क्या बुझोगे जनाबे आली बस बुरी तरह बर्बाद हूँ मैं
मेरी मां का नाम तो आजादी उस का बेटा आजाद हूँ मैं
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इस भारत माँ को दुखी देख दुख भारी मेरे तन मै है
बुझती नहीं बुझाए से एसी लगरी आग बदन मै है
घर तो मेरा जेल मै है वा प्रताप वाले बण मै है
यहां तो गरीब खाना है दौलत खाना लन्दन मै है
इस आजादी के पौधे की एक छोटी सी बुनियाद हूँ...........
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