Waqt Shayari
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घड़ी की सुईयां तेज़ी से बढ़ रही थी। ऐ उड़ते परिंदे, कुछ तो दुआ दे खुले आसमान की. पिंजरे का दर्द क्या है, अब समझ चुका है इंसान भी ©rukmani chaurasia

#Waqt  घड़ी की सुईयां तेज़ी से बढ़ रही थी। ऐ उड़ते परिंदे,
कुछ तो दुआ दे
खुले आसमान की. 
पिंजरे का दर्द क्या है,
अब समझ चुका है इंसान भी

©rukmani chaurasia

#Waqt

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घड़ी की सुईयां तेज़ी से बढ़ रही थी। #षडयंत्र_के_आठ_अंक मत्स्य भोज की थी वो रात अंतिम बार, हुई क्या थी बात चले गए तुम उस रोज ऐसे देकर कैसा ह्रदयघात संवाद हुआ था कैसा उस दिन तिथि रही होगी वो सात किस शब्द से भेदा तूने तीर से ज्यादा चुभी थी बात वही तिथि फिर लौट आई माह बीते समय तिथि सब आठ फिर यादों ने घेरा मुझको जब टूटी थी अंतिम सांस उस दिन जाना अर्थ अनाथ जब छूटा अपनो का साथ भोर हुई तो लगी थी भीड भीड में दिखती अनेको ठाट तब से अब तक कहा नही कोई मेरा अब रहा नहीं राख बेच कर चुपड के चंदन कर रहे वो नंगा नाच समान अंक है सबमे आठ ग्रहप्रवेश की किश्तें आठ किलकारी की कीमत आठ कर कनक की पुट्टल आठ आज हो गए इनके ठाठ बन गए सब साहब लाट कुकर्म है किया जो सबने मरो प्यासे मिले न घाट #Sadharanmanushya ©#maxicandragon

#षडयंत्र_के_आठ_अंक #Sadharanmanushya #आठ #Waqt  घड़ी की सुईयां तेज़ी से बढ़ रही थी।  
#षडयंत्र_के_आठ_अंक

मत्स्य भोज की थी वो रात
अंतिम बार, हुई क्या थी बात
चले गए तुम उस रोज ऐसे 
देकर कैसा ह्रदयघात

संवाद हुआ था कैसा उस दिन 
तिथि रही होगी वो सात
किस शब्द से भेदा तूने
तीर से ज्यादा चुभी थी बात 

वही तिथि फिर लौट आई
माह बीते समय तिथि सब आठ
फिर यादों ने घेरा मुझको 
जब टूटी थी अंतिम सांस

उस दिन जाना अर्थ अनाथ
जब छूटा अपनो का साथ
भोर हुई तो लगी थी भीड
भीड में दिखती अनेको ठाट

तब से अब तक कहा नही
कोई मेरा अब रहा नहीं 
राख बेच कर चुपड के चंदन
कर रहे वो नंगा नाच

समान अंक है सबमे आठ
ग्रहप्रवेश की किश्तें आठ
किलकारी की कीमत आठ
कर कनक की पुट्टल आठ

आज हो गए इनके ठाठ
बन गए सब साहब लाट
कुकर्म है किया जो सबने
मरो प्यासे मिले न घाट 

#Sadharanmanushya

©#maxicandragon

#षडयंत्र_के_आठ_अंक मत्स्य भोज की थी वो रात अंतिम बार, हुई क्या थी बात चले गए तुम उस रोज ऐसे देकर कैसा ह्रदयघात संवाद हुआ था कैसा उस दिन

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घड़ी की सुईयां तेज़ी से बढ़ रही थी। ओर मैने भी कह दिया उन्हें.., हम वक्त रोक लेंगे आपके लिए आप बेवक्त मिलना तो शुरू करो..। ©Darshna Parmar

#अनुभव #Waqt  घड़ी की सुईयां तेज़ी से बढ़ रही थी। ओर 

मैने भी कह दिया उन्हें..,

हम वक्त रोक लेंगे आपके लिए

आप बेवक्त मिलना तो शुरू करो..।

©Darshna Parmar

#Waqt

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घड़ी की सुईयां तेज़ी से बढ़ रही थी। और मुझे याद आ गया " मजबुरी और हालात के आगे कोई वक्त; मायने नहीं रखता." ©Kumud Kadam

 घड़ी की सुईयां तेज़ी से बढ़ रही थी। और मुझे याद आ गया
" मजबुरी और हालात
के आगे
कोई वक्त;
मायने नहीं रखता."

©Kumud Kadam

#विचार #शब्द #Hindi #SAD #think #corona #Be #lockdown

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घड़ी की सुईयां तेज़ी से बढ़ रही थी। जिस दौर से हम गुज़रे है तुम गुजरते तो गुजर ही जाते __Raj Rajak Best

#Waqt  घड़ी की सुईयां तेज़ी से बढ़ रही थी। जिस दौर से हम गुज़रे है 
तुम गुजरते तो गुजर ही जाते 

__Raj Rajak Best

Tum neeche girke dekho koi nahi aayega uthane tum jara ud ke dekho sab aayenge girane ... #Waqt

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घड़ी की सुईयां तेज़ी से बढ़ रही थी। tere liye mohabbat kuch zyada hi badh rahi thi fasle darmiyan the bhulane ki zid me pyar kuch had se zyada hi hora tha

#Waqt  घड़ी की सुईयां तेज़ी से बढ़ रही थी।  tere liye mohabbat kuch zyada hi badh rahi thi
fasle darmiyan the bhulane ki zid me
pyar kuch had se zyada hi hora tha

#Waqt

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