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ख़्वाहिश कब लेती मंज़ूरी, रहती मन की बात अधूरी, भाग्य साथ देता तो होती, मनोकामनाएं सब पूरी, दीदावर मिल जाए सच्चा, नर्गिस कभी न हो बेनूरी, लोग मुकर जाते वादे से, रहती होगी कुछ मज़बूरी, मनचाहा मिल जाए कैसे, क़िस्मत के हाथों में छूरी, हरपा हुआ नहीं फल देता, छल प्रपंच से रखना दूरी, जीवन सफ़ल बना देता है, 'गुंजन' श्रद्धा और सबूरी, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra

#ख़्वाहिश #कविता  ख़्वाहिश कब लेती मंज़ूरी,
रहती मन की बात अधूरी,

भाग्य साथ देता तो होती,
मनोकामनाएं  सब   पूरी,

दीदावर मिल जाए सच्चा,
नर्गिस कभी न हो  बेनूरी,

लोग  मुकर जाते वादे से,
रहती होगी कुछ मज़बूरी,

मनचाहा मिल जाए कैसे,
क़िस्मत के हाथों में छूरी,

हरपा हुआ नहीं फल देता,
छल प्रपंच से  रखना दूरी,

जीवन सफ़ल बना देता है,
'गुंजन' श्रद्धा  और  सबूरी,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
      प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra

#ख़्वाहिश कब लेती मंजूरी#

15 Love

White ग़ज़ल: आदतें हैं छूटती नहीं, चाहे कितनी कोशिश कर लो, अनमोल चीज़ें समझ में आएं, ये सभी से चाह कर लो। सेवा भी मुफ़्त कब तक, कोई दिल से करे, भूख का सवाल है, इसे अब तो समझ कर लो। मुफ़लिसी में भूख का दर्द कोई सह पाता नहीं, पैसों के बिना कोई रिश्ता चल पाता नहीं। ज़िंदगी की हर ख़्वाहिश पैसों पर ठहरती है, वरना ख़ुशियों की राह तो कहीं जा पाती नहीं। इन अशआर में ज़िंदगी का हर रंग सिमट आया है, सच कहें तो यही हकीकत समझ में आता नहीं। ©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma

#शायरी #good_night  White 

ग़ज़ल:

आदतें हैं छूटती नहीं, चाहे कितनी कोशिश कर लो,
अनमोल चीज़ें समझ में आएं, ये सभी से चाह कर लो।

सेवा भी मुफ़्त कब तक, कोई दिल से करे,
भूख का सवाल है, इसे अब तो समझ कर लो।

मुफ़लिसी में भूख का दर्द कोई सह पाता नहीं,
पैसों के बिना कोई रिश्ता चल पाता नहीं।

ज़िंदगी की हर ख़्वाहिश पैसों पर ठहरती है,
वरना ख़ुशियों की राह तो कहीं जा पाती नहीं।

इन अशआर में ज़िंदगी का हर रंग सिमट आया है,
सच कहें तो यही हकीकत समझ में आता नहीं।

©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma

ग़ज़ल: आदतें हैं छूटती नहीं, चाहे कितनी कोशिश कर लो, अनमोल चीज़ें समझ में आएं, ये सभी से चाह कर लो। सेवा भी मुफ़्त कब तक, कोई दिल से

18 Love

White ज़िंदगी से यही गिला है मुझे, तू बहुत देर से मिला है मुझे, तू मोहब्बत से कोई चाल तो चल, हार जाने का हौसला है मुझे, दिल धड़कता नहीं टपकता है, कल जो ख़्वाहिश थी आबला है मुझे, हम-सफ़र चाहिए हुजूम नहीं, इक मुसाफ़िर भी क़ाफ़िला है मुझे, कोहकन हो कि क़ैस हो कि 'फ़राज़', सब में इक शख़्स ही मिला है मुझे !! ©BROKENBOY

#Thinking  White ज़िंदगी से यही गिला है मुझे,
तू बहुत देर से मिला है मुझे,

तू मोहब्बत से कोई चाल तो चल,
हार जाने का हौसला है मुझे,

दिल धड़कता नहीं टपकता है,
कल जो ख़्वाहिश थी आबला है मुझे,

हम-सफ़र चाहिए हुजूम नहीं,
इक मुसाफ़िर भी क़ाफ़िला है मुझे,

कोहकन हो कि क़ैस हो कि 'फ़राज़',
सब में इक शख़्स ही मिला है मुझे !!

©BROKENBOY

#Thinking ज़िंदगी से यही गिला है मुझे, तू बहुत देर से मिला है मुझे, तू मोहब्बत से कोई चाल तो चल, हार जाने का हौसला है मुझे, दिल धड़कता नह

13 Love

ख़्वाहिश कब लेती मंज़ूरी, रहती मन की बात अधूरी, भाग्य साथ देता तो होती, मनोकामनाएं सब पूरी, दीदावर मिल जाए सच्चा, नर्गिस कभी न हो बेनूरी, लोग मुकर जाते वादे से, रहती होगी कुछ मज़बूरी, मनचाहा मिल जाए कैसे, क़िस्मत के हाथों में छूरी, हरपा हुआ नहीं फल देता, छल प्रपंच से रखना दूरी, जीवन सफ़ल बना देता है, 'गुंजन' श्रद्धा और सबूरी, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra

#ख़्वाहिश #कविता  ख़्वाहिश कब लेती मंज़ूरी,
रहती मन की बात अधूरी,

भाग्य साथ देता तो होती,
मनोकामनाएं  सब   पूरी,

दीदावर मिल जाए सच्चा,
नर्गिस कभी न हो  बेनूरी,

लोग  मुकर जाते वादे से,
रहती होगी कुछ मज़बूरी,

मनचाहा मिल जाए कैसे,
क़िस्मत के हाथों में छूरी,

हरपा हुआ नहीं फल देता,
छल प्रपंच से  रखना दूरी,

जीवन सफ़ल बना देता है,
'गुंजन' श्रद्धा  और  सबूरी,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
      प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra

#ख़्वाहिश कब लेती मंजूरी#

15 Love

White ग़ज़ल: आदतें हैं छूटती नहीं, चाहे कितनी कोशिश कर लो, अनमोल चीज़ें समझ में आएं, ये सभी से चाह कर लो। सेवा भी मुफ़्त कब तक, कोई दिल से करे, भूख का सवाल है, इसे अब तो समझ कर लो। मुफ़लिसी में भूख का दर्द कोई सह पाता नहीं, पैसों के बिना कोई रिश्ता चल पाता नहीं। ज़िंदगी की हर ख़्वाहिश पैसों पर ठहरती है, वरना ख़ुशियों की राह तो कहीं जा पाती नहीं। इन अशआर में ज़िंदगी का हर रंग सिमट आया है, सच कहें तो यही हकीकत समझ में आता नहीं। ©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma

#शायरी #good_night  White 

ग़ज़ल:

आदतें हैं छूटती नहीं, चाहे कितनी कोशिश कर लो,
अनमोल चीज़ें समझ में आएं, ये सभी से चाह कर लो।

सेवा भी मुफ़्त कब तक, कोई दिल से करे,
भूख का सवाल है, इसे अब तो समझ कर लो।

मुफ़लिसी में भूख का दर्द कोई सह पाता नहीं,
पैसों के बिना कोई रिश्ता चल पाता नहीं।

ज़िंदगी की हर ख़्वाहिश पैसों पर ठहरती है,
वरना ख़ुशियों की राह तो कहीं जा पाती नहीं।

इन अशआर में ज़िंदगी का हर रंग सिमट आया है,
सच कहें तो यही हकीकत समझ में आता नहीं।

©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma

ग़ज़ल: आदतें हैं छूटती नहीं, चाहे कितनी कोशिश कर लो, अनमोल चीज़ें समझ में आएं, ये सभी से चाह कर लो। सेवा भी मुफ़्त कब तक, कोई दिल से

18 Love

White ज़िंदगी से यही गिला है मुझे, तू बहुत देर से मिला है मुझे, तू मोहब्बत से कोई चाल तो चल, हार जाने का हौसला है मुझे, दिल धड़कता नहीं टपकता है, कल जो ख़्वाहिश थी आबला है मुझे, हम-सफ़र चाहिए हुजूम नहीं, इक मुसाफ़िर भी क़ाफ़िला है मुझे, कोहकन हो कि क़ैस हो कि 'फ़राज़', सब में इक शख़्स ही मिला है मुझे !! ©BROKENBOY

#Thinking  White ज़िंदगी से यही गिला है मुझे,
तू बहुत देर से मिला है मुझे,

तू मोहब्बत से कोई चाल तो चल,
हार जाने का हौसला है मुझे,

दिल धड़कता नहीं टपकता है,
कल जो ख़्वाहिश थी आबला है मुझे,

हम-सफ़र चाहिए हुजूम नहीं,
इक मुसाफ़िर भी क़ाफ़िला है मुझे,

कोहकन हो कि क़ैस हो कि 'फ़राज़',
सब में इक शख़्स ही मिला है मुझे !!

©BROKENBOY

#Thinking ज़िंदगी से यही गिला है मुझे, तू बहुत देर से मिला है मुझे, तू मोहब्बत से कोई चाल तो चल, हार जाने का हौसला है मुझे, दिल धड़कता नह

13 Love

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