घर के मलबों पर मुस्काने आती है दुनिया मेरे घाव जलाने आती है हमदर्दी में पीठ फेरती यारी मेरी कंधों में नाख़ून गड़ाने आती है मै ज़िंदा था,रोती-रोती लौट गई जो मा.
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