नसीम ए सुब्ह थी औऱ दीदार ए यार होना था
लगता था जैस
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नसीम ए सुब्ह थी औऱ दीदार ए यार होना था लगता था जैसे ज़ीस्त से फिर प्यार होना था। वो आए बज़्म में और रुख से पर्दा हटाया था , हमे तो यार अब इश्क़ में बीमार होना था। सुब्ह थी और आफताब भी निकल आया था, मगर मुझे तो अब दीदार ए महताब होना था। आज ही तो माँगी थी इश्क़ से सलामती की दुआ , आज ही शायद उन्हें मेरे साथ होना था। बड़े अदब से नज़र झुकाए वो पास बैठे थे, हमें भी रस्मन उन्हें अब आदाब कहना था। वो पलटे , मुस्कुराये और धीरे से ये बोले, जनाब अब तक तो इश्क़ का इज़हार होना था।। : shabayman

#nojotohindi #deepmu  नसीम ए सुब्ह थी औऱ दीदार ए यार होना था
लगता था जैसे ज़ीस्त से फिर प्यार होना था।

वो आए बज़्म में और रुख से पर्दा हटाया था ,
हमे तो यार अब इश्क़ में बीमार होना था।

सुब्ह थी और आफताब भी निकल आया था,
मगर मुझे तो अब दीदार ए महताब होना था।

आज ही तो माँगी थी इश्क़ से सलामती की दुआ ,
आज ही शायद उन्हें मेरे साथ होना था।

बड़े अदब से नज़र झुकाए वो पास बैठे थे,
हमें भी रस्मन उन्हें अब आदाब कहना था।

वो पलटे , मुस्कुराये और धीरे से ये बोले,
जनाब अब तक तो इश्क़ का इज़हार होना था।।
: shabayman

ज़ीस्त : ज़िन्दगी नसीम ए सुब्ह: सुबह की हवा आफ़ताब : सूरज महताब : चाँद बज़्म : महफ़िल #deepmu #nojoto #nojotohindi

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