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White मैं अकेली, और चारो और अँधेरे, कब तक रोक पाऊँगी इस जीवन को , कब से मर चुका है, बाकी है तो बस तेरे कांधे पर जाना,, By Urmee Ki Dairy ©Urmeela Raikwar (parihar)

#Sad_Status #लव  White मैं अकेली, और चारो और अँधेरे, कब तक रोक पाऊँगी इस जीवन को ,
कब से मर चुका है, बाकी है तो बस तेरे कांधे पर जाना,,

By
Urmee Ki Dairy

©Urmeela Raikwar (parihar)

#Sad_Status मैं अकेली

15 Love

White वो रात अकेली ही बिस्तर पर पढ़ी पढ़ी अपनी तन्हाई पर आंसू बहा कर सिसकती रहीं और मैं दूर खड़ा उसकी तन्हाई और उसके आंसुओ को पीता रहा ©Parasram Arora

#कविता  White वो रात अकेली ही बिस्तर पर पढ़ी पढ़ी अपनी तन्हाई  पर आंसू बहा कर सिसकती रहीं 

और मैं दूर खड़ा उसकी तन्हाई और उसके  आंसुओ को  पीता रहा

©Parasram Arora

अकेली रात

15 Love

दिल में प्यार का तूफान लेकर बरसता बादल बन जाऊं हसरत मेरी है की आंखों का तेरी आंखों का काजल बन जाऊं ♥️ ©Dharamveer Kumar

 दिल में प्यार का तूफान लेकर बरसता बादल बन जाऊं हसरत मेरी है की आंखों का तेरी आंखों का काजल बन जाऊं ♥️

©Dharamveer Kumar

काजल पर शायरी

12 Love

White kon kon buy karna chta h ©Himanshu Mhata

#कविता  White kon kon buy karna chta h

©Himanshu Mhata

प्यार पर कविता

13 Love

#कविता

कविता बारिश पर कविता प्यार पर कविता कविता कोश

198 View

White महफ़िल में भी मिली अकेली तन्हाई, गम के पन्ने पलट रही थी रुस्वाई, गिरा ताड़ से अटका किसी खजूरे पर, बेचारे ने कैसी है किस्मत पाई, बैठ गया खालीपन उसके जाने से, कभी नहीं हो सकती जिसकी भरपाई, बिन बरसे ही सावन घर को लौट गया, मन के अंदर ख़्वाहिश लेती अंगड़ाई, दिन ढ़लने को आतुर मेरे आंगन का, लगी छुड़ाने पीछा अपनी परछाई, आम आदमी की थाली से गायब है, कोर-कसर पूरा कर देती महंगाई, पैसों से तक़दीर की टोपी मिल जाती, दूर सिसकती बैठी मिलती तरुणाई, दिल की बात सुनाऊँ मैं किससे गुंजन, आहत करती मन को यादें दुखदाई, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' समस्तीपुर बिहार ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #मिली  White महफ़िल में भी मिली अकेली तन्हाई, 
गम  के  पन्ने  पलट  रही थी  रुस्वाई, 

गिरा ताड़ से अटका किसी खजूरे पर, 
बेचारे   ने   कैसी  है   किस्मत   पाई, 

बैठ  गया  खालीपन  उसके  जाने से, 
कभी नहीं हो सकती जिसकी भरपाई, 

बिन बरसे ही सावन घर को लौट गया, 
मन के अंदर  ख़्वाहिश लेती  अंगड़ाई, 

दिन ढ़लने को आतुर  मेरे आंगन का, 
लगी   छुड़ाने  पीछा  अपनी  परछाई,

आम  आदमी की  थाली से  गायब है, 
कोर-कसर  पूरा   कर   देती  महंगाई,

पैसों से तक़दीर की टोपी मिल जाती,
दूर  सिसकती  बैठी  मिलती तरुणाई,

दिल की बात सुनाऊँ मैं किससे गुंजन,
आहत करती  मन  को  यादें  दुखदाई,
     ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
            समस्तीपुर बिहार

©Shashi Bhushan Mishra

#मिली अकेली तन्हाई#

14 Love

White मैं अकेली, और चारो और अँधेरे, कब तक रोक पाऊँगी इस जीवन को , कब से मर चुका है, बाकी है तो बस तेरे कांधे पर जाना,, By Urmee Ki Dairy ©Urmeela Raikwar (parihar)

#Sad_Status #लव  White मैं अकेली, और चारो और अँधेरे, कब तक रोक पाऊँगी इस जीवन को ,
कब से मर चुका है, बाकी है तो बस तेरे कांधे पर जाना,,

By
Urmee Ki Dairy

©Urmeela Raikwar (parihar)

#Sad_Status मैं अकेली

15 Love

White वो रात अकेली ही बिस्तर पर पढ़ी पढ़ी अपनी तन्हाई पर आंसू बहा कर सिसकती रहीं और मैं दूर खड़ा उसकी तन्हाई और उसके आंसुओ को पीता रहा ©Parasram Arora

#कविता  White वो रात अकेली ही बिस्तर पर पढ़ी पढ़ी अपनी तन्हाई  पर आंसू बहा कर सिसकती रहीं 

और मैं दूर खड़ा उसकी तन्हाई और उसके  आंसुओ को  पीता रहा

©Parasram Arora

अकेली रात

15 Love

दिल में प्यार का तूफान लेकर बरसता बादल बन जाऊं हसरत मेरी है की आंखों का तेरी आंखों का काजल बन जाऊं ♥️ ©Dharamveer Kumar

 दिल में प्यार का तूफान लेकर बरसता बादल बन जाऊं हसरत मेरी है की आंखों का तेरी आंखों का काजल बन जाऊं ♥️

©Dharamveer Kumar

काजल पर शायरी

12 Love

White kon kon buy karna chta h ©Himanshu Mhata

#कविता  White kon kon buy karna chta h

©Himanshu Mhata

प्यार पर कविता

13 Love

#कविता

कविता बारिश पर कविता प्यार पर कविता कविता कोश

198 View

White महफ़िल में भी मिली अकेली तन्हाई, गम के पन्ने पलट रही थी रुस्वाई, गिरा ताड़ से अटका किसी खजूरे पर, बेचारे ने कैसी है किस्मत पाई, बैठ गया खालीपन उसके जाने से, कभी नहीं हो सकती जिसकी भरपाई, बिन बरसे ही सावन घर को लौट गया, मन के अंदर ख़्वाहिश लेती अंगड़ाई, दिन ढ़लने को आतुर मेरे आंगन का, लगी छुड़ाने पीछा अपनी परछाई, आम आदमी की थाली से गायब है, कोर-कसर पूरा कर देती महंगाई, पैसों से तक़दीर की टोपी मिल जाती, दूर सिसकती बैठी मिलती तरुणाई, दिल की बात सुनाऊँ मैं किससे गुंजन, आहत करती मन को यादें दुखदाई, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' समस्तीपुर बिहार ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #मिली  White महफ़िल में भी मिली अकेली तन्हाई, 
गम  के  पन्ने  पलट  रही थी  रुस्वाई, 

गिरा ताड़ से अटका किसी खजूरे पर, 
बेचारे   ने   कैसी  है   किस्मत   पाई, 

बैठ  गया  खालीपन  उसके  जाने से, 
कभी नहीं हो सकती जिसकी भरपाई, 

बिन बरसे ही सावन घर को लौट गया, 
मन के अंदर  ख़्वाहिश लेती  अंगड़ाई, 

दिन ढ़लने को आतुर  मेरे आंगन का, 
लगी   छुड़ाने  पीछा  अपनी  परछाई,

आम  आदमी की  थाली से  गायब है, 
कोर-कसर  पूरा   कर   देती  महंगाई,

पैसों से तक़दीर की टोपी मिल जाती,
दूर  सिसकती  बैठी  मिलती तरुणाई,

दिल की बात सुनाऊँ मैं किससे गुंजन,
आहत करती  मन  को  यादें  दुखदाई,
     ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
            समस्तीपुर बिहार

©Shashi Bhushan Mishra

#मिली अकेली तन्हाई#

14 Love

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