हिचकी उसकी जब मुझे आई,
मान लिया कुछ बाते याद आई।
नींद से जागकर फिर मेने कुछ सोचा,
शाम होने पर लिख दिया कुछ ऐसा।
रस्ते पर ऊधम खूब मचाया,
मालूम था उन दिनों का जिक्र आया।
कॉलेज के दिनों की यह बात है,।
एक एक करके बीते जल्दी दिन और रात है।
लालसा है तेरे अंदर, दूसरो की बात जानने की।
इन लाइनों में तुझे सजा सुनाई,तेरा नाम पहचानने की।
कितना समझ तुझे यह लाइने आई,
रचना ने छोटी सी पहेली बनाई ।
©Rachana Kushwah
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