कमलनयन से नयन मिले तो कमल पांखुरी हो बैठी। बंशी की धुन में यूँ खोई लगा बाँसुरी हो बैठी। दूध के जैसे गोरी राधा तन की सब सुधि भूल गई , श्याम के रंग में ऐसी डूबी.
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