बादल मेहरबां हुए भी तो इस कदर एक एक बूंद को ढूंढा किये दरबदर रिमझिम फुहारों से तन मन तरबतर हुआ ये रूह तो प्यासी रही ,वो न मुत्तसिर हुआ मुत्तसिर -प्रभावित #तृष्.
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