इस शहर के कोलाहल में मेरे मन के कोलाहल तू कैसे समझेगा? पापा का साया जब सिर से हटा कब बेटी से बेटा हो गई पता न चला जिंदगी जब दोहरे पड़ाव पर खड़ी हो तो तू जिम्म.
1 Stories
99 View
Will restore all stories present before deactivation.
It may take sometime to restore your stories.
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here