ऎं। आसमां के चांद खुद पर ना इतना गुरूर कर,
तुझ से भी बहुत हसीन चांद है, इस जमीं पर,
ऎं चांद तुझ में तो बहुत दाग हैं,
मगर जमीं का चांद तो बेदाग है,।
अब क्या मिशाल दें तेरे हुस्न की ऎं मेरे चांद,
तेरे खूबसूरती देखकर गगन का चंदा भी शरमाए,
तू जिस गली निकले उधर ही बहार लौट आए,
तेरे कदम पड़े जिस महफ़िल , वहां रौनक आ जाए
,,दीप,
मेरे प्यारे चाँद ये ज़िन्दगी तेरे बिना अधूरी सी है
तनहा रातें अकेले कटती नहीं है
मैं तनहा...
तुम्हारी बिखरी हुई चांदनी के आंचल में
उदास दिल के साथ...
थोड़ा सा मुस्कुराना सीख गया हूं।
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