मेरी नज़र से नज़र मिलाकर बे-क़रार कर गया। ख्यालों का खंजर ज़िगर के आर पार कर गया। उससे हाथ मिलाया बहुत ही संजीदगी से मगर मोहब्बत के चुनाव का मुझें उमीदवार कर गया।।.
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