White जन्मभूमि राम की,
राम को ना जानते।
कुछ मंदबुद्धि है यहां,
जो राम को ना मानते ।
जन्म भूमि राम की,
और राम को न जानते।
कुछ मंदबुद्धि हैं यहां ,
जो राम को ना मानते ।
रघुकुल की एक मर्यादा थी,
वचनों पर जीवन सादा थी।
दुःख की सीमा का अंत नहीं
सुख जैसे आधा आधा थी।
खुद भगवन जिसके कायल थे
ये उन पर कीच उछालते।
कुछ मंद बुद्धि हैं यहां,
जो राम को ना मानते।
जो शिव धनुष को तोड़े थे,
जो सबको पीछे छोड़े थे।
जो शिव धनुष को तोड़े थे,
जो सबको पीछे छोड़े थे।
कुछ मानवी पिशाच हैं,
जो देव को ललकारते।
कुछ मंदबुद्धि हैं यहां,
जो राम को ना मानते ।
जो लांघ गई अग्नि को,
जो धरती में विलीन है।
जो लांघ गई अग्नि को,
जो धरती में विलीन है।
यह मांगते हैं साक्ष्य,
और अंजाम को न जानते ।
कुछ मंदबुद्धि हैं यहां,
जो राम को ना मानते ।
जो धू - धू करके जल गई ,
वह लंका भी एक गाथा है ।
जो धू धू करके जल गई,
वह लंका भी एक गाथा है ।
कलयुग के रावण तुम सुन लो,
हमें मजा चखाना आता है।
जिसके वीर भक्त हनुमान हुए,
तुम उनको ना पहचानते।
कुछ मंदबुद्धि हैं यहां,
जो राम को ना मानते।
थे राजपूत पर दंभ न था,
वानर, केेंवट भी मित्र हुए।
पग जहां जहां भी राम धरे
धरती से नभ सब इत्र हुए।
गुणगान नहीं कर सकते हैं,
ये अपनी राग आलापते।
कुछ मंदबुद्धि हैं यहां,
जो राम को ना मानते।
कुछ मंद बुद्धि हैं यहां,
जो खुद को ना पहचानते।
ये श्री राम को ना जानते।
हर्षा मिश्रा
©harsha mishra
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