#OpenPoetry ये जो बादल बहते हैं बड़ी रफ्तार से इन फिज़ाओं के साथ क्या कभी थमती हवाओं में इन्होंने अपने वजूद को देखा है ? और ढक तो लेता है ये चाँद और सूरज को बड़ी.
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