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White "शिवगुरू की जय" (::::::शिव महिमा भजन:::::) सत्य ही शिव हैं, शिव ही सुंदर करो धारण मन शिव का ही जंतर धन्य होगा जीवन जपलो मंतर ॐ नमः शिवाय। बोलो शिवगुरू की जय,बोलो बम भोले की जय ।। बाबा बैजुनाथ की जय, बाबा विश्वनाथ की जय।। शिव ही सर्वव्यापी हैं, वो अमर अविनाशी हैं। शिव शिखर कैलाश के वासी, शिव सदा सन्यासी हैं।। वहीं भक्षक वही रक्षक हैं निराकार निर्भय। बोलो नीलकंठ की जय, शंभू शंकर की जय।। बोलो सोमनाथ की जय, बाबा माहेश्वर की जय।। शिव ही आदि अनन्त हैं, जैसे दुर्बोत्ध ज्ञान ग्रंथ है। क्षिति जल पावक गगन समीरा, सर्वत्र उनके अंश है।। हैं श्रृष्टि के बड़ा बिलयन, उनमें सम्पूर्ण ब्रह्मांड विलय। बोलो रामेश्वरम की जय, बाबा भूतनाथ की जय।। भीमाशंकर की जय, मल्लिका अर्जून की जय।। शिवदानी कल्याणी है, जटा में मां गंगा मंदाकिनी हैं। चंद्र ललाट सब नतमस्तक, शिव ही सबकर स्वामी हैं।। लिखें महिमा प्रकाश भजन विद्यार्थी गुण गाए। बोलो हटकेशवर की जय,महा मृत्युंजय कालेश्वर की जय।। श्री घृणेश्वर की जय, ॐ कारेश्वर की जय।। श्री त्रययंबकेश्वर की जय, आदिदेव महादेव की जय। आशुतोष महाकाल की जय, पार्वतीवलभ जी की जय।। स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी ©Prakash Vidyarthi

#poem✍🧡🧡💛 #Sad_Status #गीत #kavita  White "शिवगुरू की जय"
     (::::::शिव महिमा भजन:::::)

सत्य ही शिव हैं, शिव ही सुंदर 
करो धारण मन शिव का ही जंतर 
धन्य होगा जीवन जपलो मंतर ॐ नमः शिवाय।
बोलो शिवगुरू की जय,बोलो बम भोले की जय ।।
बाबा बैजुनाथ की जय, बाबा विश्वनाथ की जय।।

शिव ही सर्वव्यापी हैं, वो अमर अविनाशी हैं।
शिव शिखर कैलाश के वासी, शिव सदा सन्यासी हैं।।
वहीं भक्षक वही रक्षक हैं निराकार निर्भय।
बोलो नीलकंठ की जय, शंभू शंकर की जय।।
बोलो सोमनाथ की जय, बाबा माहेश्वर की जय।।

शिव ही आदि अनन्त हैं, जैसे दुर्बोत्ध ज्ञान ग्रंथ है।
क्षिति जल पावक गगन समीरा, सर्वत्र उनके अंश है।।
हैं श्रृष्टि के बड़ा बिलयन, उनमें सम्पूर्ण ब्रह्मांड विलय।
बोलो रामेश्वरम की जय, बाबा भूतनाथ की जय।।
भीमाशंकर की जय, मल्लिका अर्जून की जय।।

शिवदानी कल्याणी है, जटा में मां  गंगा मंदाकिनी हैं।
चंद्र ललाट सब नतमस्तक, शिव ही सबकर स्वामी हैं।।
लिखें महिमा प्रकाश भजन विद्यार्थी गुण गाए।
बोलो हटकेशवर की जय,महा मृत्युंजय कालेश्वर की जय।।
श्री घृणेश्वर की जय, ॐ कारेश्वर की जय।।

श्री त्रययंबकेश्वर की जय, आदिदेव महादेव की जय।
आशुतोष महाकाल की जय, पार्वतीवलभ जी की जय।।

स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी

©Prakash Vidyarthi
#kavita #Music #Song  #Hindi

#Song #Music #Nojoto #Hindi #poem #kavita

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#कविता #nojotohindi #Sad_Status #kavita #Hindi #poem  White मृगतृष्णा की माया में,  
मन तृषित भ्रमित सा भागे।  
रेत के जल में डूबे प्यास,  
सच का कोई निशान न पाए।  

आस की इस अनंत डोर,  
अधूरी चाहतें सुलगाए।  
हर कदम पर छलावे हैं,  
सपनों के साए गहराए।  

प्यास भी बुझती नहीं,  
और सच भी कभी हाथ न आए।

©Shayra

White मैं रूठ जाऊ जो इक बार तुम गाना गाकर, मुझें मना लेना। मैं रूठ जाऊँ जो दोबार तुम खाना लाकर, मुझें खिला देना। फिर भी रूठ जाऊँ जो तुमसे, बैठ जाना पास मेरे क्षणभर, तुम कस कर गले लगा लेना। #ahsaas_e_shabad #ahsaas_ki_kalam ©Ahsaas_ki_kalam (Padma Tomr Prjpti)

#ahsaas_e_shabad #ahsaas_ki_kalam #Inspiration #treanding #thought  White मैं रूठ जाऊ जो इक बार 
तुम गाना गाकर, मुझें मना लेना।
मैं रूठ जाऊँ जो दोबार 
तुम खाना लाकर, मुझें खिला देना।
फिर भी रूठ जाऊँ जो तुमसे,
बैठ जाना पास मेरे क्षणभर,
तुम कस कर गले लगा लेना।
#ahsaas_e_shabad
#ahsaas_ki_kalam

©Ahsaas_ki_kalam (Padma Tomr Prjpti)
#poem✍🧡🧡💛 #गीत #kavita #Tulips #Poet  White मेरा ईश्क सूर्पनखा 
:::::::::::::::::::::::::::::::::::::

अरे तनिक सुनो सुन्दरी सूर्पनखा।
हे देवी रुपवती मोहिनी नवलखा।।
आपने ये कैसा परिणय प्रस्ताव रखा ।
हम ठहरे तूक्ष साधारण मानव नर 
और आप हैं दशानन दुलारी सखा।।

फिर क्यों लालायित हों देवी बिना समझे प्रेम परिभाषा
कैसे होगा हमारा संगम कन्या हे देखो हमारी दुर्दशा।
न डालो प्रेम की मायाजाल हमपर न करो कोई आशा।।
नहीं दे पाएंगे हम स्वर्ग सा सूख आपको न राजा सा ।
झेलना पड़ेगा आपको कष्ट सदा मिलेगा बस निराशा।।
समझने के काबिल नहीं हम आपकी  स्नेह बंधन सी भाषा।।

होंगे मिलन न सुनो साधिके न भटको आगा पच्छा।
पिता वचन पालन करने को आए हैं जंगल झखा।।
हम बालक छोटे कुमार वनवासी आप हैं पूर्ण परिपक्का।।
इस निर्जन झाड़ जंगल वन में उपवन कुटिया में ।
फिर आपने कब कैसे और कौन सा स्वाद है चखा।।

जो हमें पाने की खातिर आप इतनी बेताब हैं।
प्रेम पिपासी सुकुमारी जैसे एक खुली किताब हैं ।
हृदय में बेचैन सी उठती लहर आपकी बेहिसाब हैं।
कोई और राजकुमार तलासो राक्षसी कूल कन्या 
आप तो ख़ुद ही बहुत सुंदर लाजवाब हैं।
किसी और राज्य की राजकुमार  की हसीन खुशी ख्याब हैं।।

आप महाज्ञानी महाप्रतापि लंकेश की बहिनी।
हम तुक्ष वनवासी की फिर कैसे बनेंगी संगिनी ।।
राम लखन को त्याग दो करो न कोई मोह दामिनी।।
हों जायेंगे मोहित आपपर कितने योद्धा हे वीर योगिनी।।
 पाओ न बलपूर्बक करो न कोई क्रोध हे क्रोधिनी।।

आपकी चाहत में बहुत महावीर होंगे आतूर।
हे लंका की राजकुमारी विद्वान गुणी बड़ी चातुर।।
माया तपस्या छल बल से बहुत ही होंगे भरपूर।।
महापंडित या यथा रघुवंशी क्षत्रिय धनुधारी प्रक्रमी।
चुनो कोई राजदरबारी शौहर b बली नायक ठाकुर।।

भले बन जाती आप हमारी भीं कोई मित्र सखा।
आपकी परिणय निवेदन से दुख रहा हैं माथा।।
आप भीं बूझो हमारी कष्ट दुर्दिन कथा व्यथा।।
मैं आजीवन वचनबद्ध धनुधारि प्यारी पति सच्चा।
क्षमा करें देवी अब मैं कितना गावूं अपनी प्रेम गाथा।।

मैं हूं राम दशरथ नन्दन पूर्व सूत्र सिया हूं ।
प्राणों के प्यारे आंखों के तारे सीता के पिया हूं।।
छोटे अनुज लखन के पास जाओ प्रिए।।
मैं तो आपके कछु योग्य नहीं बार बार न अब हमे सताओ प्रिए।।
मैं अग्रज राम का भक्त सेवक दास हूं देवी।
जाओ राम भईया के पास हुस्न वहीं दिखाओ प्रिय।

मेरे प्रेम के बीच मे जो प्राणी आए उसे मैं खा जाउंगी।
दैत्य कुल की नारी वारी मैं कच्चे ही चाबा जाऊंगी।।
देखो वीर वात्स्व उठो लक्ष्मण भाभी के प्राण संकट में हैं।
रुको प्यारी झुको सुरपनाखा लक्ष्मण रेखा न पार करो 
हैं विनती विनय विवश में सीता मां पे अत्याचार न करो।
वरना आपको अपना सुन्दरतम  रूप गंवाना होगा।
टेढ़ी चाल चलो न सुनो नाक सबसे छुपाना होगा।।

प्यार में कपट छल होता नहीं पाना हैं तो पुकार करो।
किसी दिलवर आशिक का सच्चे मन से दीदार करो ।।
न किसी का तिरस्कार करो प्यार करो बस प्यार करो।।
चाहें सोलह श्रृंगार करो इंतजार करो ऐतवार करो।।
विद्यार्थी रूप मनुहार करो प्रकाश प्रेम आंखें चार करो।।

स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी
               भोजपुर बिहार

©Prakash Vidyarthi
#happy_independence_day #kavita #poem  White "कपटी मानव अबला नारी"
::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::

ए मूर्ख मानव तेरा कितना हैं बल।
क्या सीखा हैं तूने बस करना छल।।

जानवर से भीं बद्तर हैं  तेरी अकल।
बनकर दुशासन करता हैं जुल्म कतल।।

ये क्या हों गया है  दुनियां को आजकल।
चेहरे पे अमृत का मुखौटा मन में भरा गरल।।

लुटते हों मासूमों की इज़्ज़त आबरू ज़ालिम।
बेरहम कातिल दुष्ट निर्लज कैसी है तेरी तालीम।।

समझते हों स्त्री को तुम सिर्फ खिलौना।
उसकी मासूमियत को असहाय बौना।।

कैसे मसल दिया तू एक खिलती कली फूल को।
कैसे कुचल दिया तूने मानवता के सिद्धांत रूल को।।

तनिक लज्जा नहीं आई तुझे उसकी चीख पर।
पाव नहीं डगमाए तेरे उस अबला के भीख पर।।

कहते हैं लोग की जमाना गया हैं बदल।।
हैं आजाद हिंद स्वतंत्र भारत देश सफल।।

फिर कैसा हैं ये राक्षसो का कपटी शकल।
कहां करते हैं ये नियत के खोट नकल।।

कैसे पहचानें कोई किसी दुरात्मा पापी को।
मुख मे राम बगल में छूरी वाले अपराधी को।।

बिनकसूर तड़पकर दम तोड़ी होंगी।
अख़बार की सुर्खियां शर्मसार हो गई।।

मां की दुलारी पापा की प्यारी परी। 
बेरहम हैवानियत की शिकार हों गईं।।

कहते हैं डॉक्टर होता हैं भगवान का रूप।
फिर कैसे कोई लिया अपने भगवान को ही लूट।।

अरे ओ दानव पुरूष कहां गईं तेरी पुरुषार्थ।
निरर्थक साबित हैं तेरी भ्रष्ट बुद्धि पार्थ कृतार्थ।।

काश बनकर स्त्री कभी स्त्री का दुःख 
दर्द तुम भी तन मन में महसूस करते।

तो ऐसी घिनौनी दुसाहस हरकत कभी 
तुम दुष्ट प्रवृत्ति मनहूस मनुष्य न करते।।

सदियों से बहु बहन बेटियां रही हैं सीधी चुप।
अरे अब तो देखने दो उसे जुल्मी जग कुरूप।।

लेने दो उसे खुली सांसे सूरज की उर्जवान धूप।
यहीं तो हैं सृष्टि प्रकृति ब्रह्मांड सुंदरी स्वरूप।।

स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी
                भोजपुर बिहार

©Prakash Vidyarthi

White "शिवगुरू की जय" (::::::शिव महिमा भजन:::::) सत्य ही शिव हैं, शिव ही सुंदर करो धारण मन शिव का ही जंतर धन्य होगा जीवन जपलो मंतर ॐ नमः शिवाय। बोलो शिवगुरू की जय,बोलो बम भोले की जय ।। बाबा बैजुनाथ की जय, बाबा विश्वनाथ की जय।। शिव ही सर्वव्यापी हैं, वो अमर अविनाशी हैं। शिव शिखर कैलाश के वासी, शिव सदा सन्यासी हैं।। वहीं भक्षक वही रक्षक हैं निराकार निर्भय। बोलो नीलकंठ की जय, शंभू शंकर की जय।। बोलो सोमनाथ की जय, बाबा माहेश्वर की जय।। शिव ही आदि अनन्त हैं, जैसे दुर्बोत्ध ज्ञान ग्रंथ है। क्षिति जल पावक गगन समीरा, सर्वत्र उनके अंश है।। हैं श्रृष्टि के बड़ा बिलयन, उनमें सम्पूर्ण ब्रह्मांड विलय। बोलो रामेश्वरम की जय, बाबा भूतनाथ की जय।। भीमाशंकर की जय, मल्लिका अर्जून की जय।। शिवदानी कल्याणी है, जटा में मां गंगा मंदाकिनी हैं। चंद्र ललाट सब नतमस्तक, शिव ही सबकर स्वामी हैं।। लिखें महिमा प्रकाश भजन विद्यार्थी गुण गाए। बोलो हटकेशवर की जय,महा मृत्युंजय कालेश्वर की जय।। श्री घृणेश्वर की जय, ॐ कारेश्वर की जय।। श्री त्रययंबकेश्वर की जय, आदिदेव महादेव की जय। आशुतोष महाकाल की जय, पार्वतीवलभ जी की जय।। स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी ©Prakash Vidyarthi

#poem✍🧡🧡💛 #Sad_Status #गीत #kavita  White "शिवगुरू की जय"
     (::::::शिव महिमा भजन:::::)

सत्य ही शिव हैं, शिव ही सुंदर 
करो धारण मन शिव का ही जंतर 
धन्य होगा जीवन जपलो मंतर ॐ नमः शिवाय।
बोलो शिवगुरू की जय,बोलो बम भोले की जय ।।
बाबा बैजुनाथ की जय, बाबा विश्वनाथ की जय।।

शिव ही सर्वव्यापी हैं, वो अमर अविनाशी हैं।
शिव शिखर कैलाश के वासी, शिव सदा सन्यासी हैं।।
वहीं भक्षक वही रक्षक हैं निराकार निर्भय।
बोलो नीलकंठ की जय, शंभू शंकर की जय।।
बोलो सोमनाथ की जय, बाबा माहेश्वर की जय।।

शिव ही आदि अनन्त हैं, जैसे दुर्बोत्ध ज्ञान ग्रंथ है।
क्षिति जल पावक गगन समीरा, सर्वत्र उनके अंश है।।
हैं श्रृष्टि के बड़ा बिलयन, उनमें सम्पूर्ण ब्रह्मांड विलय।
बोलो रामेश्वरम की जय, बाबा भूतनाथ की जय।।
भीमाशंकर की जय, मल्लिका अर्जून की जय।।

शिवदानी कल्याणी है, जटा में मां  गंगा मंदाकिनी हैं।
चंद्र ललाट सब नतमस्तक, शिव ही सबकर स्वामी हैं।।
लिखें महिमा प्रकाश भजन विद्यार्थी गुण गाए।
बोलो हटकेशवर की जय,महा मृत्युंजय कालेश्वर की जय।।
श्री घृणेश्वर की जय, ॐ कारेश्वर की जय।।

श्री त्रययंबकेश्वर की जय, आदिदेव महादेव की जय।
आशुतोष महाकाल की जय, पार्वतीवलभ जी की जय।।

स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी

©Prakash Vidyarthi
#kavita #Music #Song  #Hindi

#Song #Music #Nojoto #Hindi #poem #kavita

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#कविता #nojotohindi #Sad_Status #kavita #Hindi #poem  White मृगतृष्णा की माया में,  
मन तृषित भ्रमित सा भागे।  
रेत के जल में डूबे प्यास,  
सच का कोई निशान न पाए।  

आस की इस अनंत डोर,  
अधूरी चाहतें सुलगाए।  
हर कदम पर छलावे हैं,  
सपनों के साए गहराए।  

प्यास भी बुझती नहीं,  
और सच भी कभी हाथ न आए।

©Shayra

White मैं रूठ जाऊ जो इक बार तुम गाना गाकर, मुझें मना लेना। मैं रूठ जाऊँ जो दोबार तुम खाना लाकर, मुझें खिला देना। फिर भी रूठ जाऊँ जो तुमसे, बैठ जाना पास मेरे क्षणभर, तुम कस कर गले लगा लेना। #ahsaas_e_shabad #ahsaas_ki_kalam ©Ahsaas_ki_kalam (Padma Tomr Prjpti)

#ahsaas_e_shabad #ahsaas_ki_kalam #Inspiration #treanding #thought  White मैं रूठ जाऊ जो इक बार 
तुम गाना गाकर, मुझें मना लेना।
मैं रूठ जाऊँ जो दोबार 
तुम खाना लाकर, मुझें खिला देना।
फिर भी रूठ जाऊँ जो तुमसे,
बैठ जाना पास मेरे क्षणभर,
तुम कस कर गले लगा लेना।
#ahsaas_e_shabad
#ahsaas_ki_kalam

©Ahsaas_ki_kalam (Padma Tomr Prjpti)
#poem✍🧡🧡💛 #गीत #kavita #Tulips #Poet  White मेरा ईश्क सूर्पनखा 
:::::::::::::::::::::::::::::::::::::

अरे तनिक सुनो सुन्दरी सूर्पनखा।
हे देवी रुपवती मोहिनी नवलखा।।
आपने ये कैसा परिणय प्रस्ताव रखा ।
हम ठहरे तूक्ष साधारण मानव नर 
और आप हैं दशानन दुलारी सखा।।

फिर क्यों लालायित हों देवी बिना समझे प्रेम परिभाषा
कैसे होगा हमारा संगम कन्या हे देखो हमारी दुर्दशा।
न डालो प्रेम की मायाजाल हमपर न करो कोई आशा।।
नहीं दे पाएंगे हम स्वर्ग सा सूख आपको न राजा सा ।
झेलना पड़ेगा आपको कष्ट सदा मिलेगा बस निराशा।।
समझने के काबिल नहीं हम आपकी  स्नेह बंधन सी भाषा।।

होंगे मिलन न सुनो साधिके न भटको आगा पच्छा।
पिता वचन पालन करने को आए हैं जंगल झखा।।
हम बालक छोटे कुमार वनवासी आप हैं पूर्ण परिपक्का।।
इस निर्जन झाड़ जंगल वन में उपवन कुटिया में ।
फिर आपने कब कैसे और कौन सा स्वाद है चखा।।

जो हमें पाने की खातिर आप इतनी बेताब हैं।
प्रेम पिपासी सुकुमारी जैसे एक खुली किताब हैं ।
हृदय में बेचैन सी उठती लहर आपकी बेहिसाब हैं।
कोई और राजकुमार तलासो राक्षसी कूल कन्या 
आप तो ख़ुद ही बहुत सुंदर लाजवाब हैं।
किसी और राज्य की राजकुमार  की हसीन खुशी ख्याब हैं।।

आप महाज्ञानी महाप्रतापि लंकेश की बहिनी।
हम तुक्ष वनवासी की फिर कैसे बनेंगी संगिनी ।।
राम लखन को त्याग दो करो न कोई मोह दामिनी।।
हों जायेंगे मोहित आपपर कितने योद्धा हे वीर योगिनी।।
 पाओ न बलपूर्बक करो न कोई क्रोध हे क्रोधिनी।।

आपकी चाहत में बहुत महावीर होंगे आतूर।
हे लंका की राजकुमारी विद्वान गुणी बड़ी चातुर।।
माया तपस्या छल बल से बहुत ही होंगे भरपूर।।
महापंडित या यथा रघुवंशी क्षत्रिय धनुधारी प्रक्रमी।
चुनो कोई राजदरबारी शौहर b बली नायक ठाकुर।।

भले बन जाती आप हमारी भीं कोई मित्र सखा।
आपकी परिणय निवेदन से दुख रहा हैं माथा।।
आप भीं बूझो हमारी कष्ट दुर्दिन कथा व्यथा।।
मैं आजीवन वचनबद्ध धनुधारि प्यारी पति सच्चा।
क्षमा करें देवी अब मैं कितना गावूं अपनी प्रेम गाथा।।

मैं हूं राम दशरथ नन्दन पूर्व सूत्र सिया हूं ।
प्राणों के प्यारे आंखों के तारे सीता के पिया हूं।।
छोटे अनुज लखन के पास जाओ प्रिए।।
मैं तो आपके कछु योग्य नहीं बार बार न अब हमे सताओ प्रिए।।
मैं अग्रज राम का भक्त सेवक दास हूं देवी।
जाओ राम भईया के पास हुस्न वहीं दिखाओ प्रिय।

मेरे प्रेम के बीच मे जो प्राणी आए उसे मैं खा जाउंगी।
दैत्य कुल की नारी वारी मैं कच्चे ही चाबा जाऊंगी।।
देखो वीर वात्स्व उठो लक्ष्मण भाभी के प्राण संकट में हैं।
रुको प्यारी झुको सुरपनाखा लक्ष्मण रेखा न पार करो 
हैं विनती विनय विवश में सीता मां पे अत्याचार न करो।
वरना आपको अपना सुन्दरतम  रूप गंवाना होगा।
टेढ़ी चाल चलो न सुनो नाक सबसे छुपाना होगा।।

प्यार में कपट छल होता नहीं पाना हैं तो पुकार करो।
किसी दिलवर आशिक का सच्चे मन से दीदार करो ।।
न किसी का तिरस्कार करो प्यार करो बस प्यार करो।।
चाहें सोलह श्रृंगार करो इंतजार करो ऐतवार करो।।
विद्यार्थी रूप मनुहार करो प्रकाश प्रेम आंखें चार करो।।

स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी
               भोजपुर बिहार

©Prakash Vidyarthi
#happy_independence_day #kavita #poem  White "कपटी मानव अबला नारी"
::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::

ए मूर्ख मानव तेरा कितना हैं बल।
क्या सीखा हैं तूने बस करना छल।।

जानवर से भीं बद्तर हैं  तेरी अकल।
बनकर दुशासन करता हैं जुल्म कतल।।

ये क्या हों गया है  दुनियां को आजकल।
चेहरे पे अमृत का मुखौटा मन में भरा गरल।।

लुटते हों मासूमों की इज़्ज़त आबरू ज़ालिम।
बेरहम कातिल दुष्ट निर्लज कैसी है तेरी तालीम।।

समझते हों स्त्री को तुम सिर्फ खिलौना।
उसकी मासूमियत को असहाय बौना।।

कैसे मसल दिया तू एक खिलती कली फूल को।
कैसे कुचल दिया तूने मानवता के सिद्धांत रूल को।।

तनिक लज्जा नहीं आई तुझे उसकी चीख पर।
पाव नहीं डगमाए तेरे उस अबला के भीख पर।।

कहते हैं लोग की जमाना गया हैं बदल।।
हैं आजाद हिंद स्वतंत्र भारत देश सफल।।

फिर कैसा हैं ये राक्षसो का कपटी शकल।
कहां करते हैं ये नियत के खोट नकल।।

कैसे पहचानें कोई किसी दुरात्मा पापी को।
मुख मे राम बगल में छूरी वाले अपराधी को।।

बिनकसूर तड़पकर दम तोड़ी होंगी।
अख़बार की सुर्खियां शर्मसार हो गई।।

मां की दुलारी पापा की प्यारी परी। 
बेरहम हैवानियत की शिकार हों गईं।।

कहते हैं डॉक्टर होता हैं भगवान का रूप।
फिर कैसे कोई लिया अपने भगवान को ही लूट।।

अरे ओ दानव पुरूष कहां गईं तेरी पुरुषार्थ।
निरर्थक साबित हैं तेरी भ्रष्ट बुद्धि पार्थ कृतार्थ।।

काश बनकर स्त्री कभी स्त्री का दुःख 
दर्द तुम भी तन मन में महसूस करते।

तो ऐसी घिनौनी दुसाहस हरकत कभी 
तुम दुष्ट प्रवृत्ति मनहूस मनुष्य न करते।।

सदियों से बहु बहन बेटियां रही हैं सीधी चुप।
अरे अब तो देखने दो उसे जुल्मी जग कुरूप।।

लेने दो उसे खुली सांसे सूरज की उर्जवान धूप।
यहीं तो हैं सृष्टि प्रकृति ब्रह्मांड सुंदरी स्वरूप।।

स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी
                भोजपुर बिहार

©Prakash Vidyarthi
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