White मोहब्बत का इज़हार , ज़िन्दगी का इंतज़ार बन गया
मेरा महबूब किसी और के गले का हार बन गया
रहता हूँ आज कल रात की रुस्वाई में
करता हूँ बातें अपनी परछाई से
चाहता था जिसको अपना मान कर
आज चाँद मेरी तन्हाई का यार बन गया
मेरा पहला प्यार अधूरा रह गया
ना जाने उनको अपने ख्वाबों में क्या कुछ कह गया
लिखते - लिखते मैं भी अपनी भावनाओं में बह गया
उनका चेहरा मेरी ज़िन्दगी का पहला और आखिरी दीदार बन गया
ना जाने क्या गलती हुई उनको समझाने में
ना कोई क्यों देर हुई उनको अपना बनाने में
जब भी सोचता हूँ उनकी यादों को अपने ख्यालों में
मेरे सीने का हर जज़्बात अब मोहब्बत का बाज़ार बन गया
कहीं दिल तोड़े हैं उन्होंने अपने हुस्न के ग़ुरूर में
वोह रहते हैं हर पल अपनी जवानी के सुरूर में
ना जाने कितने लोग बर्बाद हुए मोहब्बत के इनकार में
लगता मासूमों के दिल से खेलना हसीनों का व्यापार बन गया
हर जगह खूबसूरती का मेला हैं , फिर भी हर इंसान अकेला हैं
मेरा लिखा हुआ हर अल्फाज़ उनकी बेवफाई का उपहार बन गया
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©Sethi Ji
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