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#मोटिवेशनल

जलना बंद करो

144 View

White पल्लव की डायरी धन्य हुयी आज तेरस आत्मशुद्धि का है दिबस विघता समोशरण योगनिरोध कर भगवन महावीर ने जितेंद्रीय कहलाये थे जन्म मरण से ऊपर उठकर लक्ष्मी रूपी बधू पाये थे चेतनता जगाने का था पर्ब मगर स्वरूप बाजारवाद ने ले लिया मिथ्याभावो का संचार करके मूल भावनाओं को पीछे छोड़ दिया धन नही,जीवन से ऊपर उठने की आलोकित धन्यतेरस है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #Dhanteras  White पल्लव की डायरी
धन्य हुयी आज तेरस
आत्मशुद्धि का है दिबस 
विघता समोशरण
योगनिरोध कर भगवन महावीर ने
जितेंद्रीय कहलाये थे
जन्म मरण से ऊपर उठकर
लक्ष्मी रूपी बधू पाये थे
चेतनता जगाने का था पर्ब
मगर स्वरूप बाजारवाद ने ले लिया
मिथ्याभावो का संचार करके
मूल भावनाओं को पीछे छोड़ दिया
धन नही,जीवन से ऊपर उठने की
आलोकित धन्यतेरस है
                                       प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#Dhanteras आलोकित धन्यतेरस है

22 Love

दुशासन ने चीरहरण किया,  प्रभु बचाने आए लाज तेरी। हे पांचाली! नमन करो इन्हे, ये पांडवों के हृदय के भेरी।। मन कर्म वचन ये सब, भरी सभा में मूक हुए। युधिष्ठिर भीम अर्जुन,, सबके निशाने चूक गए। ऐसा लगा मानवता के, पैर लड़खड़ाने वाले हैं। वो तो श्री कृष्ण है जो,, जग को बचाने वाले हैं। रण हुंकार भरेगी अब फिर, उठेगी लपटे बदले की तेरी। हे पांचाली! नमन करो इन्हे, ये पांडवों के हृदय के भेरी।। पतन को जतन से उभारे, वो चौसर के सरताज है। जहां किसी पर गिरे गाज,, वहां सांप ऊपर बाज है। कहां गए ये पंच तत्व सब, जिन्हे भ्रम ने घेरा है। द्रोपदी के चीर हरण को,, इन सब ने ही उकेरा है। इसके खून से वेणी धुलेगी, प्रण करे भार्या के प्रहरी। हे पांचाली! नमन करो इन्हे, ये पांडवों के हृदय के भेरी।। ©Satish Kumar Meena

#कविता #हे  दुशासन ने चीरहरण किया, 
प्रभु बचाने आए लाज तेरी।
हे पांचाली! नमन करो इन्हे,
ये पांडवों के हृदय के भेरी।।

मन कर्म वचन ये सब,
भरी सभा में मूक हुए।
युधिष्ठिर भीम अर्जुन,,
सबके निशाने चूक गए।
ऐसा लगा मानवता के,
पैर लड़खड़ाने वाले हैं।
वो तो श्री कृष्ण है जो,,
जग को बचाने वाले हैं।

रण हुंकार भरेगी अब फिर,
उठेगी लपटे बदले की तेरी।
हे पांचाली! नमन करो इन्हे,
ये पांडवों के हृदय के भेरी।।

पतन को जतन से उभारे,
वो चौसर के सरताज है।
जहां किसी पर गिरे गाज,,
वहां सांप ऊपर बाज है।
कहां गए ये पंच तत्व सब,
जिन्हे भ्रम ने घेरा है।
द्रोपदी के चीर हरण को,,
इन सब ने ही उकेरा है।

इसके खून से वेणी धुलेगी,
प्रण करे भार्या के प्रहरी।
हे पांचाली! नमन करो इन्हे,
ये पांडवों के हृदय के भेरी।।

©Satish Kumar Meena

#हे पांचाली नमन करो

14 Love

बहुत मित्र कभी नहीं होते मित्र जीवन में कम ही हो सकते है पहचान बहुतों से हो सकती है सहजता बहुतों से हो सकती है पहचान दुनिया से हो सकती है उससे कम लोगो से संबंध हो सकते है उससे और कम लोगो से मित्रता हो सकती है उससे और कम लोगो पर विश्वास हो सकता है उससे भी और कम लोगो से प्रेम हो सकता है ऐसा प्रेम स्थायी और अनंत होता है जो जीवन की किसी परिस्थिति में समाप्त नहीं होता । ©seema patidar

#Bhakti  बहुत मित्र कभी नहीं होते 
मित्र जीवन में कम ही हो सकते है
पहचान बहुतों से हो सकती है
सहजता बहुतों से हो सकती है
पहचान दुनिया से हो सकती है
उससे कम लोगो से संबंध हो सकते है
उससे और कम लोगो से मित्रता हो सकती है
उससे और कम लोगो पर विश्वास हो सकता है
उससे भी और कम लोगो से प्रेम हो सकता है
ऐसा प्रेम स्थायी और अनंत होता है
जो जीवन की किसी परिस्थिति में समाप्त नहीं होता ।

©seema patidar

आनंद पथ

12 Love

#वीडियो #Shorts

धड़के दिल हमारा। #Shorts

99 View

White कहीं किसी रोज़ ये भी होता न तुम ही रहते न मैं ही होता फ़क़त हमारा हम ही रहता जुदा भी होते तो ग़म न होता. ©malay_28

#शायरी #हमारा  White कहीं  किसी रोज़  ये भी होता
न तुम ही रहते  न मैं  ही होता
फ़क़त  हमारा  हम  ही रहता
जुदा भी होते तो ग़म न होता.

©malay_28

#हमारा हम

11 Love

#मोटिवेशनल

जलना बंद करो

144 View

White पल्लव की डायरी धन्य हुयी आज तेरस आत्मशुद्धि का है दिबस विघता समोशरण योगनिरोध कर भगवन महावीर ने जितेंद्रीय कहलाये थे जन्म मरण से ऊपर उठकर लक्ष्मी रूपी बधू पाये थे चेतनता जगाने का था पर्ब मगर स्वरूप बाजारवाद ने ले लिया मिथ्याभावो का संचार करके मूल भावनाओं को पीछे छोड़ दिया धन नही,जीवन से ऊपर उठने की आलोकित धन्यतेरस है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #Dhanteras  White पल्लव की डायरी
धन्य हुयी आज तेरस
आत्मशुद्धि का है दिबस 
विघता समोशरण
योगनिरोध कर भगवन महावीर ने
जितेंद्रीय कहलाये थे
जन्म मरण से ऊपर उठकर
लक्ष्मी रूपी बधू पाये थे
चेतनता जगाने का था पर्ब
मगर स्वरूप बाजारवाद ने ले लिया
मिथ्याभावो का संचार करके
मूल भावनाओं को पीछे छोड़ दिया
धन नही,जीवन से ऊपर उठने की
आलोकित धन्यतेरस है
                                       प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#Dhanteras आलोकित धन्यतेरस है

22 Love

दुशासन ने चीरहरण किया,  प्रभु बचाने आए लाज तेरी। हे पांचाली! नमन करो इन्हे, ये पांडवों के हृदय के भेरी।। मन कर्म वचन ये सब, भरी सभा में मूक हुए। युधिष्ठिर भीम अर्जुन,, सबके निशाने चूक गए। ऐसा लगा मानवता के, पैर लड़खड़ाने वाले हैं। वो तो श्री कृष्ण है जो,, जग को बचाने वाले हैं। रण हुंकार भरेगी अब फिर, उठेगी लपटे बदले की तेरी। हे पांचाली! नमन करो इन्हे, ये पांडवों के हृदय के भेरी।। पतन को जतन से उभारे, वो चौसर के सरताज है। जहां किसी पर गिरे गाज,, वहां सांप ऊपर बाज है। कहां गए ये पंच तत्व सब, जिन्हे भ्रम ने घेरा है। द्रोपदी के चीर हरण को,, इन सब ने ही उकेरा है। इसके खून से वेणी धुलेगी, प्रण करे भार्या के प्रहरी। हे पांचाली! नमन करो इन्हे, ये पांडवों के हृदय के भेरी।। ©Satish Kumar Meena

#कविता #हे  दुशासन ने चीरहरण किया, 
प्रभु बचाने आए लाज तेरी।
हे पांचाली! नमन करो इन्हे,
ये पांडवों के हृदय के भेरी।।

मन कर्म वचन ये सब,
भरी सभा में मूक हुए।
युधिष्ठिर भीम अर्जुन,,
सबके निशाने चूक गए।
ऐसा लगा मानवता के,
पैर लड़खड़ाने वाले हैं।
वो तो श्री कृष्ण है जो,,
जग को बचाने वाले हैं।

रण हुंकार भरेगी अब फिर,
उठेगी लपटे बदले की तेरी।
हे पांचाली! नमन करो इन्हे,
ये पांडवों के हृदय के भेरी।।

पतन को जतन से उभारे,
वो चौसर के सरताज है।
जहां किसी पर गिरे गाज,,
वहां सांप ऊपर बाज है।
कहां गए ये पंच तत्व सब,
जिन्हे भ्रम ने घेरा है।
द्रोपदी के चीर हरण को,,
इन सब ने ही उकेरा है।

इसके खून से वेणी धुलेगी,
प्रण करे भार्या के प्रहरी।
हे पांचाली! नमन करो इन्हे,
ये पांडवों के हृदय के भेरी।।

©Satish Kumar Meena

#हे पांचाली नमन करो

14 Love

बहुत मित्र कभी नहीं होते मित्र जीवन में कम ही हो सकते है पहचान बहुतों से हो सकती है सहजता बहुतों से हो सकती है पहचान दुनिया से हो सकती है उससे कम लोगो से संबंध हो सकते है उससे और कम लोगो से मित्रता हो सकती है उससे और कम लोगो पर विश्वास हो सकता है उससे भी और कम लोगो से प्रेम हो सकता है ऐसा प्रेम स्थायी और अनंत होता है जो जीवन की किसी परिस्थिति में समाप्त नहीं होता । ©seema patidar

#Bhakti  बहुत मित्र कभी नहीं होते 
मित्र जीवन में कम ही हो सकते है
पहचान बहुतों से हो सकती है
सहजता बहुतों से हो सकती है
पहचान दुनिया से हो सकती है
उससे कम लोगो से संबंध हो सकते है
उससे और कम लोगो से मित्रता हो सकती है
उससे और कम लोगो पर विश्वास हो सकता है
उससे भी और कम लोगो से प्रेम हो सकता है
ऐसा प्रेम स्थायी और अनंत होता है
जो जीवन की किसी परिस्थिति में समाप्त नहीं होता ।

©seema patidar

आनंद पथ

12 Love

#वीडियो #Shorts

धड़के दिल हमारा। #Shorts

99 View

White कहीं किसी रोज़ ये भी होता न तुम ही रहते न मैं ही होता फ़क़त हमारा हम ही रहता जुदा भी होते तो ग़म न होता. ©malay_28

#शायरी #हमारा  White कहीं  किसी रोज़  ये भी होता
न तुम ही रहते  न मैं  ही होता
फ़क़त  हमारा  हम  ही रहता
जुदा भी होते तो ग़म न होता.

©malay_28

#हमारा हम

11 Love

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