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White "हमको तो तन्हाई भी अच्छी लगती है प्रशंसकों की प्रशंसा से कहीं अधिक खुदा कसम आलोचकों की आलोचना अच्छी लगती है सफलता के शिखर पर चढ़ने का असली रास्ता आलोचकों की आलोचना ही सिखलाती है हमको तो तन्हाई भी अच्छी लगती है सुकून मिलता है, असीम शांति मिलती है श्वासों में सुगंध सुमित्रों की घुलती है दिल में ख्वाबों खयालों की सरिता बहती है फिर क्या सृजन को कल्पनाओं की आजाद कलम चल पड़ती है हमको तो तन्हाई भी अच्छी लगती है।" सभी प्रशंसकों व आलोचकों को आजाद सलाम। ©Azaad Pooran Singh Rajawat

#शायरी #तनहाई #Sad_Status  White "हमको तो तन्हाई भी अच्छी लगती है 
प्रशंसकों की प्रशंसा से कहीं अधिक 
खुदा कसम 
आलोचकों की आलोचना अच्छी लगती है 
सफलता के शिखर पर चढ़ने का असली रास्ता 
आलोचकों की आलोचना ही सिखलाती है 
हमको तो तन्हाई भी अच्छी लगती है 
सुकून मिलता है, असीम शांति मिलती है 
श्वासों में सुगंध सुमित्रों की घुलती है 
दिल में ख्वाबों खयालों की सरिता बहती है 
फिर क्या सृजन को कल्पनाओं की 
आजाद कलम चल पड़ती है 


हमको तो तन्हाई भी अच्छी लगती है।"
सभी प्रशंसकों व आलोचकों को आजाद सलाम।

©Azaad Pooran Singh Rajawat

#Sad_Status #तनहाई भी अच्छी लगती है#

16 Love

White मैं अकेली, और चारो और अँधेरे, कब तक रोक पाऊँगी इस जीवन को , कब से मर चुका है, बाकी है तो बस तेरे कांधे पर जाना,, By Urmee Ki Dairy ©Urmeela Raikwar (parihar)

#Sad_Status #लव  White मैं अकेली, और चारो और अँधेरे, कब तक रोक पाऊँगी इस जीवन को ,
कब से मर चुका है, बाकी है तो बस तेरे कांधे पर जाना,,

By
Urmee Ki Dairy

©Urmeela Raikwar (parihar)

#Sad_Status मैं अकेली

15 Love

White वो रात अकेली ही बिस्तर पर पढ़ी पढ़ी अपनी तन्हाई पर आंसू बहा कर सिसकती रहीं और मैं दूर खड़ा उसकी तन्हाई और उसके आंसुओ को पीता रहा ©Parasram Arora

#कविता  White वो रात अकेली ही बिस्तर पर पढ़ी पढ़ी अपनी तन्हाई  पर आंसू बहा कर सिसकती रहीं 

और मैं दूर खड़ा उसकी तन्हाई और उसके  आंसुओ को  पीता रहा

©Parasram Arora

अकेली रात

15 Love

#hindishayari

भाभियां अच्छी लगती हैं। #hindishayari

99 View

White जिन अच्छी गज़लो को लिखने मे गमो ने मेरा साथ दिया..था . लेकिन जिस दिन से मेरे गमो ने मेरा साथ छोड़ा है तबसे मैं ने अच्छी गज़लो को न लिखने का मन बना लिया है ©Parasram Arora

#कविता  White जिन अच्छी गज़लो को लिखने मे गमो ने मेरा 
साथ दिया..था 
.
लेकिन जिस  दिन से मेरे गमो ने मेरा साथ  छोड़ा है   तबसे 
मैं ने अच्छी गज़लो  को  न लिखने का मन बना लिया है

©Parasram Arora

अच्छी ग़ज़ल

12 Love

White महफ़िल में भी मिली अकेली तन्हाई, गम के पन्ने पलट रही थी रुस्वाई, गिरा ताड़ से अटका किसी खजूरे पर, बेचारे ने कैसी है किस्मत पाई, बैठ गया खालीपन उसके जाने से, कभी नहीं हो सकती जिसकी भरपाई, बिन बरसे ही सावन घर को लौट गया, मन के अंदर ख़्वाहिश लेती अंगड़ाई, दिन ढ़लने को आतुर मेरे आंगन का, लगी छुड़ाने पीछा अपनी परछाई, आम आदमी की थाली से गायब है, कोर-कसर पूरा कर देती महंगाई, पैसों से तक़दीर की टोपी मिल जाती, दूर सिसकती बैठी मिलती तरुणाई, दिल की बात सुनाऊँ मैं किससे गुंजन, आहत करती मन को यादें दुखदाई, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' समस्तीपुर बिहार ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #मिली  White महफ़िल में भी मिली अकेली तन्हाई, 
गम  के  पन्ने  पलट  रही थी  रुस्वाई, 

गिरा ताड़ से अटका किसी खजूरे पर, 
बेचारे   ने   कैसी  है   किस्मत   पाई, 

बैठ  गया  खालीपन  उसके  जाने से, 
कभी नहीं हो सकती जिसकी भरपाई, 

बिन बरसे ही सावन घर को लौट गया, 
मन के अंदर  ख़्वाहिश लेती  अंगड़ाई, 

दिन ढ़लने को आतुर  मेरे आंगन का, 
लगी   छुड़ाने  पीछा  अपनी  परछाई,

आम  आदमी की  थाली से  गायब है, 
कोर-कसर  पूरा   कर   देती  महंगाई,

पैसों से तक़दीर की टोपी मिल जाती,
दूर  सिसकती  बैठी  मिलती तरुणाई,

दिल की बात सुनाऊँ मैं किससे गुंजन,
आहत करती  मन  को  यादें  दुखदाई,
     ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
            समस्तीपुर बिहार

©Shashi Bhushan Mishra

#मिली अकेली तन्हाई#

14 Love

White "हमको तो तन्हाई भी अच्छी लगती है प्रशंसकों की प्रशंसा से कहीं अधिक खुदा कसम आलोचकों की आलोचना अच्छी लगती है सफलता के शिखर पर चढ़ने का असली रास्ता आलोचकों की आलोचना ही सिखलाती है हमको तो तन्हाई भी अच्छी लगती है सुकून मिलता है, असीम शांति मिलती है श्वासों में सुगंध सुमित्रों की घुलती है दिल में ख्वाबों खयालों की सरिता बहती है फिर क्या सृजन को कल्पनाओं की आजाद कलम चल पड़ती है हमको तो तन्हाई भी अच्छी लगती है।" सभी प्रशंसकों व आलोचकों को आजाद सलाम। ©Azaad Pooran Singh Rajawat

#शायरी #तनहाई #Sad_Status  White "हमको तो तन्हाई भी अच्छी लगती है 
प्रशंसकों की प्रशंसा से कहीं अधिक 
खुदा कसम 
आलोचकों की आलोचना अच्छी लगती है 
सफलता के शिखर पर चढ़ने का असली रास्ता 
आलोचकों की आलोचना ही सिखलाती है 
हमको तो तन्हाई भी अच्छी लगती है 
सुकून मिलता है, असीम शांति मिलती है 
श्वासों में सुगंध सुमित्रों की घुलती है 
दिल में ख्वाबों खयालों की सरिता बहती है 
फिर क्या सृजन को कल्पनाओं की 
आजाद कलम चल पड़ती है 


हमको तो तन्हाई भी अच्छी लगती है।"
सभी प्रशंसकों व आलोचकों को आजाद सलाम।

©Azaad Pooran Singh Rajawat

#Sad_Status #तनहाई भी अच्छी लगती है#

16 Love

White मैं अकेली, और चारो और अँधेरे, कब तक रोक पाऊँगी इस जीवन को , कब से मर चुका है, बाकी है तो बस तेरे कांधे पर जाना,, By Urmee Ki Dairy ©Urmeela Raikwar (parihar)

#Sad_Status #लव  White मैं अकेली, और चारो और अँधेरे, कब तक रोक पाऊँगी इस जीवन को ,
कब से मर चुका है, बाकी है तो बस तेरे कांधे पर जाना,,

By
Urmee Ki Dairy

©Urmeela Raikwar (parihar)

#Sad_Status मैं अकेली

15 Love

White वो रात अकेली ही बिस्तर पर पढ़ी पढ़ी अपनी तन्हाई पर आंसू बहा कर सिसकती रहीं और मैं दूर खड़ा उसकी तन्हाई और उसके आंसुओ को पीता रहा ©Parasram Arora

#कविता  White वो रात अकेली ही बिस्तर पर पढ़ी पढ़ी अपनी तन्हाई  पर आंसू बहा कर सिसकती रहीं 

और मैं दूर खड़ा उसकी तन्हाई और उसके  आंसुओ को  पीता रहा

©Parasram Arora

अकेली रात

15 Love

#hindishayari

भाभियां अच्छी लगती हैं। #hindishayari

99 View

White जिन अच्छी गज़लो को लिखने मे गमो ने मेरा साथ दिया..था . लेकिन जिस दिन से मेरे गमो ने मेरा साथ छोड़ा है तबसे मैं ने अच्छी गज़लो को न लिखने का मन बना लिया है ©Parasram Arora

#कविता  White जिन अच्छी गज़लो को लिखने मे गमो ने मेरा 
साथ दिया..था 
.
लेकिन जिस  दिन से मेरे गमो ने मेरा साथ  छोड़ा है   तबसे 
मैं ने अच्छी गज़लो  को  न लिखने का मन बना लिया है

©Parasram Arora

अच्छी ग़ज़ल

12 Love

White महफ़िल में भी मिली अकेली तन्हाई, गम के पन्ने पलट रही थी रुस्वाई, गिरा ताड़ से अटका किसी खजूरे पर, बेचारे ने कैसी है किस्मत पाई, बैठ गया खालीपन उसके जाने से, कभी नहीं हो सकती जिसकी भरपाई, बिन बरसे ही सावन घर को लौट गया, मन के अंदर ख़्वाहिश लेती अंगड़ाई, दिन ढ़लने को आतुर मेरे आंगन का, लगी छुड़ाने पीछा अपनी परछाई, आम आदमी की थाली से गायब है, कोर-कसर पूरा कर देती महंगाई, पैसों से तक़दीर की टोपी मिल जाती, दूर सिसकती बैठी मिलती तरुणाई, दिल की बात सुनाऊँ मैं किससे गुंजन, आहत करती मन को यादें दुखदाई, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' समस्तीपुर बिहार ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #मिली  White महफ़िल में भी मिली अकेली तन्हाई, 
गम  के  पन्ने  पलट  रही थी  रुस्वाई, 

गिरा ताड़ से अटका किसी खजूरे पर, 
बेचारे   ने   कैसी  है   किस्मत   पाई, 

बैठ  गया  खालीपन  उसके  जाने से, 
कभी नहीं हो सकती जिसकी भरपाई, 

बिन बरसे ही सावन घर को लौट गया, 
मन के अंदर  ख़्वाहिश लेती  अंगड़ाई, 

दिन ढ़लने को आतुर  मेरे आंगन का, 
लगी   छुड़ाने  पीछा  अपनी  परछाई,

आम  आदमी की  थाली से  गायब है, 
कोर-कसर  पूरा   कर   देती  महंगाई,

पैसों से तक़दीर की टोपी मिल जाती,
दूर  सिसकती  बैठी  मिलती तरुणाई,

दिल की बात सुनाऊँ मैं किससे गुंजन,
आहत करती  मन  को  यादें  दुखदाई,
     ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
            समस्तीपुर बिहार

©Shashi Bhushan Mishra

#मिली अकेली तन्हाई#

14 Love

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