राह चली मैं राह चली! हर एक रिश्तें की राह चली!! पीहर की राह चली! ससुराल की राह चली!! पीहर में भी पराई पहचान मिली!.
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तुम ऐसी हो तुम वैसी हो|
ना जाने कोई तुम कैसी हो||
हर दायरे में हैं तुमको रहना|
चुप होकर के गम को सहना ||
फिर भी कमी बस तुममे हैं
जानते हो क्यूँ?क्योंकि
मैं एक औरत हूँ|
हाँ हाँ मैं एक औरत हूँ||
सबका ख़्याल वो करती हैं|
अपनो के लिए वो मरती हैं||
घुट-घुट कर के वो रहती हैं
तकलीफ किसी से ना कहती हैं||
जानते हो क्यूँ?क्योंकि
मैं एक औरत हूँ
हाँ हाँ मैं एक औरत हूँ||
मर्यादा के हर बंधन में|
बस औरत को ही बंधना हैं||
चाहे कुछ हो जाये उसे|
मुँह बंद उसे बस रखना हैं||
जानते हो क्यूँ?क्योंकि
मैं एक औरत हूँ|
हाँ हाँ मैं एक औरत हूँ||
💞रश्मि💞
हां हां मैं एक औरत हूं,
पर इस संसार की रचयिता हूं.
मुझ बिन इस संसार की कल्पना कैसे कर सकते हो,
मेरे बिन जीवन कैसे बीता सकते हो.
यह जीवन बहुत बड़ा है गालिब,
और मैं तुम्हारा साथ बन जीवन बन जाउंगी,
कहां मैं एक औरत हूं,
हां मैं इस संसार का एक हिस्सा नहीं, जरूरी भाग हूं..
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