वो आजकल सपनों में दिखने लगा है,
वरना उसका नाम कब का मिटा दीया होता,
खुद से वादा कीया था कि कभी दुख नहीं दूंगा उसे,
वरना उसके बेवफा होने पर सर उसका धर से हटा दीया होता।।
उसके बेवफा होने पर बदला लूं ऐसा मैं नहीं,
वरना क्या हूँ मैं उसे बहुत पहले बता दीया होता,
उसकी झूटी मासूमियत ने रोके रखा मुझे,
वरना रो रोकर चीखती उसको ऐसा सता दीया होता,
कभी हवा को भी उसको छूने ना दीया,
बेवफा निकलेगी पता होता तो हैवानों को उसका पता दीया होता,
खामोश रहा हूँ तो सिर्फ उसकी ख़ुशी के लिए,
वरना उसके पापा के कहने पर कि सिर्फ दोस्त हूँ उसका,
कितना है उसपर हक़ उसके पापा के सामने जता दीया होता,
खैर हम तुम जैसे नहीं जो दुख ही दें,
अगर होते तो दुख क्या होता है तुम्हें बहुत पहले बता दीया होता।।
....वेद बैरागी~
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