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New ग़ज़ल ए मेरी दिलरुबा जानेमन Status, Photo, Video

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White मन तो बावरा है अटकता है कभी तो भटकता है कभी.. विरक्त है कभी तो आसक्त है कभी... धूप है प्रेम की तो छाह यादों की कभी!! डूबता उतरता सा मचलता, भटकता सा कभी, कितने रंग समेटे खुद में हो रहा बदरंग कभी रे मन.. कैसे पाऊँ थाह तेरी है तू आस कभी तो तू है निर्लिप्त कभी ©हिमांशु Kulshreshtha

#कविता  White मन तो बावरा है
अटकता है कभी तो
भटकता है कभी.. 
विरक्त है कभी तो
आसक्त है कभी...
धूप है प्रेम की
तो छाह यादों की कभी!!

डूबता उतरता सा
मचलता, भटकता सा कभी,
कितने रंग समेटे खुद में
हो रहा बदरंग कभी

रे मन..
कैसे पाऊँ थाह तेरी
है तू आस कभी तो
तू है निर्लिप्त कभी

©हिमांशु Kulshreshtha

ए दिल..

19 Love

#शायरी  माँगी थी दुआ एक आशियाने की, 
आँधियाँ चल पड़ी जमाने की! 
मेरे दर्द को कोई समझ ना सका, क्योंकि आदत थी मुझे मुस्कुराने की!!

©PRAKASH GOURH ~> Azamgarh

तासीर ए जहर

99 View

#तैयारी #कविता  White बचपन से तैयारी कर लो,
लक्ष्मी, सरस्वती संग,
दुर्गा, काली बनने की भी दीक्षा ले लो।


लाचारी, कोमलता, सहारा, सब छोड़ो,
मन, हृदय, देह को अब, वज्र कर लो।

भूलो मत, तुम नारी हो,
जन्म है तुम में समाया,
वक़्त है, अब मृत्यु को भी धारण कर लो।


कब तक सहोगे हिंसा, बलात्कार,
बन के वीरांगना सर को धड़ से,
अलग करने की कला सीख लो।


बचपन से तैयारी कर लो,
लक्ष्मी, सरस्वती संग,
दुर्गा, काली बनने की भी दीक्षा ले लो।

©Deepak "New Fly of Life"

#तैयारी ए हिफाज़त

153 View

 ग़ज़ल 
नशा  आदमी   को  ग़लाता  रहा  है 
ये कितनों की मैयत  सजाता रहा है 

समय से जो पहले  दिखे  बेटा बूढ़ा 
वो  चिंता  पिता  की  बढ़ाता रहा है 

जो बनना था बेटा बुढ़ापे की  लाठी 
वही  रोज़  पी  लड़खड़ाता  रहा  है

भरी  मांग  जिसने  लिए  सात  फेरे 
वही हमसफर दिल  दुखाता  रहा है

पसीना बहा कर  कमाता  जो  पैसा 
उसे  वो  जुए   में   लुटाता   रहा  है

किए तूने जितने  गुनाह  चोरी चुपके 
खुदा की नज़र  में  तो  आता रहा  है

©Sangeeta Verma

#नशा #ग़ज़ल #शायरी #दर्दभरीशायरी #motivational #एकसबक

108 View

#शायरी

ए जिंदगी

162 View

संगीत सी ये मीठी बारिश... सरगम जैसी लगती हैं पल्लव के ये बहुत प्यारे , तुम तो प्रेमिका सी लगती हो.... कौन गाये करूण कथाएं , तुम तो यौवन सी थिरकती हो काशी में  मणिकर्णिका... क्या तुम उसके जैसी लगती हो  खिला ग़ुलाब चंपा चमेली, मादकता सी लगती हो अधरों पर मीठी मुस्कान,  खिली पंखुड़ियों जैसी लगती हो वीरों के पथ कोमल शोभा सुसज्जित हो, खुद मरने को तत्पर रहती हो  संगीत सी ये मीठी बारिश... सरगम जैसी लगती है पल्लव के ये बहुत प्यारे, तुम तो प्रेमिका सी लगती हो.....    जाए के ये धनी माटी, सोना सपूत उपजाती हो तपती मरती विमुक्त जनों से, फिर भी हरियाली से भरी हुई रहती हो  वो श्रंगार बारिशें का , उसमें तो ज्यादा ही जंचती हो जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी तुम लगती हो..... गांवों के किसान तेरे , जैसे पहली मुहब्बत सी लगती हो वो दूर से तुझे निहारें , तुम तो मृगतृष्णा सी क्यों लगती हो छीन क्यों तुम लेती हो , तनय सुख क्यों नहीं जीने देती हो तेरे मिट्टी में मैं मिल जावा, उस पागल से क्यों कहलाती हो न मिले तुझे दिल ए बारिशें, रक्तों की तुम केवल प्यासी हो अगर दिल तेरा भर जाएं तो एक दफा तुम सावन बुलाना रिमझिम रिमझिम बारिश बरसें यौवन की विरह तुम पा जाना संगीत सी ये मीठी बारिश... सरगम जैसी लगती हैं पल्लव के ये बहुत प्यारे , तुम तो प्रेमिका सी लगती हो........ ©Dev Rishi

#कविता #दिल  संगीत सी ये मीठी बारिश... सरगम जैसी लगती हैं 
पल्लव के ये बहुत प्यारे , तुम तो प्रेमिका सी लगती हो....
कौन गाये करूण कथाएं , तुम तो यौवन सी थिरकती हो
काशी में  मणिकर्णिका... क्या तुम उसके जैसी लगती हो  


खिला ग़ुलाब चंपा चमेली, 
मादकता सी लगती हो 
अधरों पर मीठी मुस्कान,  
खिली पंखुड़ियों जैसी लगती हो 

वीरों के पथ कोमल शोभा सुसज्जित हो, 
  खुद मरने को तत्पर रहती हो  
संगीत सी ये मीठी बारिश... सरगम जैसी लगती है 
पल्लव के ये बहुत प्यारे, तुम तो प्रेमिका सी लगती हो.....



   जाए के ये धनी माटी, सोना सपूत उपजाती हो 
तपती मरती विमुक्त जनों से, फिर भी हरियाली से भरी हुई रहती हो  
वो श्रंगार बारिशें का , उसमें तो ज्यादा ही जंचती हो 
जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी  तुम लगती हो.....


  गांवों के किसान तेरे  , जैसे पहली मुहब्बत सी लगती हो 
वो दूर से तुझे निहारें , तुम तो मृगतृष्णा सी क्यों लगती हो 
 छीन क्यों तुम लेती हो  , तनय सुख क्यों नहीं जीने देती हो  
 तेरे मिट्टी में मैं मिल जावा, उस पागल से क्यों कहलाती हो  

 न मिले तुझे दिल ए बारिशें, रक्तों की तुम केवल प्यासी हो   
अगर दिल तेरा भर जाएं तो  एक दफा तुम सावन बुलाना
रिमझिम रिमझिम बारिश बरसें  यौवन की विरह  तुम पा जाना
संगीत सी ये मीठी बारिश... सरगम जैसी लगती हैं 
पल्लव के ये बहुत प्यारे , तुम तो प्रेमिका सी लगती हो........

©Dev Rishi

#दिल ए बारिशें

13 Love

White मन तो बावरा है अटकता है कभी तो भटकता है कभी.. विरक्त है कभी तो आसक्त है कभी... धूप है प्रेम की तो छाह यादों की कभी!! डूबता उतरता सा मचलता, भटकता सा कभी, कितने रंग समेटे खुद में हो रहा बदरंग कभी रे मन.. कैसे पाऊँ थाह तेरी है तू आस कभी तो तू है निर्लिप्त कभी ©हिमांशु Kulshreshtha

#कविता  White मन तो बावरा है
अटकता है कभी तो
भटकता है कभी.. 
विरक्त है कभी तो
आसक्त है कभी...
धूप है प्रेम की
तो छाह यादों की कभी!!

डूबता उतरता सा
मचलता, भटकता सा कभी,
कितने रंग समेटे खुद में
हो रहा बदरंग कभी

रे मन..
कैसे पाऊँ थाह तेरी
है तू आस कभी तो
तू है निर्लिप्त कभी

©हिमांशु Kulshreshtha

ए दिल..

19 Love

#शायरी  माँगी थी दुआ एक आशियाने की, 
आँधियाँ चल पड़ी जमाने की! 
मेरे दर्द को कोई समझ ना सका, क्योंकि आदत थी मुझे मुस्कुराने की!!

©PRAKASH GOURH ~> Azamgarh

तासीर ए जहर

99 View

#तैयारी #कविता  White बचपन से तैयारी कर लो,
लक्ष्मी, सरस्वती संग,
दुर्गा, काली बनने की भी दीक्षा ले लो।


लाचारी, कोमलता, सहारा, सब छोड़ो,
मन, हृदय, देह को अब, वज्र कर लो।

भूलो मत, तुम नारी हो,
जन्म है तुम में समाया,
वक़्त है, अब मृत्यु को भी धारण कर लो।


कब तक सहोगे हिंसा, बलात्कार,
बन के वीरांगना सर को धड़ से,
अलग करने की कला सीख लो।


बचपन से तैयारी कर लो,
लक्ष्मी, सरस्वती संग,
दुर्गा, काली बनने की भी दीक्षा ले लो।

©Deepak "New Fly of Life"

#तैयारी ए हिफाज़त

153 View

 ग़ज़ल 
नशा  आदमी   को  ग़लाता  रहा  है 
ये कितनों की मैयत  सजाता रहा है 

समय से जो पहले  दिखे  बेटा बूढ़ा 
वो  चिंता  पिता  की  बढ़ाता रहा है 

जो बनना था बेटा बुढ़ापे की  लाठी 
वही  रोज़  पी  लड़खड़ाता  रहा  है

भरी  मांग  जिसने  लिए  सात  फेरे 
वही हमसफर दिल  दुखाता  रहा है

पसीना बहा कर  कमाता  जो  पैसा 
उसे  वो  जुए   में   लुटाता   रहा  है

किए तूने जितने  गुनाह  चोरी चुपके 
खुदा की नज़र  में  तो  आता रहा  है

©Sangeeta Verma

#नशा #ग़ज़ल #शायरी #दर्दभरीशायरी #motivational #एकसबक

108 View

#शायरी

ए जिंदगी

162 View

संगीत सी ये मीठी बारिश... सरगम जैसी लगती हैं पल्लव के ये बहुत प्यारे , तुम तो प्रेमिका सी लगती हो.... कौन गाये करूण कथाएं , तुम तो यौवन सी थिरकती हो काशी में  मणिकर्णिका... क्या तुम उसके जैसी लगती हो  खिला ग़ुलाब चंपा चमेली, मादकता सी लगती हो अधरों पर मीठी मुस्कान,  खिली पंखुड़ियों जैसी लगती हो वीरों के पथ कोमल शोभा सुसज्जित हो, खुद मरने को तत्पर रहती हो  संगीत सी ये मीठी बारिश... सरगम जैसी लगती है पल्लव के ये बहुत प्यारे, तुम तो प्रेमिका सी लगती हो.....    जाए के ये धनी माटी, सोना सपूत उपजाती हो तपती मरती विमुक्त जनों से, फिर भी हरियाली से भरी हुई रहती हो  वो श्रंगार बारिशें का , उसमें तो ज्यादा ही जंचती हो जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी तुम लगती हो..... गांवों के किसान तेरे , जैसे पहली मुहब्बत सी लगती हो वो दूर से तुझे निहारें , तुम तो मृगतृष्णा सी क्यों लगती हो छीन क्यों तुम लेती हो , तनय सुख क्यों नहीं जीने देती हो तेरे मिट्टी में मैं मिल जावा, उस पागल से क्यों कहलाती हो न मिले तुझे दिल ए बारिशें, रक्तों की तुम केवल प्यासी हो अगर दिल तेरा भर जाएं तो एक दफा तुम सावन बुलाना रिमझिम रिमझिम बारिश बरसें यौवन की विरह तुम पा जाना संगीत सी ये मीठी बारिश... सरगम जैसी लगती हैं पल्लव के ये बहुत प्यारे , तुम तो प्रेमिका सी लगती हो........ ©Dev Rishi

#कविता #दिल  संगीत सी ये मीठी बारिश... सरगम जैसी लगती हैं 
पल्लव के ये बहुत प्यारे , तुम तो प्रेमिका सी लगती हो....
कौन गाये करूण कथाएं , तुम तो यौवन सी थिरकती हो
काशी में  मणिकर्णिका... क्या तुम उसके जैसी लगती हो  


खिला ग़ुलाब चंपा चमेली, 
मादकता सी लगती हो 
अधरों पर मीठी मुस्कान,  
खिली पंखुड़ियों जैसी लगती हो 

वीरों के पथ कोमल शोभा सुसज्जित हो, 
  खुद मरने को तत्पर रहती हो  
संगीत सी ये मीठी बारिश... सरगम जैसी लगती है 
पल्लव के ये बहुत प्यारे, तुम तो प्रेमिका सी लगती हो.....



   जाए के ये धनी माटी, सोना सपूत उपजाती हो 
तपती मरती विमुक्त जनों से, फिर भी हरियाली से भरी हुई रहती हो  
वो श्रंगार बारिशें का , उसमें तो ज्यादा ही जंचती हो 
जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी  तुम लगती हो.....


  गांवों के किसान तेरे  , जैसे पहली मुहब्बत सी लगती हो 
वो दूर से तुझे निहारें , तुम तो मृगतृष्णा सी क्यों लगती हो 
 छीन क्यों तुम लेती हो  , तनय सुख क्यों नहीं जीने देती हो  
 तेरे मिट्टी में मैं मिल जावा, उस पागल से क्यों कहलाती हो  

 न मिले तुझे दिल ए बारिशें, रक्तों की तुम केवल प्यासी हो   
अगर दिल तेरा भर जाएं तो  एक दफा तुम सावन बुलाना
रिमझिम रिमझिम बारिश बरसें  यौवन की विरह  तुम पा जाना
संगीत सी ये मीठी बारिश... सरगम जैसी लगती हैं 
पल्लव के ये बहुत प्यारे , तुम तो प्रेमिका सी लगती हो........

©Dev Rishi

#दिल ए बारिशें

13 Love

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