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#अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️ #मोटिवेशनल #दहाड़ेगा #पढ़ाई #Education_power

#पढ़ाई वो शेरनी का दूध है जो जितना पिएगा वो उतना ही #दहाड़ेगा #Education_power..🖊️ #अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️ 📚❤️📚❤️📚❤️📚

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गीत :- आजादी का दिवस मनाऊँ ,भूखा अपना लाल सुलाऊँ । कर्ज बैंक का सर के ऊपर, खून बेचकर उसे चुकाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ.... सरकारें करती मनमानी ,  पीने का भी छीने पानी । कैसे जीते हैं हम निर्धन ,  कैसे तुमको व्यथा सुनाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ... मैं ही एक नहीं हूँ निर्धन ,  आटा दाल न होता ईर्धन । जन-जन का मैं हाल सुनाऊँ ,  आओ चल कर तुम्हें दिखाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ... शिक्षा भी व्यापार हुई है ,  महँगी सब्जी दाल हुई है आमद हो गई है आज चव्न्नी,  कैसे घर का खर्च चलाऊँ । आजादी का दिवस मनाऊँ... सभी स्वस्थ सेवाएं महँगी , जीवन की घटनाएं महँगी । आती मौत न जीवन को, फंदा अपने गले लगाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ... ज्यादा हुआ दूध उत्पादन, बिन पशु के आ जाता आँगन । किसको दर्पण आज दिखाऊँ  दिल कहता शामिल हो जाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ..... आजादी का दिवस मनाऊँ ,भूखा अपना लाल सुलाऊँ । महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  गीत :-
आजादी का दिवस मनाऊँ ,भूखा अपना लाल सुलाऊँ ।
कर्ज बैंक का सर के ऊपर, खून बेचकर उसे चुकाऊँ ।।
आजादी का दिवस मनाऊँ....

सरकारें करती मनमानी , 
पीने का भी छीने पानी ।
कैसे जीते हैं हम निर्धन ,
 कैसे तुमको व्यथा सुनाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ...

मैं ही एक नहीं हूँ निर्धन , 
आटा दाल न होता ईर्धन ।
जन-जन का मैं हाल सुनाऊँ , 
आओ चल कर तुम्हें दिखाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ...

शिक्षा भी व्यापार हुई है , 
महँगी सब्जी दाल हुई है
आमद हो गई है आज चव्न्नी, 
कैसे घर का खर्च चलाऊँ । आजादी का दिवस मनाऊँ...

सभी स्वस्थ सेवाएं महँगी ,
जीवन की घटनाएं महँगी ।
आती मौत न जीवन को,
फंदा अपने गले लगाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ...

ज्यादा हुआ दूध उत्पादन,
बिन पशु के आ जाता आँगन ।
किसको दर्पण आज दिखाऊँ 
दिल कहता शामिल हो जाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ.....
आजादी का दिवस मनाऊँ ,भूखा अपना लाल सुलाऊँ ।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :- आजादी का दिवस मनाऊँ ,  भूखा अपना लाल सुलाऊँ । कर्ज बैंक का सर के ऊपर,

14 Love

#कलियुग_का_प्रकोप #nojotohindipoetry #sandiprohila #nojotohindi  कलियुग का प्रकोप

दूध की नदियां बहती थीं कभी
अब खून की नदियां बहती हैं
प्रेम भाव था भाईयों में कभी
अब चाकू-छुरियां चलती हैं
धन संपदा जमीन नारी
जब हुआ करती थीं परदे में
अब खुलकर है आ गई सारी
कसर न छोड़ी झगड़े में
कलियुग का है प्रकोप सारा
इस ने लिया है लपेटे में
मनुष्य तो है बस माध्यम बेचारा
घसीटा उसको अंधेरे में
तेरा – मेरा की लड़ाई कभी
खत्म न होगी जमाने में
ईश्वर भी सोचता होगा कभी
क्या गलती हुई इंसां बनाने में
……………………………………………………
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#कलियुग_का_प्रकोप #nojotohindi #nojotohindipoetry कलियुग का प्रकोप दूध की नदियां बहती थीं कभी अब खून की नदियां बहती हैं प्रेम भाव था भाईय

216 View

दोहा :- जबसे बन्द प्रणाम है, सब कुछ हुआ विराम । रिश्ते आज प्रमाण हैं , सम्मुख है परिणाम ।। भजता आठों याम हूँ , जिनका हर पल नाम । वे ही सुधि लेते नहीं , कण-कण में है धाम ।। हर पल तेरी ही शरण , रहता हूँ घनश्याम । कर दे अब कल्याण तो , मन में लगे विराम ।। सुन लो इस संसार में , दो ही प्यारे नाम । पहला सीता राम है , दूजा राधेश्याम ।। जीवन रक्षक आप हैं , जीवन दाता आप । फिर बतलाएँ आप प्रभु , होता क्यूँ संताप ।। वह मेरा भगवान है , यह तन है परिधान । बस इतना ही जानता , यह बालक नादान ।। डाल बाँह बीवी गले , भूल गये वह फर्ज । अब तो माँ के दूध का , याद नही है कर्ज ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा :-
जबसे बन्द प्रणाम है, सब कुछ हुआ विराम ।
रिश्ते आज प्रमाण हैं , सम्मुख है परिणाम ।।
भजता आठों याम हूँ , जिनका हर पल नाम ।
वे ही सुधि लेते नहीं , कण-कण में है धाम ।।
हर पल तेरी ही शरण , रहता हूँ घनश्याम ।
कर दे अब कल्याण तो , मन में लगे विराम ।।
सुन लो इस संसार में , दो ही प्यारे नाम ।
पहला सीता राम है , दूजा राधेश्याम ।।
जीवन रक्षक आप हैं , जीवन दाता आप ।
फिर बतलाएँ आप प्रभु , होता क्यूँ संताप ।।
वह मेरा भगवान है , यह तन है परिधान ।
बस इतना ही जानता , यह बालक नादान ।।
डाल बाँह बीवी गले , भूल गये वह फर्ज ।
अब तो माँ के दूध का , याद नही है कर्ज ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- जबसे बन्द प्रणाम है, सब कुछ हुआ विराम । रिश्ते आज प्रमाण हैं , सम्मुख है परिणाम ।। भजता आठों याम हूँ , जिनका हर पल नाम । वे ही सुधि

13 Love

#VKB  यहां पत्थर के सौदागर है, मैं काँच बेचने आया हूं, 

झूठों के बाज़ार में यारों, सांच बेचने आया हूं!

सौदा ऐसा है मेरा, पूँजी घाटे में चल रही,

लोग दूध से जलकर बैठे हैं, मैं छाछ बेचने आया हूं!!

©Er VKB Shayar

यहां पत्थर के सौदागर है, मैं काँच बेचने आया हूं, झूठों के बाज़ार में यारों, सांच बेचने आया हूं! सौदा ऐसा है मेरा, पूँजी घाटे में चल रही, लो

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#अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️ #मोटिवेशनल #दहाड़ेगा #पढ़ाई #Education_power

#पढ़ाई वो शेरनी का दूध है जो जितना पिएगा वो उतना ही #दहाड़ेगा #Education_power..🖊️ #अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️ 📚❤️📚❤️📚❤️📚

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गीत :- आजादी का दिवस मनाऊँ ,भूखा अपना लाल सुलाऊँ । कर्ज बैंक का सर के ऊपर, खून बेचकर उसे चुकाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ.... सरकारें करती मनमानी ,  पीने का भी छीने पानी । कैसे जीते हैं हम निर्धन ,  कैसे तुमको व्यथा सुनाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ... मैं ही एक नहीं हूँ निर्धन ,  आटा दाल न होता ईर्धन । जन-जन का मैं हाल सुनाऊँ ,  आओ चल कर तुम्हें दिखाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ... शिक्षा भी व्यापार हुई है ,  महँगी सब्जी दाल हुई है आमद हो गई है आज चव्न्नी,  कैसे घर का खर्च चलाऊँ । आजादी का दिवस मनाऊँ... सभी स्वस्थ सेवाएं महँगी , जीवन की घटनाएं महँगी । आती मौत न जीवन को, फंदा अपने गले लगाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ... ज्यादा हुआ दूध उत्पादन, बिन पशु के आ जाता आँगन । किसको दर्पण आज दिखाऊँ  दिल कहता शामिल हो जाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ..... आजादी का दिवस मनाऊँ ,भूखा अपना लाल सुलाऊँ । महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  गीत :-
आजादी का दिवस मनाऊँ ,भूखा अपना लाल सुलाऊँ ।
कर्ज बैंक का सर के ऊपर, खून बेचकर उसे चुकाऊँ ।।
आजादी का दिवस मनाऊँ....

सरकारें करती मनमानी , 
पीने का भी छीने पानी ।
कैसे जीते हैं हम निर्धन ,
 कैसे तुमको व्यथा सुनाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ...

मैं ही एक नहीं हूँ निर्धन , 
आटा दाल न होता ईर्धन ।
जन-जन का मैं हाल सुनाऊँ , 
आओ चल कर तुम्हें दिखाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ...

शिक्षा भी व्यापार हुई है , 
महँगी सब्जी दाल हुई है
आमद हो गई है आज चव्न्नी, 
कैसे घर का खर्च चलाऊँ । आजादी का दिवस मनाऊँ...

सभी स्वस्थ सेवाएं महँगी ,
जीवन की घटनाएं महँगी ।
आती मौत न जीवन को,
फंदा अपने गले लगाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ...

ज्यादा हुआ दूध उत्पादन,
बिन पशु के आ जाता आँगन ।
किसको दर्पण आज दिखाऊँ 
दिल कहता शामिल हो जाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ.....
आजादी का दिवस मनाऊँ ,भूखा अपना लाल सुलाऊँ ।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :- आजादी का दिवस मनाऊँ ,  भूखा अपना लाल सुलाऊँ । कर्ज बैंक का सर के ऊपर,

14 Love

#कलियुग_का_प्रकोप #nojotohindipoetry #sandiprohila #nojotohindi  कलियुग का प्रकोप

दूध की नदियां बहती थीं कभी
अब खून की नदियां बहती हैं
प्रेम भाव था भाईयों में कभी
अब चाकू-छुरियां चलती हैं
धन संपदा जमीन नारी
जब हुआ करती थीं परदे में
अब खुलकर है आ गई सारी
कसर न छोड़ी झगड़े में
कलियुग का है प्रकोप सारा
इस ने लिया है लपेटे में
मनुष्य तो है बस माध्यम बेचारा
घसीटा उसको अंधेरे में
तेरा – मेरा की लड़ाई कभी
खत्म न होगी जमाने में
ईश्वर भी सोचता होगा कभी
क्या गलती हुई इंसां बनाने में
……………………………………………………
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#कलियुग_का_प्रकोप #nojotohindi #nojotohindipoetry कलियुग का प्रकोप दूध की नदियां बहती थीं कभी अब खून की नदियां बहती हैं प्रेम भाव था भाईय

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दोहा :- जबसे बन्द प्रणाम है, सब कुछ हुआ विराम । रिश्ते आज प्रमाण हैं , सम्मुख है परिणाम ।। भजता आठों याम हूँ , जिनका हर पल नाम । वे ही सुधि लेते नहीं , कण-कण में है धाम ।। हर पल तेरी ही शरण , रहता हूँ घनश्याम । कर दे अब कल्याण तो , मन में लगे विराम ।। सुन लो इस संसार में , दो ही प्यारे नाम । पहला सीता राम है , दूजा राधेश्याम ।। जीवन रक्षक आप हैं , जीवन दाता आप । फिर बतलाएँ आप प्रभु , होता क्यूँ संताप ।। वह मेरा भगवान है , यह तन है परिधान । बस इतना ही जानता , यह बालक नादान ।। डाल बाँह बीवी गले , भूल गये वह फर्ज । अब तो माँ के दूध का , याद नही है कर्ज ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा :-
जबसे बन्द प्रणाम है, सब कुछ हुआ विराम ।
रिश्ते आज प्रमाण हैं , सम्मुख है परिणाम ।।
भजता आठों याम हूँ , जिनका हर पल नाम ।
वे ही सुधि लेते नहीं , कण-कण में है धाम ।।
हर पल तेरी ही शरण , रहता हूँ घनश्याम ।
कर दे अब कल्याण तो , मन में लगे विराम ।।
सुन लो इस संसार में , दो ही प्यारे नाम ।
पहला सीता राम है , दूजा राधेश्याम ।।
जीवन रक्षक आप हैं , जीवन दाता आप ।
फिर बतलाएँ आप प्रभु , होता क्यूँ संताप ।।
वह मेरा भगवान है , यह तन है परिधान ।
बस इतना ही जानता , यह बालक नादान ।।
डाल बाँह बीवी गले , भूल गये वह फर्ज ।
अब तो माँ के दूध का , याद नही है कर्ज ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- जबसे बन्द प्रणाम है, सब कुछ हुआ विराम । रिश्ते आज प्रमाण हैं , सम्मुख है परिणाम ।। भजता आठों याम हूँ , जिनका हर पल नाम । वे ही सुधि

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#VKB  यहां पत्थर के सौदागर है, मैं काँच बेचने आया हूं, 

झूठों के बाज़ार में यारों, सांच बेचने आया हूं!

सौदा ऐसा है मेरा, पूँजी घाटे में चल रही,

लोग दूध से जलकर बैठे हैं, मैं छाछ बेचने आया हूं!!

©Er VKB Shayar

यहां पत्थर के सौदागर है, मैं काँच बेचने आया हूं, झूठों के बाज़ार में यारों, सांच बेचने आया हूं! सौदा ऐसा है मेरा, पूँजी घाटे में चल रही, लो

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