डिअर डैड मां पर बहुत लिखा ....
कुछ पापा पर बोलता हूं
दिल को हजार उलझनें
फिर भी मुस्कान गायब ना होने दी,
हर सपना हमारा पूरा करते रहे
ना कमी मां को होने को दी,
याद है मुझे उनकी टिफिन ठंडी हो जाती थी
हमे गरम खिलाने को,
सर पर भगवान जैसा हाथ
हाथ हर काटने को हो जाते थे
होता जब कोई कुछ सुनाने को ,
मैं जितना लिखूं उन पर कम है
छत्रों छाया हैं वो मेरी उनसे हम है,
जब भी नाम लूं तो ऐसा लगे जैसे राम का नाम लिया
तो कैसे कह दूं मेरे पापा भगवान से कम हैं
🙏🖊️❤️
©untold
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