एक चाहत एक ख़्वाहिश जाग जाती तुम्हें अपना बनाने की तुम बार बार छिपकर मुझे मुस्कराकर यूँ देखा ना करो ख्वाहिशें गर ज़िद बनी तो मुश्किल हो जायेगा तुम्हारा दूर जाना.
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