कोड़ियों के भाव बिक गया, करोड़ों का गुरूर "केशव", राख में ही जल गये वो लोग जो खुद को आग कहते थे। ©keshav मत कर माया को अहंकार मत कर काया को अभिमान काया गार से.
1 Stories
246 View
Will restore all stories present before deactivation.
It may take sometime to restore your stories.
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here