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White कितना सुकून है तेरे एक नाम में सारे गम यू ही मिट जाते हैं, कहते है अंतर्यामी है तू फिर भी तुझे अपना दुखड़ा सुनते हैं। जानते है कुछ नहीं झुपता तुझसे इस संसार में, फिर भी हम सब कह जाते हैं। ©Lovely Love

#भगवान #विचार  White कितना सुकून है तेरे एक नाम में सारे गम यू ही मिट जाते हैं, कहते है अंतर्यामी है तू फिर भी तुझे अपना दुखड़ा सुनते हैं। जानते है कुछ नहीं झुपता तुझसे इस संसार में, फिर भी हम सब कह जाते हैं।

©Lovely Love
#फ़िल्म #writerRamukumar #Thinking #Hindi  White सपनों की उड़ान-हिंदी कहानी (भाग 18) 
में आपका स्वागत है!
कर्मचारी उसे स्टेशन से बाहर ले जाकर खाना खिलाता हैं!
तब तक कर्मचारी का छुट्टी होने का समय हो जाता है! छुट्टी होते ही कर्मचारी अपने साथ नंदू को लेकर अपने क्वार्टर के तरफ चल देता है!रास्ते में बारिश आ जाती है! कर्मचारी मुंह से कठोर लेकिन आत्मा से बहुत ही दयालुवान था!अपना छाता खोलते हुए,नंदू से बोलता है बारिश आ गई है, छाते में आ जाओ!

कुछ देर चलने के बाद कर्मचारी का क्वार्टर आता है ! कर्मचारी अपने दरबाजे पे पहुंचकर ऊंचे स्वर में बोलता है,शिखा.... ओ शिखा.......!

अंदर से आवाज आती है, जी.. बाबू जी...,आई.., नंदू तब तक बाहर लगे दरवाजे को बड़े ध्यान से देख रहा था ! जो की,
बरसाती पानी पी.. पी.. कर जगह- जगह टूट चुका  था!

©writer Ramu kumar
#एकलव्य #भक्ति

Bhagavan kise nahin dikhte hain? नाहं प्रकाश: सर्वस्य योगमायासमावृत: । मूढोऽयं नाभिजानाति लोको मामजमव्ययम् ॥ मैं मूर्खों और मूर्खों के लिए कभी भी प्रकट नहीं होता। उनके लिए मैं अपनी आंतरिक शक्ति से ढका हुआ हूँ, और इसलिए वे यह नहीं जानते कि मैं अजन्मा और अचूक हूँ। ©Heer

#भगवान #Thinking #Quotes  Bhagavan kise nahin dikhte hain?

नाहं प्रकाश: सर्वस्य योगमायासमावृत: ।
मूढोऽयं नाभिजानाति लोको मामजमव्ययम् ॥

मैं मूर्खों और मूर्खों के लिए 
कभी भी प्रकट नहीं होता। 
उनके लिए मैं अपनी 
आंतरिक शक्ति से ढका हुआ हूँ, 
और इसलिए वे यह नहीं जानते कि
 मैं अजन्मा और अचूक हूँ।

©Heer

#Thinking #भगवान किसे नहीं दिखते?

19 Love

#कविता #तू

#तू तेरा भगवान💖

243 View

शांत चित बैठा एक बालक चारों ओर से काम क्रोध मद लोभ जैसी चल रही थी उसके इर्द-गिर्द आंधी। मुख पर उनके अविरल तेज था हवाओं में मंद मंद सुगंध इससे भी बढ़कर सर पर चढ़कर बोल रही थी उनकी समाधि।। ©Abhishek tripathi#chgr@c

#मोटिवेशनल  शांत चित बैठा एक बालक चारों ओर से
 काम क्रोध मद लोभ जैसी 
चल रही थी उसके इर्द-गिर्द आंधी।

मुख पर उनके अविरल तेज था हवाओं में मंद मंद
 सुगंध इससे भी बढ़कर 
सर पर चढ़कर बोल रही थी उनकी समाधि।।

©Abhishek tripathi#chgr@c

#"भगवान वेदव्यास जी"...

10 Love

White कितना सुकून है तेरे एक नाम में सारे गम यू ही मिट जाते हैं, कहते है अंतर्यामी है तू फिर भी तुझे अपना दुखड़ा सुनते हैं। जानते है कुछ नहीं झुपता तुझसे इस संसार में, फिर भी हम सब कह जाते हैं। ©Lovely Love

#भगवान #विचार  White कितना सुकून है तेरे एक नाम में सारे गम यू ही मिट जाते हैं, कहते है अंतर्यामी है तू फिर भी तुझे अपना दुखड़ा सुनते हैं। जानते है कुछ नहीं झुपता तुझसे इस संसार में, फिर भी हम सब कह जाते हैं।

©Lovely Love
#फ़िल्म #writerRamukumar #Thinking #Hindi  White सपनों की उड़ान-हिंदी कहानी (भाग 18) 
में आपका स्वागत है!
कर्मचारी उसे स्टेशन से बाहर ले जाकर खाना खिलाता हैं!
तब तक कर्मचारी का छुट्टी होने का समय हो जाता है! छुट्टी होते ही कर्मचारी अपने साथ नंदू को लेकर अपने क्वार्टर के तरफ चल देता है!रास्ते में बारिश आ जाती है! कर्मचारी मुंह से कठोर लेकिन आत्मा से बहुत ही दयालुवान था!अपना छाता खोलते हुए,नंदू से बोलता है बारिश आ गई है, छाते में आ जाओ!

कुछ देर चलने के बाद कर्मचारी का क्वार्टर आता है ! कर्मचारी अपने दरबाजे पे पहुंचकर ऊंचे स्वर में बोलता है,शिखा.... ओ शिखा.......!

अंदर से आवाज आती है, जी.. बाबू जी...,आई.., नंदू तब तक बाहर लगे दरवाजे को बड़े ध्यान से देख रहा था ! जो की,
बरसाती पानी पी.. पी.. कर जगह- जगह टूट चुका  था!

©writer Ramu kumar
#एकलव्य #भक्ति

Bhagavan kise nahin dikhte hain? नाहं प्रकाश: सर्वस्य योगमायासमावृत: । मूढोऽयं नाभिजानाति लोको मामजमव्ययम् ॥ मैं मूर्खों और मूर्खों के लिए कभी भी प्रकट नहीं होता। उनके लिए मैं अपनी आंतरिक शक्ति से ढका हुआ हूँ, और इसलिए वे यह नहीं जानते कि मैं अजन्मा और अचूक हूँ। ©Heer

#भगवान #Thinking #Quotes  Bhagavan kise nahin dikhte hain?

नाहं प्रकाश: सर्वस्य योगमायासमावृत: ।
मूढोऽयं नाभिजानाति लोको मामजमव्ययम् ॥

मैं मूर्खों और मूर्खों के लिए 
कभी भी प्रकट नहीं होता। 
उनके लिए मैं अपनी 
आंतरिक शक्ति से ढका हुआ हूँ, 
और इसलिए वे यह नहीं जानते कि
 मैं अजन्मा और अचूक हूँ।

©Heer

#Thinking #भगवान किसे नहीं दिखते?

19 Love

#कविता #तू

#तू तेरा भगवान💖

243 View

शांत चित बैठा एक बालक चारों ओर से काम क्रोध मद लोभ जैसी चल रही थी उसके इर्द-गिर्द आंधी। मुख पर उनके अविरल तेज था हवाओं में मंद मंद सुगंध इससे भी बढ़कर सर पर चढ़कर बोल रही थी उनकी समाधि।। ©Abhishek tripathi#chgr@c

#मोटिवेशनल  शांत चित बैठा एक बालक चारों ओर से
 काम क्रोध मद लोभ जैसी 
चल रही थी उसके इर्द-गिर्द आंधी।

मुख पर उनके अविरल तेज था हवाओं में मंद मंद
 सुगंध इससे भी बढ़कर 
सर पर चढ़कर बोल रही थी उनकी समाधि।।

©Abhishek tripathi#chgr@c

#"भगवान वेदव्यास जी"...

10 Love

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