया देने की बारी है। क्या आपके साथ भी यही हुआ 

ChatGPT can make

©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma

कैप्शन में पढ़े 🤳 आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे

171 View

 छत असावे आई बाबांच्या आशीर्वादाचे 
नेहमीच डोक्यावर  !
तेव्हा कोणताही संकट पेलवेल अगदी हातावर...!
आई बाबांच्या आशीर्वादाचे छत असावे डोक्यावर .!
हात त्यांचा हातात जीव असतो निवांत
देवाने ही विश्वाचे अस्तित्व मानले आई बाबांच्या चरणात.!

©प्रा.शिवाजी ना.वाघमारे

आई बाबा

306 View

White कभी तुम याद आई , कभी कहानी याद आई , कभी जो तुमने दी थी वो निशानी याद आई , हर रात आ के चांद क्यों चला जाता है फ़िर , कभी उसका आना , कभी जवानी याद आई , ये वक्त है कि दिन में पांव जमीं पर रहते हैं , रात में एक ख्वाहिश आसमानी याद आई , तस्वीर में सभी रंगों का होना भी जरूरी है , ठहरा हुआ मंज़र , तो कभी रवानी याद आई , ए फूल , नई बहारें , गुलशन नया नया सा है , फ़िर भी भूली बिसरी याद पुरानी आई ......... ©BROKENBOY

#love_shayari  White कभी तुम याद आई , कभी कहानी याद आई ,
कभी जो तुमने दी थी वो निशानी याद आई ,

 हर रात आ के चांद क्यों चला जाता है फ़िर ,
कभी उसका आना , कभी जवानी याद आई ,
ये वक्त है कि दिन में पांव जमीं पर रहते हैं ,
रात में एक ख्वाहिश आसमानी याद आई ,
 तस्वीर में सभी रंगों का होना भी जरूरी है ,
ठहरा हुआ मंज़र , तो कभी रवानी याद आई ,

ए फूल , नई बहारें , गुलशन नया नया सा है ,
फ़िर भी भूली बिसरी याद पुरानी आई .........

©BROKENBOY

#love_shayari कभी तुम याद आई , कभी कहानी याद आई , कभी जो तुमने दी थी वो निशानी याद आई , हर रात आ के चांद क्यों चला जाता है फ़िर , कभी उसक

15 Love

#_कविता_असरार_की_ #कविता

#_कविता_असरार_की_ फिर याद तुम्हारी आई है

90 View

#कविता #रुत  White एक तो तेरे नैन नशीले,
ऊपर से लहराते बाल काले।
हाय री तेरी मस्त कमसिन जवानी,
मुँह से टपके पानी।
ये बलखाती कमर तेरी,
जान निकली जाए मेरी।
अंगड़ाई लेता तेरा बदन,
खुशबू ऐसी जैसे हो चंदन।
हवा में उड़ते बाल,
बदली हुई सी चाल।
ये खूबसूरत समां मन मेरा बहकता जाए,
अब तो बाहों में आ जाओ तुम बिन रहा न जाए।
हाय री तेरी धानी चुनरिया उड़ती जाए,
याद तेरी बार बार सताए। 
तेरी प्यारी सूरत पर दिल फ़नाह होता जाए,
ऐसे ना बन ठनकर निकला करो
आंखों में फिर नींद न आए।
रुत मस्तानी आई,   बदली घिर घिर आई।

©Shishpal Chauhan

#रुत मस्तानी आई

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