सुर्य आग बरसाता हैं, क्रोधित बैठा अब्ज़, अन्त ग्लानि करते मानव, धरा रहीं ना सब्ज़.. बासी पेट बच्चे सोते, करते क्रंदन पुकार, कष्ट से व्याकुल होता हृदय.
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