सुनो एक राज है,
पिछले सर्दियों की ये बात हैं
न जाने कहाँ से वो खूबसूरत फरिश्ता। आया
मेरे इनबॉक्स में,
और मेरे दिल पर मोहब्बत लिख गया ।
जाना आज शुक्रिया नहीं कहूँगा पर हर वो बात कहूँगा, जिससे तुम और करीब आती गयी मेरे ।
तो नवम्बर के खत्म होते होते समझ गया था तुम्हारे सपने क्या हैं, चाहते क्या हैं तुम्हारी, और हमारी सारी आदते एक जैसे देख के ये भी समझने लग गया कि शायद मेरे लिए ही बनी हो..!
पर अब मोहब्बत से दूरी रखनी हैं ये तुमने अपने मन में ठान रखी थी ।
दिसम्बर में मन भागने लगा था तुम्हारी ओर, मैं लिखने लगा था तुम्हें, तुम्हारे साथ बिताए हर लम्हों को ।
जनवरी में तुम्हारी तारीफे को भाने लगी थी, तुम अपना चेहरा छुपाकर शर्माने लगी थी, तुम रूठने लगी थी मैं मनाने लगा था ।
अब लड़ने में बड़ा मजा आने लगा था, आखिर मैं हारा भी तो उससे जिसके लिये सब कुछ छोड़ दिया...।
अब तुमसे करनी वाली सारी बातें भी खुद से करनी पड़ती हैं
“ वही_पागल_लड़का_हूँ "
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here