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New विश्वमोहिनी असुर मर्दिनी Status, Photo, Video

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White चेहरे पर जितनी मासूमियत है दिल मे उतना हि जहर है, चेहरा जितना भोला है दिल उतना हि काला है, दिखने मे जितने शांत लगते हो अंदर से उतने हि रावण हो, बाते श्री राम जैसी और काम रावण जैसे करते हो, मुँह पर अपने बनते हो और पीठ पीछे दुश्मन हो, दिन मे धर्म की बाते और रात मे नशा करते हो, किसी के सगे नही सबकी बुराइयाँ करते हि हो, नाम अच्छा है पर दीखते बिल्कुल असुर हि हो।। .... ©gauranshi chauhan

#love_shayari #followme #Antima #Ram  White चेहरे पर जितनी मासूमियत है दिल मे उतना हि जहर है,
चेहरा जितना भोला है दिल उतना हि काला है,
दिखने मे जितने शांत लगते हो अंदर से उतने हि रावण हो,
बाते श्री राम जैसी और काम रावण जैसे करते हो, 
मुँह पर अपने बनते हो और पीठ पीछे दुश्मन हो,
दिन मे धर्म की बाते और रात मे नशा करते हो,
किसी के सगे नही सबकी बुराइयाँ करते हि हो,
नाम अच्छा है पर दीखते बिल्कुल असुर हि हो।।
....

©gauranshi chauhan

#love_shayari shayari on lifeचेहरे पर जितनी मासूमियत है दिल मे उतना हि जहर है, चेहरा जितना भोला है दिल उतना हि काला है, दिखने मे जितने शांत

18 Love

इस कलयुग में मनुष्य ही असुर हैं और आसुरी भी मन के भाव और भावनाएं दूषित हो तो नकारात्मक सोच और विकार ग्रसित कर देती हैं मन के विकार मनके छह प्रकार के विकार उत्पन्न होते है। इनको छह रीपु भी कहते है। यथा काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह, मात्सर्य स्वार्थ , ईर्ष्या , क्रोध , अहंकार , घमंड, अभिमान , गुस्सा , लालची स्वभाव , नास्तिक व्यवहार , असत्य ,झूठ , अपशब्द , दुष्टता, यह सब नरक के द्वार खोलते हैं और इन्हीं सबसे मनुष्य की पतन होती हैं ©person

#Motivational  इस कलयुग में 
मनुष्य ही 
असुर हैं और आसुरी भी
मन के भाव और भावनाएं दूषित हो 
तो नकारात्मक सोच 
और विकार ग्रसित कर देती हैं 
मन के विकार मनके छह प्रकार के विकार उत्पन्न होते है। इनको छह रीपु भी कहते है। यथा काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह, मात्सर्य 
स्वार्थ , ईर्ष्या , क्रोध , अहंकार , घमंड, अभिमान , गुस्सा ,
लालची स्वभाव ,
नास्तिक व्यवहार ,
असत्य ,झूठ ,
अपशब्द , दुष्टता,
यह सब नरक  के द्वार खोलते हैं 
और इन्हीं सबसे मनुष्य की पतन होती हैं

©person

इस कलयुग में मनुष्य ही असुर हैं और आसुरी भी मन के भाव और भावनाएं दूषित हो तो नकारात्मक सोच और विकार ग्रसित कर देती हैं मन के विकार मनके

10 Love

White चेहरे पर जितनी मासूमियत है दिल मे उतना हि जहर है, चेहरा जितना भोला है दिल उतना हि काला है, दिखने मे जितने शांत लगते हो अंदर से उतने हि रावण हो, बाते श्री राम जैसी और काम रावण जैसे करते हो, मुँह पर अपने बनते हो और पीठ पीछे दुश्मन हो, दिन मे धर्म की बाते और रात मे नशा करते हो, किसी के सगे नही सबकी बुराइयाँ करते हि हो, नाम अच्छा है पर दीखते बिल्कुल असुर हि हो।। .... ©gauranshi chauhan

#love_shayari #followme #Antima #Ram  White चेहरे पर जितनी मासूमियत है दिल मे उतना हि जहर है,
चेहरा जितना भोला है दिल उतना हि काला है,
दिखने मे जितने शांत लगते हो अंदर से उतने हि रावण हो,
बाते श्री राम जैसी और काम रावण जैसे करते हो, 
मुँह पर अपने बनते हो और पीठ पीछे दुश्मन हो,
दिन मे धर्म की बाते और रात मे नशा करते हो,
किसी के सगे नही सबकी बुराइयाँ करते हि हो,
नाम अच्छा है पर दीखते बिल्कुल असुर हि हो।।
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©gauranshi chauhan

#love_shayari shayari on lifeचेहरे पर जितनी मासूमियत है दिल मे उतना हि जहर है, चेहरा जितना भोला है दिल उतना हि काला है, दिखने मे जितने शांत

18 Love

इस कलयुग में मनुष्य ही असुर हैं और आसुरी भी मन के भाव और भावनाएं दूषित हो तो नकारात्मक सोच और विकार ग्रसित कर देती हैं मन के विकार मनके छह प्रकार के विकार उत्पन्न होते है। इनको छह रीपु भी कहते है। यथा काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह, मात्सर्य स्वार्थ , ईर्ष्या , क्रोध , अहंकार , घमंड, अभिमान , गुस्सा , लालची स्वभाव , नास्तिक व्यवहार , असत्य ,झूठ , अपशब्द , दुष्टता, यह सब नरक के द्वार खोलते हैं और इन्हीं सबसे मनुष्य की पतन होती हैं ©person

#Motivational  इस कलयुग में 
मनुष्य ही 
असुर हैं और आसुरी भी
मन के भाव और भावनाएं दूषित हो 
तो नकारात्मक सोच 
और विकार ग्रसित कर देती हैं 
मन के विकार मनके छह प्रकार के विकार उत्पन्न होते है। इनको छह रीपु भी कहते है। यथा काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह, मात्सर्य 
स्वार्थ , ईर्ष्या , क्रोध , अहंकार , घमंड, अभिमान , गुस्सा ,
लालची स्वभाव ,
नास्तिक व्यवहार ,
असत्य ,झूठ ,
अपशब्द , दुष्टता,
यह सब नरक  के द्वार खोलते हैं 
और इन्हीं सबसे मनुष्य की पतन होती हैं

©person

इस कलयुग में मनुष्य ही असुर हैं और आसुरी भी मन के भाव और भावनाएं दूषित हो तो नकारात्मक सोच और विकार ग्रसित कर देती हैं मन के विकार मनके

10 Love

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