रचना दिनांक ््7,,,,10,,,,2024
वार,,,, सोमवार
समय,,,, सुबह,,, पांच बजे,,,
्््््निज विचार ््््
््््शीर्षक ््््
छाया चित्र में दिखाया गया चित्र बहुत सुंदर है,,
विचार अनेकानेक अमृत कोष, संजीवनी लक्ष जड़ी बूटी रस रसायनऔर,स्वर सुधा से जन्मा आत्म रस पिण्ड से,
विकर पीण्ड में,पितृ और प्रमातामही जगत में
एक पूजा एवं मंत्र जाप करें ,,्््
मां की पंचमदिवस स्कंदमातेति दैवीय शक्ति दिव्यता कोटीश्यं नमन वन्दंनीय मां के श्री चरणों में पूजा और आराधना करने से
तत्र मंत्र यंत्र तंत्र तंत्रिकाओं से कवच रुपी भवसागर में
जगत जननी मां शब्द से ही आनंद दे रही
मनोहारणी मां के सुंदर रुप में जो दिलों में जगह बनाई है।।
मैं तो एक पथिक इस संसार जगत में,,
एक मात्र अनुठी आपकी कृपा से एक जींव प्राणी मात्र हूं।।
तेरे ख्यालों में खोया हुआ मां में तुझमें ही रचा बसा हुआ है,,
तुम ही हो मेरी जिंदगी में रौशन आप का स्वरूप में,
स्थित सोच पर निर्भर करता हूं।।
यही सच्चाई देखकर सहसा रुक गई ,
तस्वीर मेरी मन की कामाक्षी भाव भंगिमा दीप प्रज्जवलित आत्मज्योतिनवपिण्डसाधक भाव से,
पुजा अर्चना पर आपका आशीष मेरी याचना,
मां आनंद करणी मेरे मनोभाव आपके सदविचार अनुसार है ,
करो कृपा हे मातु दयाला में आया तेरे चरणों में ,
समर्पित करिष्यामि नमन वन्दंनीय कवि शैलेंद्र आनंद हूं।।
्््््कवि शैलेंद्र आनंद ्््
7,,,10,,,2024,,
©Shailendra Anand
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