सुनो जान, कोई ज्यादा बड़ा स्वप्न नहीं देखा मैंने.. सिवाय उस एक प्रेममयी लाल सिंदूरी शाम के, जिसमें तुम अग्नि के समक्ष हमारे पवित्र प्रेम के प्रतीक "सिंदूर".
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