मैं रहूं या ना रहूं दुनियां में विधाता, मेरे हमदम! के लबों पे, हमेशा मुस्कान रखना मोहब्बत हमारी इम्तिहानों में है उलझी कि मोहब्बत हमारी इम्तिहानों में है उलझी ब.
1 Stories
Will restore all stories present before deactivation.
It may take sometime to restore your stories.
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here