माँ के आगे तो जन्नत भी फीकी पड़ जाए
जब तेरा हाथ सर से होकर गुजर जाए तो जन्नत की उन परियों को भी गीला कर जाए
मुझे नहीं पता आपने मुझे नौ महीने कैसे अपनी कोख में पाला होगा
बस यूँ गुजारिश है इस प्रकृति से की मुझे भी आपको कुछ समय पालने का मौका दिया जाए
जो खुशी बचपन में चाँद तारों को देख कर होती थी
आज वो खुशी आपके मुस्कराते चेहरे को देख होती है
आपने बचपन से सारी ख्वाहिशें पूरी की है,
क्यों ना! कुछ आपकी अधूरी ख्वाहिशों को पूरा करने मुझे मौका दिया जाए.....
जो बचपन में आपके साथ कुछ सपने पाले थे, उन्हें क्यों ना आपके साथ पूरे किया जाए......
बस तेरा साया बना रहे, अस्मा के साये को भी मुट्ठी में कर लूँगा
❣️माँ...........
🖋️गुमnam मुसाphir
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