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White पल्लव की डायरी इतिहासों से चरित्र गायब आधा अधूरा पाठ्यक्रमो में पढ़ाते है चेहरा भारतीयो का बिगाड़ दिया झूठ का ज्ञान परोसा जाता है त्योहार और उत्सव बाजारों से जुड़ गये अनावश्यक बस्तुओ से जोड़ा जाता है मेल मिलाप और अपनापन हैसियत से तौला जाता है क्रिया कलाप करना ही धर्म समझ लिया अन्तरकर्ण तक मूल पाठ नही जाता है सार्थकता त्योहारों की कौन समझता है बस देखा देखी में जग दौड़ा जाता है चरित्र निमार्ण की गतिविधियां गायब बस कानूनों से जग हाका जाता है नैनो परिवार परवान चढते पतन की ओर भारत जाता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #happy_diwali  White पल्लव की डायरी
इतिहासों से चरित्र गायब
आधा अधूरा पाठ्यक्रमो में पढ़ाते है
चेहरा भारतीयो का बिगाड़ दिया
 झूठ का ज्ञान परोसा जाता है
त्योहार और उत्सव बाजारों से जुड़ गये
अनावश्यक बस्तुओ से जोड़ा जाता है
मेल मिलाप और अपनापन 
हैसियत से तौला जाता है
क्रिया कलाप करना ही धर्म समझ लिया
अन्तरकर्ण तक मूल पाठ  नही  जाता है
सार्थकता त्योहारों की कौन समझता है
बस देखा देखी में जग दौड़ा जाता है
चरित्र निमार्ण की गतिविधियां गायब
बस कानूनों से जग हाका जाता है
नैनो परिवार परवान चढते
पतन की ओर भारत जाता है
                                           प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#happy_diwali साथर्कता त्योहारों की कौन समझता है

31 Love

White क्या मैं हूं कहीं, या मैं हूं ही नहीं तुम्हारी हर खुशियों के शोर शराबे में, किसी कोने कचोने में चीखें मेरी दबी पड़ी तुम्हारे उत्सव और त्योहारों में, घर में कभी ना मुझको मिली मौजूदगी,,, क्या मैं हूं कहीं या मैं हूं ही नहीं दिन भर के थके बदन के चूर चूर हालातों में, शामों के कामों व रात भर के दिल,मन,जज्बातों के मरे खून से चकनाचूर हुए बिखरे जर्जर शरीर की , तुम्हारे अरामो, विश्रामों या खिलखिलाकर बतियाती बातों से परे टूटे फूटे बदन की मेरी, नंगे पांव गुजरी जलती हर दोपहरी क्या मैं हूं कहीं,, या मैं हूं ही नहीं,,,, .................१............. ©Rakesh frnds4ever

#क्यामैंहूंकहीं #शोर_शराबे #खुशियों #हालातों #चकनाचूर #दोपहरी  White क्या मैं हूं कहीं,
या मैं हूं ही नहीं 

तुम्हारी हर खुशियों के शोर शराबे में,  किसी कोने कचोने में चीखें मेरी दबी पड़ी
तुम्हारे उत्सव और त्योहारों में, घर में कभी ना मुझको मिली मौजूदगी,,,

क्या मैं हूं कहीं 
या मैं हूं ही नहीं 

दिन भर के थके बदन के चूर चूर हालातों में, 
शामों के कामों व रात भर के  
दिल,मन,जज्बातों के मरे 
खून से चकनाचूर हुए बिखरे जर्जर शरीर की ,
 तुम्हारे अरामो, विश्रामों या खिलखिलाकर बतियाती बातों से परे 
टूटे फूटे बदन की मेरी, नंगे पांव गुजरी जलती हर दोपहरी
क्या मैं हूं कहीं,,
या मैं हूं ही नहीं,,,,
.................१.............

©Rakesh frnds4ever

#क्यामैंहूंकहीं या मैं हूं ही नहीं क्या #मैं हूं कहीं, या मैं हूं ही नहीं तुम्हारी हर #खुशियों के #शोर_शराबे में, किसी कोने कचोने में #

13 Love

White पल्लव की डायरी इतिहासों से चरित्र गायब आधा अधूरा पाठ्यक्रमो में पढ़ाते है चेहरा भारतीयो का बिगाड़ दिया झूठ का ज्ञान परोसा जाता है त्योहार और उत्सव बाजारों से जुड़ गये अनावश्यक बस्तुओ से जोड़ा जाता है मेल मिलाप और अपनापन हैसियत से तौला जाता है क्रिया कलाप करना ही धर्म समझ लिया अन्तरकर्ण तक मूल पाठ नही जाता है सार्थकता त्योहारों की कौन समझता है बस देखा देखी में जग दौड़ा जाता है चरित्र निमार्ण की गतिविधियां गायब बस कानूनों से जग हाका जाता है नैनो परिवार परवान चढते पतन की ओर भारत जाता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #happy_diwali  White पल्लव की डायरी
इतिहासों से चरित्र गायब
आधा अधूरा पाठ्यक्रमो में पढ़ाते है
चेहरा भारतीयो का बिगाड़ दिया
 झूठ का ज्ञान परोसा जाता है
त्योहार और उत्सव बाजारों से जुड़ गये
अनावश्यक बस्तुओ से जोड़ा जाता है
मेल मिलाप और अपनापन 
हैसियत से तौला जाता है
क्रिया कलाप करना ही धर्म समझ लिया
अन्तरकर्ण तक मूल पाठ  नही  जाता है
सार्थकता त्योहारों की कौन समझता है
बस देखा देखी में जग दौड़ा जाता है
चरित्र निमार्ण की गतिविधियां गायब
बस कानूनों से जग हाका जाता है
नैनो परिवार परवान चढते
पतन की ओर भारत जाता है
                                           प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#happy_diwali साथर्कता त्योहारों की कौन समझता है

31 Love

White क्या मैं हूं कहीं, या मैं हूं ही नहीं तुम्हारी हर खुशियों के शोर शराबे में, किसी कोने कचोने में चीखें मेरी दबी पड़ी तुम्हारे उत्सव और त्योहारों में, घर में कभी ना मुझको मिली मौजूदगी,,, क्या मैं हूं कहीं या मैं हूं ही नहीं दिन भर के थके बदन के चूर चूर हालातों में, शामों के कामों व रात भर के दिल,मन,जज्बातों के मरे खून से चकनाचूर हुए बिखरे जर्जर शरीर की , तुम्हारे अरामो, विश्रामों या खिलखिलाकर बतियाती बातों से परे टूटे फूटे बदन की मेरी, नंगे पांव गुजरी जलती हर दोपहरी क्या मैं हूं कहीं,, या मैं हूं ही नहीं,,,, .................१............. ©Rakesh frnds4ever

#क्यामैंहूंकहीं #शोर_शराबे #खुशियों #हालातों #चकनाचूर #दोपहरी  White क्या मैं हूं कहीं,
या मैं हूं ही नहीं 

तुम्हारी हर खुशियों के शोर शराबे में,  किसी कोने कचोने में चीखें मेरी दबी पड़ी
तुम्हारे उत्सव और त्योहारों में, घर में कभी ना मुझको मिली मौजूदगी,,,

क्या मैं हूं कहीं 
या मैं हूं ही नहीं 

दिन भर के थके बदन के चूर चूर हालातों में, 
शामों के कामों व रात भर के  
दिल,मन,जज्बातों के मरे 
खून से चकनाचूर हुए बिखरे जर्जर शरीर की ,
 तुम्हारे अरामो, विश्रामों या खिलखिलाकर बतियाती बातों से परे 
टूटे फूटे बदन की मेरी, नंगे पांव गुजरी जलती हर दोपहरी
क्या मैं हूं कहीं,,
या मैं हूं ही नहीं,,,,
.................१.............

©Rakesh frnds4ever

#क्यामैंहूंकहीं या मैं हूं ही नहीं क्या #मैं हूं कहीं, या मैं हूं ही नहीं तुम्हारी हर #खुशियों के #शोर_शराबे में, किसी कोने कचोने में #

13 Love

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