तिबारी मा बैठयू छाे में
साेचडु छाे एक बात
का गेन हाेला सी दिन ,
बैठयू छाे उदास
चाेकाे मा खेल्या दिन ,
का गे हाेला आज |
आंखी मेरी भरी गैनी
देखी देखी या तिबार
काटी बालापन का दिन जख
आज हाेयी स्या ख्डवार |
दै दादाें न खिलाया जख
भै बैडाें कि छीन याद
दग्णयाें दगडी हँसी खुशी खेल्या
यख कयी त्याैहार
छाजा सजा रन्दा जख
कनु राैत्यालु चाैपास
खुद लगणी मेते ताे दिनाें की
कख हरची हाेलु मेरू सु मुलुक आज |
कातिक कु मैनु लगदू
दिवालियाें की च बार
भैलु खेलेदूं यख
आैजी बजाेंदा ढाेल की ताल
झुमैलाें आैर गीताें की लगी च बाैछार
हंसी खुशी फैली रन्दी छेयी
ये चाैक तिबार
आज घास का बाेटला जम्या
मेरा चाेक तिबार |
बेटी ब्वारी घास कु बणु बणु जान्दा
बुड्या भग्यान अपरी छव्वी बात लगदा
मिली बाटी खान्दा सभी पल्याे आैर भात
काैदे की राेटी की त अलग ही छै बात |
मन मेरी खुदेड्यु च
साेची साेची य बात
आंखी भरी गेनी मेरी
देख्यी अपरा गाै कु यु हाल |
-रिंकी काला
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here