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New nagarjun ek yoddha cast Status, Photo, Video

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White हर दिन इंतज़ार एक शाम का... हर रात पैरहन, उलझन, वेदना और भी बहुत कुछ, फिर हर सुबह सबकुछ रखकर किनारे चल देना किसी ऐसे सफर पर, जिसकी मंज़िल फिर से वही अनमनी शाम है, जिसके पहलू में वक्त है, लेकिन जरा सा, आंखें हैं थोड़ी बुझी सी, स्मृतियाँ हैं कुछ धुंधली - सी स्वप्न नहीं है लेकिन राख है, बात नहीं है लेकिन याद है, उम्मीद है या नही, ठीक से नहीं कह सकते लेकिन जैसे हैं उम्र भर ऐसे भी नहीं रह सकते, फिर भी अब स्वप्न की चाह नहीं, सच कहें तो, कोई राह नहीं, आंसू बहते हैं तो पोंछ लेती हूँ, सांसों से बगावत कर लूँ यहाँ तक सोच लेती हूँ, लेकिन फिर.... कुछ नहीं... कहीं कुछ भी नहीं... न आस, न विश्वास न इच्छा न प्रयास अब डर भी 1[ लगता, न कुछ कहने की इच्छा ही है अपनों से नहीं तो गैरों से क्या शिकायत हो, मन के थक जाने के बाद कैसे बगावत हो, विरोध के लिए सामर्थ्य चाहिए, बहस के लिए शब्द, और तर्क भावना का कहीं कोई महत्व नहीं, वह सर्वत्र तिरस्कृत ही होती है, और मुझमें तो सदैव से भावना ही प्रधान है फिर तर्क कहाँ से लाऊँ, इसलिए मैने चुन लिया है अश्रुओं से सिंचित मौन को बोलने दो इस संसार को, होता है तो होने दो परिहास प्राणों का, मन का, और अंततः आत्मा का भी.... _sneh .................. ©*#_@_#*

#कविता #Ek #_  White हर दिन इंतज़ार एक शाम का... 
हर रात पैरहन, उलझन, वेदना और भी बहुत कुछ, 
फिर हर सुबह सबकुछ रखकर किनारे 
चल देना किसी ऐसे सफर पर, 
जिसकी मंज़िल फिर से वही अनमनी शाम है, 
जिसके पहलू में वक्त है, लेकिन जरा सा, 
आंखें हैं थोड़ी बुझी सी, स्मृतियाँ हैं कुछ धुंधली - सी
स्वप्न नहीं है लेकिन राख है, 
बात नहीं है लेकिन याद है, 
उम्मीद है या नही, ठीक से नहीं कह सकते
लेकिन जैसे हैं उम्र भर ऐसे भी नहीं रह सकते, 
फिर भी अब स्वप्न की चाह नहीं, 
सच कहें तो, कोई राह नहीं, 
आंसू बहते हैं तो पोंछ लेती हूँ, 
सांसों से बगावत कर लूँ यहाँ तक सोच लेती हूँ, 
लेकिन फिर.... 
कुछ नहीं... 
कहीं कुछ भी नहीं... 
न आस, न विश्वास न इच्छा न प्रयास 
अब डर भी 1[ लगता,
न कुछ कहने की इच्छा ही है 
अपनों से नहीं तो गैरों से क्या शिकायत हो, 
मन के थक जाने के बाद कैसे बगावत हो, 
विरोध के लिए सामर्थ्य चाहिए, 
बहस के लिए शब्द, और तर्क 
भावना का कहीं कोई महत्व नहीं, 
वह सर्वत्र तिरस्कृत ही होती है, 
और मुझमें तो सदैव से भावना ही प्रधान है
फिर तर्क कहाँ से लाऊँ, 
इसलिए मैने चुन लिया है अश्रुओं से सिंचित मौन को 
बोलने दो इस संसार को, 
होता है तो होने दो परिहास 
प्राणों का, मन का, और अंततः आत्मा का भी....





_sneh 




..................

©*#_@_#*

#Ek sham

11 Love

#विचार

ek विचार

99 View

बुरी बात ये है कि समय बहुत कम है और अच्छी बात ये है कि अभी भी समय है so manage your time and use it wisely ©Chhavinandan Raj

 बुरी बात  ये  है  कि  समय  बहुत कम है
 और अच्छी बात ये है कि अभी भी समय  है
so manage your time
and use it wisely

©Chhavinandan Raj

ek sayari

11 Love

 White जब से कि मोहब्बत हुई प्यारे हैं ये आँसू
जैसे कि मेरी आँख के तारे हैं ये आँसू

कहते हो कि लिल्लाह अब आँसू न गिराओ
ऐसे में कि जीने के सहारे हैं ये आँसू

हाँ हाँ उन्हें दामान-ए-मोहब्बत में जगह दो
आँखें हैं मिरी और तुम्हारे हैं ये आँसू

हर ख़ून-ए-जिगर के लिए तय्यार हूँ अब भी
हारा हूँ न मैं और न हारे हैं ये आँसू

सीमाब हैं जब तक कि हैं ये क़ल्ब-ओ-जिगर में
आँखों में जब आए तो सितारे हैं ये आँसू

बेचैन उमंगों ने न समझा ही न देखा
बेताब जवानी के नज़ारे हैं ये आँसू

ग़म वो है जो हर चीज़ को पिघला के बहा दे
पानी नहीं सय्याल शरारे हैं ये आँसू

मा'सूम निगाहों को निभाते हैं ये अक्सर
पोशीदा मोहब्बत के इशारे हैं ये आँसू

ग़म-ख़्वार हैं मेरे लिए शब-हा-ए-अलम में
आख़िर तो ग़म-ए-दोस्त के मारे हैं ये आँसू

©Jashvant

Ek Nazm

189 View

ek tarfa pyar

99 View

#L♥️ve #na #S

Deck cast #S #na #L♥️ve

117 View

White हर दिन इंतज़ार एक शाम का... हर रात पैरहन, उलझन, वेदना और भी बहुत कुछ, फिर हर सुबह सबकुछ रखकर किनारे चल देना किसी ऐसे सफर पर, जिसकी मंज़िल फिर से वही अनमनी शाम है, जिसके पहलू में वक्त है, लेकिन जरा सा, आंखें हैं थोड़ी बुझी सी, स्मृतियाँ हैं कुछ धुंधली - सी स्वप्न नहीं है लेकिन राख है, बात नहीं है लेकिन याद है, उम्मीद है या नही, ठीक से नहीं कह सकते लेकिन जैसे हैं उम्र भर ऐसे भी नहीं रह सकते, फिर भी अब स्वप्न की चाह नहीं, सच कहें तो, कोई राह नहीं, आंसू बहते हैं तो पोंछ लेती हूँ, सांसों से बगावत कर लूँ यहाँ तक सोच लेती हूँ, लेकिन फिर.... कुछ नहीं... कहीं कुछ भी नहीं... न आस, न विश्वास न इच्छा न प्रयास अब डर भी 1[ लगता, न कुछ कहने की इच्छा ही है अपनों से नहीं तो गैरों से क्या शिकायत हो, मन के थक जाने के बाद कैसे बगावत हो, विरोध के लिए सामर्थ्य चाहिए, बहस के लिए शब्द, और तर्क भावना का कहीं कोई महत्व नहीं, वह सर्वत्र तिरस्कृत ही होती है, और मुझमें तो सदैव से भावना ही प्रधान है फिर तर्क कहाँ से लाऊँ, इसलिए मैने चुन लिया है अश्रुओं से सिंचित मौन को बोलने दो इस संसार को, होता है तो होने दो परिहास प्राणों का, मन का, और अंततः आत्मा का भी.... _sneh .................. ©*#_@_#*

#कविता #Ek #_  White हर दिन इंतज़ार एक शाम का... 
हर रात पैरहन, उलझन, वेदना और भी बहुत कुछ, 
फिर हर सुबह सबकुछ रखकर किनारे 
चल देना किसी ऐसे सफर पर, 
जिसकी मंज़िल फिर से वही अनमनी शाम है, 
जिसके पहलू में वक्त है, लेकिन जरा सा, 
आंखें हैं थोड़ी बुझी सी, स्मृतियाँ हैं कुछ धुंधली - सी
स्वप्न नहीं है लेकिन राख है, 
बात नहीं है लेकिन याद है, 
उम्मीद है या नही, ठीक से नहीं कह सकते
लेकिन जैसे हैं उम्र भर ऐसे भी नहीं रह सकते, 
फिर भी अब स्वप्न की चाह नहीं, 
सच कहें तो, कोई राह नहीं, 
आंसू बहते हैं तो पोंछ लेती हूँ, 
सांसों से बगावत कर लूँ यहाँ तक सोच लेती हूँ, 
लेकिन फिर.... 
कुछ नहीं... 
कहीं कुछ भी नहीं... 
न आस, न विश्वास न इच्छा न प्रयास 
अब डर भी 1[ लगता,
न कुछ कहने की इच्छा ही है 
अपनों से नहीं तो गैरों से क्या शिकायत हो, 
मन के थक जाने के बाद कैसे बगावत हो, 
विरोध के लिए सामर्थ्य चाहिए, 
बहस के लिए शब्द, और तर्क 
भावना का कहीं कोई महत्व नहीं, 
वह सर्वत्र तिरस्कृत ही होती है, 
और मुझमें तो सदैव से भावना ही प्रधान है
फिर तर्क कहाँ से लाऊँ, 
इसलिए मैने चुन लिया है अश्रुओं से सिंचित मौन को 
बोलने दो इस संसार को, 
होता है तो होने दो परिहास 
प्राणों का, मन का, और अंततः आत्मा का भी....





_sneh 




..................

©*#_@_#*

#Ek sham

11 Love

#विचार

ek विचार

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बुरी बात ये है कि समय बहुत कम है और अच्छी बात ये है कि अभी भी समय है so manage your time and use it wisely ©Chhavinandan Raj

 बुरी बात  ये  है  कि  समय  बहुत कम है
 और अच्छी बात ये है कि अभी भी समय  है
so manage your time
and use it wisely

©Chhavinandan Raj

ek sayari

11 Love

 White जब से कि मोहब्बत हुई प्यारे हैं ये आँसू
जैसे कि मेरी आँख के तारे हैं ये आँसू

कहते हो कि लिल्लाह अब आँसू न गिराओ
ऐसे में कि जीने के सहारे हैं ये आँसू

हाँ हाँ उन्हें दामान-ए-मोहब्बत में जगह दो
आँखें हैं मिरी और तुम्हारे हैं ये आँसू

हर ख़ून-ए-जिगर के लिए तय्यार हूँ अब भी
हारा हूँ न मैं और न हारे हैं ये आँसू

सीमाब हैं जब तक कि हैं ये क़ल्ब-ओ-जिगर में
आँखों में जब आए तो सितारे हैं ये आँसू

बेचैन उमंगों ने न समझा ही न देखा
बेताब जवानी के नज़ारे हैं ये आँसू

ग़म वो है जो हर चीज़ को पिघला के बहा दे
पानी नहीं सय्याल शरारे हैं ये आँसू

मा'सूम निगाहों को निभाते हैं ये अक्सर
पोशीदा मोहब्बत के इशारे हैं ये आँसू

ग़म-ख़्वार हैं मेरे लिए शब-हा-ए-अलम में
आख़िर तो ग़म-ए-दोस्त के मारे हैं ये आँसू

©Jashvant

Ek Nazm

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ek tarfa pyar

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Deck cast #S #na #L♥️ve

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