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दीपक इसलिए वन्दनीय है क्यूंकि वह दूसरों के लिये जलता है, दूसरों से नहीं जलता है.. ©Sumit Kumar

#Motivational  दीपक इसलिए वन्दनीय है
 क्यूंकि वह दूसरों के लिये जलता है,
 दूसरों से नहीं 
जलता है..

©Sumit Kumar

दीपक़ का वंदन..

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White ...... श्री गणेशजी..... गणेश चतुर्थी को मैं क्या कर सकता हु । केवल गणेशजी को वंदन कर सकता हु । गणेशजी रिद्धि सिद्धि के दाता है । महादेव और पार्वती उनके मातापिता है । शुभ अवसर गणेशजी के बिना नहीं होता । शुभ अवसर पर वे हाजिर होते । धूप दीप करके उनकी पूजा होती है । प्रसाद में लडडू चढ़ने के होते है । देव मंदिर उनकी मूर्ति के बिना नहीं हो सकते । घर के दरवाजे पर उनकी मूर्ति होती है । किया श्री गणेश ऐसा लिखा जाता है । नाम उनका विघ्नहर्ता जैसा कोई नहीं है । लो बोलो मैं क्या कर सकता हु । मै केवल उनको वंदन कर सकता हु । ,, दिव्यकांत वि छाया " एकांत " भुज कच्छ ,, ©बेजुबान शायर shivkumar

#बेजुबानशायर143 #गणेशचतुर्थी #हिन्दीकविता #बेजुबानशायर #गणेशजी #कविता95  White ...... श्री गणेशजी.....

गणेश चतुर्थी को मैं क्या कर सकता हु ।
केवल गणेशजी को वंदन कर सकता हु ।

गणेशजी रिद्धि सिद्धि के दाता है ।
महादेव और पार्वती उनके मातापिता है ।

शुभ अवसर गणेशजी के बिना नहीं होता ।
शुभ अवसर पर वे हाजिर होते ।

धूप दीप करके उनकी पूजा होती है ।
प्रसाद में लडडू चढ़ने के होते है ।

देव मंदिर उनकी मूर्ति के बिना नहीं हो सकते ।
घर के दरवाजे पर उनकी मूर्ति होती है ।

किया श्री गणेश ऐसा लिखा जाता है ।
नाम उनका विघ्नहर्ता जैसा कोई नहीं है ।

लो बोलो मैं क्या कर सकता हु ।
मै केवल उनको वंदन कर सकता हु ।

,, दिव्यकांत वि छाया " एकांत " भुज कच्छ ,,

©बेजुबान शायर shivkumar

White मुक्तक :- आज मिलन में पूरी कर दो , गिरधर मेरी साध । वही सलोना श्याम मनोहर , दर्शन दियो अगाध । मैं बालक तुम स्वामी मेरे , हरिजन का हूँ दास - आज शरण में हो जब वंदन , दो बिसरा अपराध ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  White मुक्तक :-

आज मिलन में पूरी कर दो , गिरधर मेरी साध ।
वही सलोना श्याम मनोहर , दर्शन दियो अगाध ।
मैं बालक तुम स्वामी मेरे , हरिजन का हूँ दास -
आज शरण में हो जब वंदन , दो बिसरा अपराध ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मुक्तक :- आज मिलन में पूरी कर दो , गिरधर मेरी साध । वही सलोना श्याम मनोहर , दर्शन दियो अगाध । मैं बालक तुम स्वामी मेरे , हरिजन का हूँ दा

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दीपक इसलिए वन्दनीय है क्यूंकि वह दूसरों के लिये जलता है, दूसरों से नहीं जलता है.. ©Sumit Kumar

#Motivational  दीपक इसलिए वन्दनीय है
 क्यूंकि वह दूसरों के लिये जलता है,
 दूसरों से नहीं 
जलता है..

©Sumit Kumar

दीपक़ का वंदन..

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White ...... श्री गणेशजी..... गणेश चतुर्थी को मैं क्या कर सकता हु । केवल गणेशजी को वंदन कर सकता हु । गणेशजी रिद्धि सिद्धि के दाता है । महादेव और पार्वती उनके मातापिता है । शुभ अवसर गणेशजी के बिना नहीं होता । शुभ अवसर पर वे हाजिर होते । धूप दीप करके उनकी पूजा होती है । प्रसाद में लडडू चढ़ने के होते है । देव मंदिर उनकी मूर्ति के बिना नहीं हो सकते । घर के दरवाजे पर उनकी मूर्ति होती है । किया श्री गणेश ऐसा लिखा जाता है । नाम उनका विघ्नहर्ता जैसा कोई नहीं है । लो बोलो मैं क्या कर सकता हु । मै केवल उनको वंदन कर सकता हु । ,, दिव्यकांत वि छाया " एकांत " भुज कच्छ ,, ©बेजुबान शायर shivkumar

#बेजुबानशायर143 #गणेशचतुर्थी #हिन्दीकविता #बेजुबानशायर #गणेशजी #कविता95  White ...... श्री गणेशजी.....

गणेश चतुर्थी को मैं क्या कर सकता हु ।
केवल गणेशजी को वंदन कर सकता हु ।

गणेशजी रिद्धि सिद्धि के दाता है ।
महादेव और पार्वती उनके मातापिता है ।

शुभ अवसर गणेशजी के बिना नहीं होता ।
शुभ अवसर पर वे हाजिर होते ।

धूप दीप करके उनकी पूजा होती है ।
प्रसाद में लडडू चढ़ने के होते है ।

देव मंदिर उनकी मूर्ति के बिना नहीं हो सकते ।
घर के दरवाजे पर उनकी मूर्ति होती है ।

किया श्री गणेश ऐसा लिखा जाता है ।
नाम उनका विघ्नहर्ता जैसा कोई नहीं है ।

लो बोलो मैं क्या कर सकता हु ।
मै केवल उनको वंदन कर सकता हु ।

,, दिव्यकांत वि छाया " एकांत " भुज कच्छ ,,

©बेजुबान शायर shivkumar

White मुक्तक :- आज मिलन में पूरी कर दो , गिरधर मेरी साध । वही सलोना श्याम मनोहर , दर्शन दियो अगाध । मैं बालक तुम स्वामी मेरे , हरिजन का हूँ दास - आज शरण में हो जब वंदन , दो बिसरा अपराध ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  White मुक्तक :-

आज मिलन में पूरी कर दो , गिरधर मेरी साध ।
वही सलोना श्याम मनोहर , दर्शन दियो अगाध ।
मैं बालक तुम स्वामी मेरे , हरिजन का हूँ दास -
आज शरण में हो जब वंदन , दो बिसरा अपराध ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मुक्तक :- आज मिलन में पूरी कर दो , गिरधर मेरी साध । वही सलोना श्याम मनोहर , दर्शन दियो अगाध । मैं बालक तुम स्वामी मेरे , हरिजन का हूँ दा

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