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#Videos

वर्ण तथा वर्णमाला, त्रुटियॉं एवं भ्रम तथा तर्क और वैज्ञानिकता videos Shilpa Yadav @Vishalkumar "Vishal" @usFAUJI Dhanraj Gamare Raj k alf

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#Quotes

किसका परिचय - Katha Darshan

99 View

#मोटिवेशनल

*बेलागंज और इमामगंज उप चुनाव में जन सुराज के उम्मीदवारों का परिचय।* मोटिवेशनल कोट्स फॉर वर्क मोटिवेशनल कोट्स फॉर स्टूडेंट्स मोटिवेशनल कोट्स

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White रचना,,,,,,17,,,10,,,2024 वार,,,,,, गुरुवार ् समय सुबह ्््पांच बजें। सुबह ्््््निज विचार ्््् ््््््शीर्षक ््््् ््््् ््््कालक्रम में और सकल जगत सार में आप हम खैल खिलौने है,, सब घड़ी के सांस सार तत्व है ््् ््् ््््््समय,,, यात्रा,,,, गतिशील रहती घड़ी विलक्षण। प्रतिभा। प्रयोग ,, क़िया क़ियात्मक तथ्यों पर आधारित है ्् जीवन क़म। से एक सा। हो सके उतना आसान नहीं है,, भविष्य अपना काम शुरू कर देख रहा हूं। मैं आज चेहरे पर मुस्कान लिये अधरो पर मुखमंण्डल से अपनी रूह में , वक्त लगता नहीं है ,,, और चिन्तन में वक्त गुजर गया, वो लफ्जो का नूर सेहरा ताज उतर गया हैं।। आनेवाली पीढ़ी को राह दिखाने में क्या करें, कोई रिश्ता भेद भाव न कहीं हम दिलों सेवा मानव जीवन धर्म अन्त्याक्षरी,,, अपरा विद्या बालकं ज्ञानबोध गुरुकुलंन्यायपीठ ब़म्हकर्म मंत्रधर्म ,,,, बम्हसृष्टि कर्मनिष्ठभाव ब़म्हाण्ड स्वरध्वनि अखण्ड दिव्य चक्षु संवरचनानिर्राकारंओकारं,,, ्् आत्मज्योतिनवपिण्ड धर्मश्रंखला में महान् शिवतत्व शिवअंततत्व में वक्त लगता है।। प्रकृति प्राकृतिक प्रकृति से प्रेम करता निर्जन द्वीप में,,, सौर मंडल उर्जा शक्ति पूंज आत्मिक शक्ति आकर्षण में वक्त के ,रथ सारथी भास्कर रवि उदित कला पूर्ण किरणायभास्कराय नमः द्वितीय भाव में निश्चल सत्य अदृश्य शक्ति दिव्यता प्रदान करता है ।। सृष्टि ब़म्ह कर्ममंत्र यंत्र भाव में स्थित सोच आधार है ,, सकल जगत में जीव जीवाणु चराचर जगत सृजन सृष्टि अपरा विद्या मंदिर मनोमय में,,, प्रश्न प्रतिप्रश्न उत्तर है खुद से खूद में सवाल छुपा है ।। हम दिलों से असामान्य रूप से जीवन में जो कुछ भी हो रहा है,, वह अदभुत कल्पना में जींव जीवाश्म प्राणी में प्राण वायु नभमण्डलं से,, पंचतत्व विधान संहिता दर्शन में नर नारायण नर मादा में विचरण करते सकल जगत में जीव जीवाणु चराचर जगत सृष्टि विज्ञान है ।। जो धरती पर साकार लोक में भ़मण गति प्रगति अवगति सदगति स्वयंभू मणिधर धरा रसातलं नागलोक जो भी है।। यह कथन सच्चाई ज्ञानरस लोकसृजनमें यथायोग्य संस्कार में ज्ञानयज्ञं में ,, सृजन सृजित ईश्वर सत्य क़म चरण स्पर्श अनुसार पल घड़ी विलक्षण काल महाकाल गति प्रगति है ,।। जीवन सार सार्थक निर्णय स्वप्रयास ही सुन्दर सब कुछ तुम नर मुनि संन्यासी संत संन्यास आश्रम में जीवन जरूरी है जीवन का कमंयोग अन्तिम यात्रा अमर प्रेम कहलाता है।। ्््््कवि शैलेंद्र आनंद ्््् 17,,,,,,10,,,,2024 ©Shailendra Anand

#विचार #sunset_time  White रचना,,,,,,17,,,10,,,2024
वार,,,,,, गुरुवार
्
समय  सुबह ्््पांच   बजें।   सुबह 
्््््निज विचार ््््
््््््शीर्षक ्््््
्््््
््््कालक्रम में और सकल जगत सार में आप हम खैल खिलौने है,,
 सब घड़ी के सांस सार तत्व है ्््
्््
््््््समय,,, यात्रा,,,, गतिशील   रहती घड़ी   विलक्षण।  प्रतिभा।  प्रयोग ,,
  क़िया   क़ियात्मक तथ्यों  पर आधारित   है  ््
 जीवन   क़म।  से  एक  सा।  हो सके उतना आसान  नहीं   है,,
 भविष्य अपना काम शुरू कर देख रहा हूं। 
 मैं आज चेहरे पर मुस्कान लिये
  अधरो पर मुखमंण्डल से अपनी रूह में ,
 वक्त लगता नहीं है ,,,
और चिन्तन में वक्त गुजर गया,
 वो लफ्जो का नूर सेहरा ताज उतर गया हैं।।
 आनेवाली पीढ़ी को राह दिखाने में क्या करें,
 कोई रिश्ता भेद भाव न कहीं हम दिलों सेवा मानव जीवन धर्म अन्त्याक्षरी,,,
 अपरा विद्या बालकं ज्ञानबोध गुरुकुलंन्यायपीठ ब़म्हकर्म मंत्रधर्म ,,,,
बम्हसृष्टि कर्मनिष्ठभाव ब़म्हाण्ड स्वरध्वनि अखण्ड दिव्य चक्षु संवरचनानिर्राकारंओकारं,,,
्् आत्मज्योतिनवपिण्ड धर्मश्रंखला में महान् शिवतत्व शिवअंततत्व में वक्त लगता है।।
प्रकृति प्राकृतिक प्रकृति से प्रेम करता निर्जन द्वीप में,,,
सौर मंडल उर्जा शक्ति पूंज आत्मिक शक्ति आकर्षण में 
 वक्त के ,रथ सारथी भास्कर रवि उदित कला पूर्ण किरणायभास्कराय नमः 
द्वितीय भाव में निश्चल सत्य अदृश्य शक्ति दिव्यता प्रदान करता है ।।
सृष्टि ब़म्ह कर्ममंत्र यंत्र भाव में स्थित सोच आधार है ,,
सकल जगत में जीव जीवाणु चराचर जगत सृजन सृष्टि अपरा विद्या मंदिर मनोमय में,,,
 प्रश्न प्रतिप्रश्न उत्तर है खुद से खूद में सवाल छुपा है ।।
हम दिलों से असामान्य रूप से जीवन में जो कुछ भी हो रहा है,,
 वह अदभुत कल्पना में जींव जीवाश्म प्राणी में प्राण वायु नभमण्डलं से,,
 पंचतत्व विधान संहिता दर्शन में नर नारायण नर मादा में विचरण करते 
 सकल जगत में जीव जीवाणु चराचर जगत सृष्टि विज्ञान है ।।
जो धरती पर साकार लोक में भ़मण गति प्रगति अवगति सदगति
स्वयंभू मणिधर धरा रसातलं नागलोक जो भी है।।
यह कथन सच्चाई ज्ञानरस लोकसृजनमें यथायोग्य संस्कार में ज्ञानयज्ञं में ,,
सृजन सृजित ईश्वर सत्य क़म चरण स्पर्श अनुसार पल घड़ी विलक्षण काल महाकाल गति प्रगति है ,।।
जीवन सार सार्थक निर्णय स्वप्रयास ही सुन्दर सब कुछ तुम नर मुनि संन्यासी संत  संन्यास आश्रम में 
जीवन जरूरी है जीवन का कमंयोग अन्तिम यात्रा अमर प्रेम कहलाता है।।
्््््कवि शैलेंद्र आनंद ््््
17,,,,,,10,,,,2024

©Shailendra Anand

#sunset_time Kalki समय यात्रा गतिशील रहती है,, और हमारा परिचय समय गति है और मनुज देह है प्राण वायु है संभल जा मगर ख्याल आया है तेरा मेरे लि

15 Love

White विषय हिन्दी :- विधा दोहा हिन्दी हिन्दस्तान की , सुन लो होती शान । इसके देश विदेश में , है लाखो विद्वान ।।१ हिन्दी से नित मिल रहा , भारत को सम्मान । हिन्दी ही पहचान है , करो सदा गुणगान ।।२ हिन्दी-हिन्दी रट रहे , हिन्दी में कुछ खास । हिन्दी पढ़ ले आप तो , हो जाए विश्वास ।।३ प्रथम बोल नवजात के , माँ से हो शुरुआत । हिन्दी के यह बोल है , होता सबको ज्ञात ।।४ हिन्दी भाषा में भरा , सुनो ज्ञान भण्डार । वर्ण-वर्ण पढ़कर कभी , तुम भी करो विचार ।।५ ************************** मुक्तक :- हमें तो बोलना भी माँ सिखाती है सुनों हिन्दी । सभी स्वर के अलग लक्षण बताती है सुनों हिन्दी । रहूँ मैं दूर क्यूँ इससे सभी हैं काम रुक जाते - हमारी तो सभी खुशियां दिलाती है सुनों हिन्दी ।।१ नहीं भाषा गलत कोई मगर पहचान है हिन्दी । हमारी सभ्यता का नित करे व्याख्यान है हिन्दी । इसी में तो समाहित आज हिंदुस्तान है सारा - तभी तो हिन्द की देखो बनी अभिमान है हिन्दी ।।२ १४/०९/२०२३ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  White विषय       हिन्दी :- विधा        दोहा

हिन्दी हिन्दस्तान की , सुन लो होती शान ।
इसके देश विदेश में , है लाखो विद्वान ।।१

हिन्दी से नित मिल रहा , भारत को सम्मान ।
हिन्दी ही पहचान है , करो सदा गुणगान ।।२

हिन्दी-हिन्दी रट रहे , हिन्दी में कुछ खास ।
हिन्दी पढ़ ले आप तो , हो जाए विश्वास ।।३

प्रथम बोल नवजात के , माँ से हो शुरुआत ।
हिन्दी के यह बोल है , होता सबको ज्ञात ।।४

हिन्दी भाषा में भरा , सुनो ज्ञान भण्डार ।
वर्ण-वर्ण पढ़कर कभी , तुम भी करो विचार ।।५

**************************
मुक्तक :-

हमें  तो  बोलना भी  माँ  सिखाती  है  सुनों  हिन्दी ।
सभी स्वर  के अलग  लक्षण बताती है सुनों हिन्दी ।
रहूँ  मैं दूर क्यूँ  इससे  सभी  हैं काम  रुक  जाते -
हमारी तो  सभी  खुशियां  दिलाती  है सुनों हिन्दी ।।१

नहीं  भाषा  गलत  कोई  मगर  पहचान  है  हिन्दी ।
हमारी  सभ्यता का  नित  करे  व्याख्यान है हिन्दी ।
इसी  में  तो  समाहित  आज  हिंदुस्तान  है सारा -
तभी तो  हिन्द  की  देखो  बनी अभिमान है हिन्दी ।।२

१४/०९/२०२३     महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

विषय हिन्दी विधा दोहा हिन्दी हिन्दस्तान की , सुन लो होती शान । इसके देश विदेश में , है लाखो विद्वान ।।१ हिन्दी से नित मिल रह

13 Love

#भक्ति

बाइबल परिचय कक्षा-1 हमारी पिछली कक्षा से (ऑडियो) .. कृपया हमारी अगली कक्षा में शामिल हों .. भक्ति वीडियो

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#Videos

वर्ण तथा वर्णमाला, त्रुटियॉं एवं भ्रम तथा तर्क और वैज्ञानिकता videos Shilpa Yadav @Vishalkumar "Vishal" @usFAUJI Dhanraj Gamare Raj k alf

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#Quotes

किसका परिचय - Katha Darshan

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#मोटिवेशनल

*बेलागंज और इमामगंज उप चुनाव में जन सुराज के उम्मीदवारों का परिचय।* मोटिवेशनल कोट्स फॉर वर्क मोटिवेशनल कोट्स फॉर स्टूडेंट्स मोटिवेशनल कोट्स

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White रचना,,,,,,17,,,10,,,2024 वार,,,,,, गुरुवार ् समय सुबह ्््पांच बजें। सुबह ्््््निज विचार ्््् ््््््शीर्षक ््््् ््््् ््््कालक्रम में और सकल जगत सार में आप हम खैल खिलौने है,, सब घड़ी के सांस सार तत्व है ््् ््् ््््््समय,,, यात्रा,,,, गतिशील रहती घड़ी विलक्षण। प्रतिभा। प्रयोग ,, क़िया क़ियात्मक तथ्यों पर आधारित है ्् जीवन क़म। से एक सा। हो सके उतना आसान नहीं है,, भविष्य अपना काम शुरू कर देख रहा हूं। मैं आज चेहरे पर मुस्कान लिये अधरो पर मुखमंण्डल से अपनी रूह में , वक्त लगता नहीं है ,,, और चिन्तन में वक्त गुजर गया, वो लफ्जो का नूर सेहरा ताज उतर गया हैं।। आनेवाली पीढ़ी को राह दिखाने में क्या करें, कोई रिश्ता भेद भाव न कहीं हम दिलों सेवा मानव जीवन धर्म अन्त्याक्षरी,,, अपरा विद्या बालकं ज्ञानबोध गुरुकुलंन्यायपीठ ब़म्हकर्म मंत्रधर्म ,,,, बम्हसृष्टि कर्मनिष्ठभाव ब़म्हाण्ड स्वरध्वनि अखण्ड दिव्य चक्षु संवरचनानिर्राकारंओकारं,,, ्् आत्मज्योतिनवपिण्ड धर्मश्रंखला में महान् शिवतत्व शिवअंततत्व में वक्त लगता है।। प्रकृति प्राकृतिक प्रकृति से प्रेम करता निर्जन द्वीप में,,, सौर मंडल उर्जा शक्ति पूंज आत्मिक शक्ति आकर्षण में वक्त के ,रथ सारथी भास्कर रवि उदित कला पूर्ण किरणायभास्कराय नमः द्वितीय भाव में निश्चल सत्य अदृश्य शक्ति दिव्यता प्रदान करता है ।। सृष्टि ब़म्ह कर्ममंत्र यंत्र भाव में स्थित सोच आधार है ,, सकल जगत में जीव जीवाणु चराचर जगत सृजन सृष्टि अपरा विद्या मंदिर मनोमय में,,, प्रश्न प्रतिप्रश्न उत्तर है खुद से खूद में सवाल छुपा है ।। हम दिलों से असामान्य रूप से जीवन में जो कुछ भी हो रहा है,, वह अदभुत कल्पना में जींव जीवाश्म प्राणी में प्राण वायु नभमण्डलं से,, पंचतत्व विधान संहिता दर्शन में नर नारायण नर मादा में विचरण करते सकल जगत में जीव जीवाणु चराचर जगत सृष्टि विज्ञान है ।। जो धरती पर साकार लोक में भ़मण गति प्रगति अवगति सदगति स्वयंभू मणिधर धरा रसातलं नागलोक जो भी है।। यह कथन सच्चाई ज्ञानरस लोकसृजनमें यथायोग्य संस्कार में ज्ञानयज्ञं में ,, सृजन सृजित ईश्वर सत्य क़म चरण स्पर्श अनुसार पल घड़ी विलक्षण काल महाकाल गति प्रगति है ,।। जीवन सार सार्थक निर्णय स्वप्रयास ही सुन्दर सब कुछ तुम नर मुनि संन्यासी संत संन्यास आश्रम में जीवन जरूरी है जीवन का कमंयोग अन्तिम यात्रा अमर प्रेम कहलाता है।। ्््््कवि शैलेंद्र आनंद ्््् 17,,,,,,10,,,,2024 ©Shailendra Anand

#विचार #sunset_time  White रचना,,,,,,17,,,10,,,2024
वार,,,,,, गुरुवार
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समय  सुबह ्््पांच   बजें।   सुबह 
्््््निज विचार ््््
््््््शीर्षक ्््््
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््््कालक्रम में और सकल जगत सार में आप हम खैल खिलौने है,,
 सब घड़ी के सांस सार तत्व है ्््
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््््््समय,,, यात्रा,,,, गतिशील   रहती घड़ी   विलक्षण।  प्रतिभा।  प्रयोग ,,
  क़िया   क़ियात्मक तथ्यों  पर आधारित   है  ््
 जीवन   क़म।  से  एक  सा।  हो सके उतना आसान  नहीं   है,,
 भविष्य अपना काम शुरू कर देख रहा हूं। 
 मैं आज चेहरे पर मुस्कान लिये
  अधरो पर मुखमंण्डल से अपनी रूह में ,
 वक्त लगता नहीं है ,,,
और चिन्तन में वक्त गुजर गया,
 वो लफ्जो का नूर सेहरा ताज उतर गया हैं।।
 आनेवाली पीढ़ी को राह दिखाने में क्या करें,
 कोई रिश्ता भेद भाव न कहीं हम दिलों सेवा मानव जीवन धर्म अन्त्याक्षरी,,,
 अपरा विद्या बालकं ज्ञानबोध गुरुकुलंन्यायपीठ ब़म्हकर्म मंत्रधर्म ,,,,
बम्हसृष्टि कर्मनिष्ठभाव ब़म्हाण्ड स्वरध्वनि अखण्ड दिव्य चक्षु संवरचनानिर्राकारंओकारं,,,
्् आत्मज्योतिनवपिण्ड धर्मश्रंखला में महान् शिवतत्व शिवअंततत्व में वक्त लगता है।।
प्रकृति प्राकृतिक प्रकृति से प्रेम करता निर्जन द्वीप में,,,
सौर मंडल उर्जा शक्ति पूंज आत्मिक शक्ति आकर्षण में 
 वक्त के ,रथ सारथी भास्कर रवि उदित कला पूर्ण किरणायभास्कराय नमः 
द्वितीय भाव में निश्चल सत्य अदृश्य शक्ति दिव्यता प्रदान करता है ।।
सृष्टि ब़म्ह कर्ममंत्र यंत्र भाव में स्थित सोच आधार है ,,
सकल जगत में जीव जीवाणु चराचर जगत सृजन सृष्टि अपरा विद्या मंदिर मनोमय में,,,
 प्रश्न प्रतिप्रश्न उत्तर है खुद से खूद में सवाल छुपा है ।।
हम दिलों से असामान्य रूप से जीवन में जो कुछ भी हो रहा है,,
 वह अदभुत कल्पना में जींव जीवाश्म प्राणी में प्राण वायु नभमण्डलं से,,
 पंचतत्व विधान संहिता दर्शन में नर नारायण नर मादा में विचरण करते 
 सकल जगत में जीव जीवाणु चराचर जगत सृष्टि विज्ञान है ।।
जो धरती पर साकार लोक में भ़मण गति प्रगति अवगति सदगति
स्वयंभू मणिधर धरा रसातलं नागलोक जो भी है।।
यह कथन सच्चाई ज्ञानरस लोकसृजनमें यथायोग्य संस्कार में ज्ञानयज्ञं में ,,
सृजन सृजित ईश्वर सत्य क़म चरण स्पर्श अनुसार पल घड़ी विलक्षण काल महाकाल गति प्रगति है ,।।
जीवन सार सार्थक निर्णय स्वप्रयास ही सुन्दर सब कुछ तुम नर मुनि संन्यासी संत  संन्यास आश्रम में 
जीवन जरूरी है जीवन का कमंयोग अन्तिम यात्रा अमर प्रेम कहलाता है।।
्््््कवि शैलेंद्र आनंद ््््
17,,,,,,10,,,,2024

©Shailendra Anand

#sunset_time Kalki समय यात्रा गतिशील रहती है,, और हमारा परिचय समय गति है और मनुज देह है प्राण वायु है संभल जा मगर ख्याल आया है तेरा मेरे लि

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White विषय हिन्दी :- विधा दोहा हिन्दी हिन्दस्तान की , सुन लो होती शान । इसके देश विदेश में , है लाखो विद्वान ।।१ हिन्दी से नित मिल रहा , भारत को सम्मान । हिन्दी ही पहचान है , करो सदा गुणगान ।।२ हिन्दी-हिन्दी रट रहे , हिन्दी में कुछ खास । हिन्दी पढ़ ले आप तो , हो जाए विश्वास ।।३ प्रथम बोल नवजात के , माँ से हो शुरुआत । हिन्दी के यह बोल है , होता सबको ज्ञात ।।४ हिन्दी भाषा में भरा , सुनो ज्ञान भण्डार । वर्ण-वर्ण पढ़कर कभी , तुम भी करो विचार ।।५ ************************** मुक्तक :- हमें तो बोलना भी माँ सिखाती है सुनों हिन्दी । सभी स्वर के अलग लक्षण बताती है सुनों हिन्दी । रहूँ मैं दूर क्यूँ इससे सभी हैं काम रुक जाते - हमारी तो सभी खुशियां दिलाती है सुनों हिन्दी ।।१ नहीं भाषा गलत कोई मगर पहचान है हिन्दी । हमारी सभ्यता का नित करे व्याख्यान है हिन्दी । इसी में तो समाहित आज हिंदुस्तान है सारा - तभी तो हिन्द की देखो बनी अभिमान है हिन्दी ।।२ १४/०९/२०२३ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  White विषय       हिन्दी :- विधा        दोहा

हिन्दी हिन्दस्तान की , सुन लो होती शान ।
इसके देश विदेश में , है लाखो विद्वान ।।१

हिन्दी से नित मिल रहा , भारत को सम्मान ।
हिन्दी ही पहचान है , करो सदा गुणगान ।।२

हिन्दी-हिन्दी रट रहे , हिन्दी में कुछ खास ।
हिन्दी पढ़ ले आप तो , हो जाए विश्वास ।।३

प्रथम बोल नवजात के , माँ से हो शुरुआत ।
हिन्दी के यह बोल है , होता सबको ज्ञात ।।४

हिन्दी भाषा में भरा , सुनो ज्ञान भण्डार ।
वर्ण-वर्ण पढ़कर कभी , तुम भी करो विचार ।।५

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मुक्तक :-

हमें  तो  बोलना भी  माँ  सिखाती  है  सुनों  हिन्दी ।
सभी स्वर  के अलग  लक्षण बताती है सुनों हिन्दी ।
रहूँ  मैं दूर क्यूँ  इससे  सभी  हैं काम  रुक  जाते -
हमारी तो  सभी  खुशियां  दिलाती  है सुनों हिन्दी ।।१

नहीं  भाषा  गलत  कोई  मगर  पहचान  है  हिन्दी ।
हमारी  सभ्यता का  नित  करे  व्याख्यान है हिन्दी ।
इसी  में  तो  समाहित  आज  हिंदुस्तान  है सारा -
तभी तो  हिन्द  की  देखो  बनी अभिमान है हिन्दी ।।२

१४/०९/२०२३     महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

विषय हिन्दी विधा दोहा हिन्दी हिन्दस्तान की , सुन लो होती शान । इसके देश विदेश में , है लाखो विद्वान ।।१ हिन्दी से नित मिल रह

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