कच्ची थी आस की डोरी, एक पल में टूट गई है ये अपनों की खुदगर्जी ...... खुशियाँ मेरी रुठ गयी है, इस राह -ए- वफ़ा में पायी...... हर मोड़ फक़त रूसवाई, जो मंजिल.
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