जब मेरी उम्र कम थी या मैं कहूं कि जब मेरे अंदर बचपना था तो मेरे काफी मित्र थे, काफी खुश रहा करता था मैं। एक अलग ही जिंदगी जीता था। किसी चीज की चिंता नहीं करता था। परंतु जैसे-जैसे उम्र बीतता गया, फिर जो बातें स्कूल में नहीं सीखा, शिक्षकों ने नहीं सिखाया, वो बातें जिंदगी सिखाती चली गई.. और फिर जैसे जैसे उम्र बीतता गया जिंदगी के नए-नए कारनामे सामने आते गए, और फिर मेरा कई भ्रम भी टूटा – जैसे सारे दोस्त दोस्त नहीं होते हैं। सारे अपने-अपने नहीं होते हैं। सारे परिवार परिवार नहीं होते हैं। सिर्फ पैसा ही सब कुछ नहीं होता है। मतलब काफी कुछ सीखने को मिला इस जिंदगी से। अगर मुझे आपको कुछ कहना होगा तो मैं सिर्फ इतना ही कहूंगा कि आप किसी पर भरोसा मत करना, यहां सभी मतलबी हैं। उनके नजर में आप एक तिनके के सामान भी नहीं हो। अगर आप किसी को इज्जत दे रहे हो तो वो आपको मूर्ख समझते हैं। मेरी मानो तो खुद में लीन रहो, खुद पर कम करो, खुद के बारे में सोचो और माता-पिता से प्रेम करो और माता-पिता को पूजो। 🖤🧤
©me nd my solitude
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