आंचल में छुपाकर के अपने,ममता के स्नेह से नहलाती है। वह करुणामयी, दयालु, ममता की मूरत "मां" कहलाती है। वो वात्सल्यमयी, महान, वसुधा पर नेक इरादा है। ईश्वर को नहीं.
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