*पहला प्यार*
पहला प्यार ,
कितना खूबसूरत होता है न पहला प्यार!!
और उतना ही खूबसूरत होता है उसके पीछे छुपे जज़्बात,
तेरे मेरे एहसास!!
सच...
क्या भुलाया जा सकता है कभी इसे??
नहीं !!
जरूरी नहीं होता इसका मुक्कमल हो जाना ,
जरूरी तो है बस इसका हो जाना !!
ना कल की फ़िक्र ना बीते वक़्त की कोई याद ,
होती है कुछ,तो वो है सिर्फ आज की बात !!
क्या भुलाया जा सकता है कभी वो बीते अरमान ??
शायद नहीं !!
उनका वो पहला स्पर्श ,
उनके मुख से निकला हमारे लिए पहला शब्द !!
दिल में पहली दफा उठे वे अरमान,
जिनका हो जाता था सरेआम ऐलान !!
क्या भुलाया जा सकता है कभी ??
शायद नहीं !!
उनके नाम से हमारा खिल जाना ,
लबों से झूठ बोल , पहली दफा आंखों से सच बयां हो जाना !!
सपने में भी उनका चेहरा नजर आना ,
और मिल कर भी उनसे दिल का यूं घबरा जाना!!
क्या भुलाया जा सकता है कभी ??
शायद नहीं !!
वो दिल का बेकरार होना ,
पहली दफा उनका इकरार होना !!
हर दर्द में खुश हो जाना ,
अपने ही दिल का मेरा ,यूं मेहमान बन जाना !!
क्या भुलाया जा सकता है कभी ??
शायद नहीं !!
हां ,
यही तो वो वक़्त था ,
जब हमारा पाकीज़ा इश्क़ अपने चरम पर था !!
ना वक़्त की मार थी , ना समझ - शंका की कोई आह थी !!
सुध बुध खोया ये दिल , निष्पाप - निस्वार्थ था !!
शायद हां ,
यही वो वक़्त था , जब मैं शुद्ध पाक थी ,
वरना बाद की हर कहानी में तो छीनी गई मेरी मासूमियत ही थी !!
अब भी बोलो , क्या भुलाया जा सकता है पहला प्यार??
नहीं !!
हां वक़्त के पर्दे से ढक कर यादें जरूर धूमिल हो जाती हैं!!
मगर तन्हाई के उस दौर में , जब रात अंधेरी हो ,
और उदास अकेले हम कहीं छुपे पड़े हो ,
दिल के किसी कोने में दबी उनकी छवि,
आंखों से मोती बन बहते बहते ,
जब मेरे लबों को छूं जाती है ,
तो मानो वर्षों बाद दूर किसी रेगिस्तान में बारिश की बूंदे सूखे रेत तर कर जाती है !!
पतझड़ के बाद सावन की पहली फुहार ,
मन को सुकुन दे जाती है !!
हां, नहीं भूल सकती मैं अपना पहला इश्क़ !!
क्योंकि,
जरूरी नहीं होता इश्क़ का मुक्कमल हो जाना ,
जरूरी तो होता है बस ,इश्क़ का हो जाना !!
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