मैं भला कब तक खुद से बगाबत करता,
आखिर में सब के जै
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मैं भला कब तक खुद से बगाबत करता, आखिर में सब के जैसे ही समझौता करता। किसी के ठुकराने के बाद जो तू आता मेरे पास, मैं तब भी तुझसे पागलों सी मोहब्बत करता। भले ही कुछ करता ना करता मेरी जान, पर औरों के जैसे मोहब्बत जिस्मानी ना करता। तेरे कदमों में रखता खुदको हमेशा पर, औरों के जैसे झूठे वादे हज़ार ना करता। बेशक चांद ना कहता तुझको मैं, पर चांद की बराबरी भी तुझ्से ना करता। मैं पागल क्या-क्या ना करता मोहब्बत में तेरी, पर काश तू किसी और से मोहब्बत ना करता। तेरे साथ ना होने पर भी तेरे नाम पर लड़ जाने वाला मैं, गर साथ जो तू होता तो मैं क्या-क्या ना करता। अब मुफलिसी में लिखता हूं तुझपर गजलें मैं, तू साथ जो होता तो मैं तेरी यादों की नौकरी ना करता। ©Abhishek Yadav

#शायरी #gazal #SAD  मैं भला कब तक खुद से बगाबत करता,
आखिर में सब के जैसे ही समझौता करता।

किसी के ठुकराने के बाद जो तू आता मेरे पास,
मैं तब भी तुझसे पागलों सी मोहब्बत करता।

भले ही कुछ करता ना करता मेरी जान,
पर औरों के जैसे मोहब्बत जिस्मानी ना करता।

तेरे कदमों में रखता खुदको हमेशा पर,
औरों के जैसे झूठे वादे हज़ार ना करता।

बेशक चांद ना कहता तुझको मैं,
पर चांद की बराबरी भी तुझ्से ना करता।

मैं पागल क्या-क्या ना करता मोहब्बत में तेरी,
पर काश तू किसी और से मोहब्बत ना करता।

तेरे साथ ना होने पर भी तेरे नाम पर लड़ जाने वाला मैं,
गर साथ जो तू होता तो मैं क्या-क्या ना करता।

अब मुफलिसी में लिखता हूं तुझपर गजलें मैं,
तू साथ जो होता तो मैं तेरी यादों की नौकरी ना करता।

©Abhishek Yadav

#gazal #Shayari #Poetry #SAD

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