जज़्बात मोहब्बत के दिल भूल गया है शायद , बेहिस मेरा दिल मुझ में दफ़्न पड़ा है शायद । मोहब्बत के नाम पर लूटते देखी है अस्मत , उस वहशत से दिल बुरी तरह डरा है श.
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