मजदूर की कलम से.... साहब, आसमानों में, उड़ने की ख़्वाहिश, हम कहाँ रखते हैं | रोटी, कपड़ा, मकान, और सुकून मिल जाये, बस इतनी सी ही दुआ करते हैं | #covid19.
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