Wall Texture
  • Latest
  • Popular
  • Video

On a warm August morning, the village buzzed with the spirit of Rakhi. Children ran through fields, clutching vibrant threads meant for their brothers. But this year, Shalini had a different idea. She gathered her friends and a basket of rakhis, setting off to honor the real protectors – the Indian farmers, soldiers, and unsung heroes. First, they went to the fields, where the farmers toiled under the sun. Shalini tied rakhis around their rough, calloused wrists, whispering thanks for their endless labor that filled every plate. Then, they traveled to the army camp nearby. The soldiers, dressed in olive uniforms, stood tall as Shalini's small hands tied rakhis around their wrists. Finally, they visited the village artisans, the silent creators of beauty. Their faces lit up with surprise as Shalini tied the sacred thread on them too. In that moment, everyone felt the bond of protection and gratitude. ©twisha ray

#rakhshabandhan #WallTexture #trnojo103 #thought  On a warm August morning, the village buzzed with the spirit of Rakhi. Children ran through fields, clutching vibrant threads meant for their brothers. But this year, Shalini had a different idea. She gathered her friends and a basket of rakhis, setting off to honor the real protectors – the Indian farmers, soldiers, and unsung heroes.
First, they went to the fields, where the farmers toiled under the sun. Shalini tied rakhis around their rough, calloused wrists, whispering thanks for their endless labor that filled every plate. Then, they traveled to the army camp nearby. The soldiers, dressed in olive uniforms, stood tall as Shalini's small hands tied rakhis around their wrists. 
Finally, they visited the village artisans, the silent creators of beauty. Their faces lit up with surprise as Shalini tied the sacred thread on them too. In that moment, everyone felt the bond of protection and gratitude.

©twisha ray

महफिल तेरी थी और हम दिल अपना गवां बैठे थे, मेरे हर लफ्ज़ में तेरे दिल को शामिल कर अपना बना बैठे थे, पसंद आ जाए तुझे मेरा संग कर खुदा से दुआ बैठे थे, तेरी ही महफिल में पैगाम ए रूह तेरे लिए बुला बैठा थे, तेरे दिल के अंधेरे को हम तो अपना उजाला बना बैठे थे, तेरे ही इश्क के तरीके को हम अपना इश्क तरीका बना बैठे थे, तू होकर इश्क में गुम महफिल ए इश्क को तबाह बता बैठे थे, तेरे कतरे भर इश्क से हम मधुशाला को अपना हिस्सा बना बैठे थे, साथ जब तेरा था तो एक उम्मीद से तेरा हाथ हम थामे बैठे थे, रूह ए इश्क में हम तो तेरी सादगी को बंदगी बनाए बैठे थे, तुम तो मिली नही पर तेरे इश्क की महफिल को सजाए बैठे थे, रहम दिली को तेरी हम ए सनम इश्क अर्जी बनाए बैठे थे, ज़ख्म ए इश्क को भरने के लिए रूह ए मरहम लाए बैठे थे, जाना तो मेरा आखिरी रास्ता था तेरे लिए धड़कन धड़काए बैठे थे, तेरे नाम को हम आज भी ना जाने क्यों होंठो पे सजाए बैठे थे, मेरी महफिल में तो बस तेरा नाम लिए बदनाम हुए बैठे थे, इश्क ए कमल की स्याही में हम तेरा नाम छुपाए बैठे थे, हाल देख तेरा हम अपनी पलकों को भिगाओ बैठे थे, तेरे ऊपर हम अपना सारा इश्क बरसाए बैठे थे, हम तो तेरे इश्क में अपने लाल खून को तड़पाए बैठे थे ©Alfaaz dil se

#WallTexture  महफिल तेरी थी और हम दिल अपना गवां बैठे थे,
मेरे हर लफ्ज़ में तेरे दिल को शामिल कर अपना बना बैठे थे,

पसंद आ जाए तुझे मेरा संग कर खुदा से दुआ बैठे थे,
तेरी ही महफिल में पैगाम ए रूह तेरे लिए बुला बैठा थे,

तेरे दिल के अंधेरे को हम तो अपना उजाला बना बैठे थे,
तेरे ही इश्क के तरीके को हम अपना इश्क तरीका बना बैठे थे,

तू होकर इश्क में गुम महफिल ए इश्क को तबाह बता बैठे थे,
तेरे कतरे भर इश्क से हम मधुशाला को अपना हिस्सा बना बैठे थे,

साथ जब तेरा था तो एक उम्मीद से तेरा हाथ हम थामे बैठे थे,
रूह ए इश्क में हम तो तेरी सादगी को बंदगी बनाए बैठे थे,

तुम तो मिली नही पर तेरे इश्क की महफिल को सजाए बैठे थे,
रहम दिली को तेरी हम ए सनम इश्क अर्जी बनाए बैठे थे,

ज़ख्म ए इश्क को भरने के लिए रूह ए मरहम लाए बैठे थे,
जाना तो मेरा आखिरी रास्ता था तेरे लिए धड़कन धड़काए बैठे थे,

तेरे नाम को हम आज भी ना जाने क्यों होंठो पे सजाए बैठे थे,
मेरी महफिल में तो बस तेरा नाम लिए बदनाम हुए बैठे थे,

इश्क ए कमल की स्याही में हम तेरा नाम छुपाए बैठे थे,
हाल देख तेरा हम अपनी पलकों को भिगाओ बैठे थे,

तेरे ऊपर हम अपना सारा इश्क बरसाए बैठे थे,
हम तो तेरे इश्क में अपने लाल खून को तड़पाए बैठे थे

©Alfaaz dil se

#WallTexture

12 Love

#hindi_poetry #RakeshShinde #hindikavita #lovepoetry #hindi_poem #lovepoem  मेरी दीवार पर लिख दो

मेरी दीवार पर लिख दो
अपने हाले दिल का बयान
कब तक दबा के रखोगे
अपने दिल में प्यार का तूफान
कबसे उजडा पड़ा हुआ है
मेरे दिल का ये मकान
ये दीवार कहीं गीर ना जाए
बचालो इसे होने से वीरान
कुछ दरारे बची है अब भी
कहि ये हो ना जाए बेजान
अपने प्यार की कलम चलाकर
भर दो इन बेजान दीवारों में जान
आकर लिखदो मेरी दीवारों पे
तुम अपने दिल का पैगाम

©Rashi

मेरी दीवारों पर लिख दो #hindi_poetry #hindi_poem #hindikavita #lovepoetry #lovepoem #RakeshShinde

90 View

#शायरी #poetry_addicts #safarnama #Zindagi #Dolafz  दीवार की दरारों पर हाथ क्या पड़ा, 
कि उन्होनें आह भर ली।
-@the_irresponsible_maverick

©Sankalp Sharma

#Shayari #Dolafz #Poetry #poetry_addicts #safarnama #Zindagi

225 View

होता क्या है प्रेम आज हमने अपनी आंखों से देखा है एक पत्थर दिल इंसान को आज फिर प्रेम रोग में टूटते देखा है प्रेम वियोग ऐसा कि काली स्याह रातों में उसे रोते देखा है और तपती दोपहर में भी उसे बको ध्यान में बैठा देखा है। ध्यान मग्न बैठा-बैठा सोच रहा है कि कैसे होगा लक्ष्य प्रतिरक्षा इस विचार में आज हमने उसे प्रतीक्षारत देखा है, कोई तो बैठा है उसकी कुंडली में साढ़े साती बनकर। उसी नक्षत्रो में कोई बैठा बैठा सूर्य को चाँद्र लगन में जाते देखा है। आँखों में बह रही अश्रु धारा में आज उसे फिर डूबते देखा है, एक पत्थर दिल इंसान को आज फिर हमने प्रेम रोग में टूटते देखा ©ajaynswami

#WallTexture  होता क्या है प्रेम आज हमने अपनी आंखों से देखा है
एक पत्थर दिल इंसान को आज फिर प्रेम रोग में टूटते देखा है

प्रेम वियोग ऐसा कि काली स्याह रातों में उसे रोते देखा है
और तपती दोपहर में भी उसे बको ध्यान में बैठा देखा है।

ध्यान मग्न बैठा-बैठा सोच रहा है कि कैसे होगा लक्ष्य प्रतिरक्षा 
इस विचार में आज हमने उसे प्रतीक्षारत देखा है,

कोई तो बैठा है उसकी कुंडली में साढ़े साती बनकर।
उसी नक्षत्रो में कोई बैठा बैठा सूर्य को चाँद्र लगन में जाते देखा है।

आँखों में बह रही अश्रु धारा में आज उसे फिर डूबते देखा है,
एक पत्थर दिल इंसान को आज फिर हमने प्रेम रोग में टूटते देखा

©ajaynswami

#WallTexture

11 Love

होता क्या है प्रेम आज हमने अपनी आंखों से देखा है एक पत्थर दिल इंसान को आज फिर प्रेम रोग में टूटते देखा है प्रेम वियोग ऐसा कि काली स्याह रातों में उसे रोते देखा है और तपती दोपहर भी उसे बको ध्यान में बैठा देखा है। ध्यान मग्न बैठा-बैठा सोच रहा है कि कैसे होगा लक्ष्य प्रतिरक्षा इस विचार में आज हमने उसे प्रतीक्षारत देखा है, कोई तो बैठा है उसकी कुंडली में साढ़े साती बनकर। उसी नक्षत्रो में कोई बैठा बैठा सूर्य को चाँद्र लगन में जाते देखा है। आँखों में बह रही अश्रु धारा में आज उसे फिर डूबते देखा है, एक पत्थर दिल इंसान को आज फिर हमने प्रेम रोग में टूटते देखा ©ajaynswami

#WallTexture  होता क्या है प्रेम आज हमने अपनी आंखों से देखा है
एक पत्थर दिल इंसान को आज फिर प्रेम रोग में टूटते देखा है

प्रेम वियोग ऐसा कि काली स्याह रातों में उसे रोते देखा है
और तपती दोपहर भी उसे बको ध्यान में बैठा देखा है।

ध्यान मग्न बैठा-बैठा सोच रहा है कि कैसे होगा लक्ष्य प्रतिरक्षा 
इस विचार में आज हमने उसे प्रतीक्षारत देखा है,

कोई तो बैठा है उसकी कुंडली में साढ़े साती बनकर।
उसी नक्षत्रो में कोई बैठा बैठा सूर्य को चाँद्र लगन में जाते देखा है।

आँखों में बह रही अश्रु धारा में आज उसे फिर डूबते देखा है,
एक पत्थर दिल इंसान को आज फिर हमने प्रेम रोग में टूटते देखा

©ajaynswami

#WallTexture

9 Love

Trending Topic