मुबारका ना ख्वाइश किसी अजर की आखिर में , जो आगाज़ तेरा यूह हुआ है करू भी कैसे उस खुदा से शिक़वा कमियों पे मेरी, तेरा साथ जो ऐसा नसीब हुआ है.
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