Poetry Month- Writing Contest
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सम्मान हमेशा दास्ताँ ख़त्म होगी एक दिन और एक मोड़ लिया जाएगा, ज़मीन पर सो कर ज़मीन को ही ओढ़ लिया जाएगा, हम न होंगे मगर हमारे नाम की एक आख़री बज़्म तो होगी, कहानी चाहे कितनी भी खूबसूरत हो मगर खत्म तो होगी। ©Sarfaraj idrishi

#PoetInYou  सम्मान हमेशा  दास्ताँ ख़त्म होगी एक दिन और एक मोड़ लिया जाएगा,
 ज़मीन पर सो कर ज़मीन को ही ओढ़ लिया जाएगा, 
हम न होंगे मगर हमारे नाम की एक आख़री बज़्म तो होगी,
 कहानी चाहे कितनी भी खूबसूरत हो मगर खत्म तो होगी।

©Sarfaraj idrishi

#PoetInYou दास्ताँ ख़त्म होगी एक दिन और एक मोड़ लिया जाएगा, ज़मीन पर सो कर ज़मीन को ही ओढ़ लिया जाएगा, हम न होंगे मगर हमारे नाम की एक आख़री बज़्म तो होगी, कहानी चाहे कितनी भी खूबसूरत हो मगर खत्म तो होगी।@Author kunal @Shiv Kishore @Barkha @sana naaz Santosh Narwar Aligarh

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#PoetInYou  सम्मान हमेशा  उनको ही मिलता है जो दूसरे का सम्मान करते है

©kunti sharma

#PoetInYou

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सम्मान हमेशा पिता से कोई दिन नहीं होता पिता से हर दिन होता है... ©minki mohini gupta

#PoetInYou  सम्मान हमेशा  पिता से कोई दिन नहीं होता
पिता से हर दिन होता है...

©minki mohini gupta

#PoetInYou # father's day

16 Love

#ज़िन्दगी #Nojoto2liner #motivatation #nojoto2021 #PoetInYou #motivate  सम्मान हमेशा  दिल में होता हैं

©Sugandhaart
#शायरी #beingoriginal #PoetInYou  सम्मान हमेशा  नारी शक्ति का उपासक है जो
और मानवता का गायक हैं
वो और कोई नहीं
सिर्फ 


"कालजयी" नायक है...

©कृतान्त अनन्त नीरज...

सम्मान हमेशा अकबर लगातार अपने राज्य का विस्तार कर रहा था।महाराणा प्रताप सिंह चित्तौड़ के राजा थे।चित्तौड़ को अपने अधीन करने के लिए उन्होंने मान सिंह की बहन जोधाबाई से विवाह कर लिया था ताकि राजपूत राजा उनके अधीन हो जाए।मगर महाराणा प्रताप सिंह ने कसम खा ली थी कि घास की रोटी खा लेंगे मगर अकबर की अधीनता नहीं स्वीकार करेंगे। अकबर ने महाराणा प्रताप के बारे में बहुत सुन रखा था।उन्हें एक बार महाराणा प्रताप को आमने -सामने देखने की इच्छा हुई। दूत का वेश बनाकर महाराणा प्रताप के दरबार में उपस्थित हुआ। राजा को सूचना दी गई कि अकबर का दूत संदेश लेकर आया है। महाराणा के दरबार में दूत के भेष में अकबर हाजिर हुआ।कहां -आप अकबर की गुलामी स्वीकार कर लीजिए और मजा से चित्तौड़ का राजा बने रहिए।महाराणा प्रताप ने क्रोध में तलवार खींचते हुए ऐलान किया हरगिज़ नहीं मैं घास की रोटी खा लूंगा।मगर अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं करूंगा। दूत अकबर ने पूछा क्या आप सचमुच अकबर के सामने यह बात इसी रूप में कह सकते हैं? महाराणा प्रताप ने कहा- मैं बिल्कुल अकबर के दूत से नहीं अकबर से ही बात कर रहा हूं।तब महाराणा के सैनिकों ने अकबर को घेर लिया और कैद करना चाहा।मगर महाराणा ने कहा नहीं अकबर मेरे दरबार में दूत के भेष में आया है। इसे स सम्मान पूर्वक ले जाओ।और इनके महल तक छोड़ दो। मैं अपने दरबार में दूत के रूप में अकबर को कैद नहीं कर सकता। ©S Talks with Shubham Kumar

#विचार #PoetInYou  सम्मान हमेशा  अकबर लगातार अपने राज्य का विस्तार कर रहा था।महाराणा प्रताप सिंह चित्तौड़ के राजा थे।चित्तौड़ को अपने अधीन करने के लिए उन्होंने मान सिंह की बहन जोधाबाई से विवाह कर लिया था ताकि राजपूत राजा उनके अधीन हो जाए।मगर महाराणा प्रताप सिंह ने कसम खा ली थी कि घास की रोटी खा लेंगे मगर अकबर की अधीनता नहीं स्वीकार करेंगे।
         अकबर ने महाराणा प्रताप के बारे में बहुत सुन रखा था।उन्हें एक बार महाराणा प्रताप को आमने -सामने देखने की इच्छा हुई। दूत का वेश बनाकर महाराणा प्रताप के दरबार में उपस्थित हुआ। राजा को सूचना दी गई कि अकबर का दूत संदेश लेकर आया है।
            महाराणा के दरबार में दूत के भेष में अकबर हाजिर हुआ।कहां -आप अकबर की गुलामी स्वीकार कर लीजिए और मजा से चित्तौड़ का राजा बने रहिए।महाराणा प्रताप ने क्रोध में तलवार खींचते हुए ऐलान किया हरगिज़ नहीं मैं घास की रोटी खा लूंगा।मगर अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं करूंगा। दूत अकबर ने पूछा क्या आप सचमुच अकबर के सामने यह बात इसी रूप में कह सकते हैं?
           महाराणा प्रताप ने कहा- मैं बिल्कुल अकबर के दूत से नहीं अकबर से ही बात कर रहा हूं।तब महाराणा के सैनिकों ने अकबर को घेर लिया और कैद करना चाहा।मगर महाराणा ने कहा नहीं अकबर मेरे दरबार में दूत के भेष में आया है। इसे स सम्मान पूर्वक ले जाओ।और इनके महल तक छोड़ दो। मैं अपने दरबार में दूत के रूप में अकबर को कैद नहीं कर सकता।

©S Talks with Shubham Kumar

#PoetInYou अकबर और महराणा प्रताप

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