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White पल्लव की डायरी शिकार पर निकला है शिकारी भरम का जाल फैलाता है जीत ना सका दिल जनता का बटोगे तो कटोगे का डर जनता को दिखाता है उन्माद फैलाकर सत्ता को चूमना चाहता है गायब हो गया राष्ट्रवाद ख़ौप का प्रयोग करके चुनावी वैतरणी पार करना चाहता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #life_quotes  White पल्लव की डायरी
शिकार पर निकला है शिकारी
भरम का जाल फैलाता है
जीत ना सका दिल जनता का
बटोगे तो कटोगे का डर
जनता को दिखाता है
उन्माद फैलाकर 
सत्ता को चूमना चाहता है
गायब हो गया राष्ट्रवाद
ख़ौप का प्रयोग करके
चुनावी वैतरणी पार करना चाहता है
                                          प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#life_quotes शिकार पर निकला है शिकारी

23 Love

#कविता

मैं

162 View

इन सर्द रास्तों पर कहीं ठहरा हुआ हूँ मैं एक खौफनाक अंधेरा है पूरी शिद्दत से गिरफ्त में लिए मुझे रिमझिम बरसती बूंदे जिस्म से फिसलते हुए बहा ले जा रही है मेरे भीतर का कतरा कतरा दुख हथेलियों में समेट रहा हूँ बारिशें पर ये टिकती नहीं सर्द हवाएँ अंदर तक कुरेद रही है मुझे मैं बस ख़ामोश हूँ… इतना खामोश अपने अंदर के शोर को साफ साफ सुन पा रहा हूँ मैं … मैं तय कर लेना चाहता हूँ ये सफर मिटाना चाहता हूँ जिंदगी की पगडंडियों से गुजरती तुम्हारी यादें भूलना चाहता हूॅं तुम्हारी खनकती हँसी खुद को… यक़ीन दिलाना चाहता हूॅं तुम नहीं हो अब …. तुम नहीं हो ….नहीं हो तुम इन भीगी हुई हथेलियों के बीच गुनगुनी छुअन बन कर सुनसान सड़क पर रफ्तार से गुजरते शोर के दरमियाँ मेरे साथ नहीं हो तुम मेरी अँगुलियों से फिसलती बूंद सी तुम. ©हिमांशु Kulshreshtha

#कविता  इन सर्द रास्तों पर
कहीं ठहरा हुआ हूँ मैं
एक खौफनाक अंधेरा है
पूरी शिद्दत से गिरफ्त में लिए मुझे
रिमझिम बरसती बूंदे जिस्म से फिसलते हुए
बहा ले जा रही है
मेरे भीतर का कतरा कतरा दुख
हथेलियों में समेट रहा हूँ
बारिशें पर ये टिकती नहीं
सर्द हवाएँ अंदर तक
कुरेद रही है मुझे
मैं बस ख़ामोश हूँ… इतना खामोश
अपने अंदर के शोर को
साफ साफ सुन पा रहा हूँ मैं …
मैं तय कर लेना चाहता हूँ ये सफर
मिटाना चाहता हूँ
जिंदगी की पगडंडियों से
गुजरती तुम्हारी यादें
भूलना चाहता हूॅं
तुम्हारी खनकती हँसी
खुद को…
यक़ीन दिलाना चाहता हूॅं
तुम नहीं हो अब ….
तुम नहीं हो ….नहीं हो तुम
इन भीगी हुई हथेलियों के बीच
गुनगुनी छुअन बन कर
सुनसान सड़क पर
रफ्तार से गुजरते शोर के दरमियाँ
मेरे साथ नहीं हो तुम
मेरी अँगुलियों से फिसलती बूंद सी तुम.

©हिमांशु Kulshreshtha

मैं...

3 Love

#वीडियो

सीमावर्ती इलाके में निकला 12 वफात का जुलूस

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White मै ही रहा मन से दग्ध और देह से शापित दर्द उगता है दिल में तेरी यादों के जालों से घिरा रहता हूँ मैं अकुलाता उमड़ते ज्वार सा ©हिमांशु Kulshreshtha

 White मै ही रहा मन से दग्ध
और देह से शापित
दर्द उगता है दिल में
तेरी यादों के जालों से
घिरा रहता हूँ मैं
अकुलाता उमड़ते ज्वार सा

©हिमांशु Kulshreshtha

मैं....

17 Love

#HeartfeltMessage #कविता

#HeartfeltMessage मैं घर से निकला था

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White पल्लव की डायरी शिकार पर निकला है शिकारी भरम का जाल फैलाता है जीत ना सका दिल जनता का बटोगे तो कटोगे का डर जनता को दिखाता है उन्माद फैलाकर सत्ता को चूमना चाहता है गायब हो गया राष्ट्रवाद ख़ौप का प्रयोग करके चुनावी वैतरणी पार करना चाहता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #life_quotes  White पल्लव की डायरी
शिकार पर निकला है शिकारी
भरम का जाल फैलाता है
जीत ना सका दिल जनता का
बटोगे तो कटोगे का डर
जनता को दिखाता है
उन्माद फैलाकर 
सत्ता को चूमना चाहता है
गायब हो गया राष्ट्रवाद
ख़ौप का प्रयोग करके
चुनावी वैतरणी पार करना चाहता है
                                          प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#life_quotes शिकार पर निकला है शिकारी

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#कविता

मैं

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इन सर्द रास्तों पर कहीं ठहरा हुआ हूँ मैं एक खौफनाक अंधेरा है पूरी शिद्दत से गिरफ्त में लिए मुझे रिमझिम बरसती बूंदे जिस्म से फिसलते हुए बहा ले जा रही है मेरे भीतर का कतरा कतरा दुख हथेलियों में समेट रहा हूँ बारिशें पर ये टिकती नहीं सर्द हवाएँ अंदर तक कुरेद रही है मुझे मैं बस ख़ामोश हूँ… इतना खामोश अपने अंदर के शोर को साफ साफ सुन पा रहा हूँ मैं … मैं तय कर लेना चाहता हूँ ये सफर मिटाना चाहता हूँ जिंदगी की पगडंडियों से गुजरती तुम्हारी यादें भूलना चाहता हूॅं तुम्हारी खनकती हँसी खुद को… यक़ीन दिलाना चाहता हूॅं तुम नहीं हो अब …. तुम नहीं हो ….नहीं हो तुम इन भीगी हुई हथेलियों के बीच गुनगुनी छुअन बन कर सुनसान सड़क पर रफ्तार से गुजरते शोर के दरमियाँ मेरे साथ नहीं हो तुम मेरी अँगुलियों से फिसलती बूंद सी तुम. ©हिमांशु Kulshreshtha

#कविता  इन सर्द रास्तों पर
कहीं ठहरा हुआ हूँ मैं
एक खौफनाक अंधेरा है
पूरी शिद्दत से गिरफ्त में लिए मुझे
रिमझिम बरसती बूंदे जिस्म से फिसलते हुए
बहा ले जा रही है
मेरे भीतर का कतरा कतरा दुख
हथेलियों में समेट रहा हूँ
बारिशें पर ये टिकती नहीं
सर्द हवाएँ अंदर तक
कुरेद रही है मुझे
मैं बस ख़ामोश हूँ… इतना खामोश
अपने अंदर के शोर को
साफ साफ सुन पा रहा हूँ मैं …
मैं तय कर लेना चाहता हूँ ये सफर
मिटाना चाहता हूँ
जिंदगी की पगडंडियों से
गुजरती तुम्हारी यादें
भूलना चाहता हूॅं
तुम्हारी खनकती हँसी
खुद को…
यक़ीन दिलाना चाहता हूॅं
तुम नहीं हो अब ….
तुम नहीं हो ….नहीं हो तुम
इन भीगी हुई हथेलियों के बीच
गुनगुनी छुअन बन कर
सुनसान सड़क पर
रफ्तार से गुजरते शोर के दरमियाँ
मेरे साथ नहीं हो तुम
मेरी अँगुलियों से फिसलती बूंद सी तुम.

©हिमांशु Kulshreshtha

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सीमावर्ती इलाके में निकला 12 वफात का जुलूस

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White मै ही रहा मन से दग्ध और देह से शापित दर्द उगता है दिल में तेरी यादों के जालों से घिरा रहता हूँ मैं अकुलाता उमड़ते ज्वार सा ©हिमांशु Kulshreshtha

 White मै ही रहा मन से दग्ध
और देह से शापित
दर्द उगता है दिल में
तेरी यादों के जालों से
घिरा रहता हूँ मैं
अकुलाता उमड़ते ज्वार सा

©हिमांशु Kulshreshtha

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#HeartfeltMessage #कविता

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